दिल्ली के अस्पतालों में सीमेंट की तरह जमे दागी डॉक्टर्स आतिशी लेंगी एक्शन

सीवीसी और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने साल 2012 में देश के संवेदनशील पदों पर तैनात अधिकारियों के लिए एक निर्देश जारी किया था. इस निर्देश मे साफ-साफ लिखा है कि केंद्र सरकार या राज्य सरकार किसी भी अधिकारी को सेंसिटिव पोस्ट पर 3 साल से ज्यादा नहीं रखना चाहिए. लेकिन, दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों के एमडी और एमएस चार से भी ज्यादा समय से पद पर बने हुए हैं.

दिल्ली के अस्पतालों में सीमेंट की तरह जमे दागी डॉक्टर्स आतिशी लेंगी एक्शन
नई दिल्ली. दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना पदभार संभालते ही एक्शन में आ गई हैं. आज होने वाली कैबिनेट मीटिंग में रुकी हुई कई योजनाओं को रफ्तार देने में लग गई हैं. इन योजनाओं के साथ-साथ आतिशी ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर भी बड़ा निर्णय ले सकती है. क्योंकि, दिल्ली के कई बड़े विभागों में सालों से ट्रांसफर-पोस्टिंग लंबित हैं. खासकर, दिल्ली की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था के जिम्मेदार अधिकारी, मेडिकल डायरेक्टर और मेडिकल सुपरिटेंडेंट, जो बड़े-बड़े अस्पतालों में जम की तरह बैठ गए हैं, क्या उनका ट्रांसफर होगा? दरअसल, दिल्ली सरकार के 50 से अधिक अस्पतालों के दर्जनभर एमडी और एमएस पिछले 3-4 सालों से अस्पतालों के हेड बन कर बैठे हैं. इन अस्पतालों की हालत यह हो गई है कि न दवा मिल रही है और नही मरीजों का ठीक से इलाज. सूत्रों की मानें तो एडमिनिस्ट्रेटिव पदों पर बैठे ये डॉक्टर और ठेकेदारों के नेक्सस का खामियाजा दिल्ली की जनता भुगत रही है. खासकर लोक नायक, जीबी पंत और दीन दयाल जैसे बड़े अस्पतालों की हालत तो और खराब है. इन अस्पतालों के मेडिकल डायरेक्टर और मेडिकल सुपरिटेंडेंट बीते 4 साल से भी अधिक समय से एक ही पद पर बने हुए हैं, जो केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) गाइडलाइंस का खुलमखुल्ला उल्लंघन है. दिल्ली में सीवीसी गाइडलाइंस का हो रहा है उल्लंघन साल 2012 में सीवीसी और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने संवेदनशील पदों पर तैनात अधिकारियों के लिए बारी-बारी से तबादले करने के निर्देश जारी किए थे. यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों के विशेषतौर पर लागू होते हैं. सीवीसी ने इस नोटिफिकेशन के तहत यह निर्धारित किया था कि मंत्रालयों, विभागों, सरकारी अस्पतालों, संगठनों और सीवीओ को संवेदनशील पदों और इन पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों की पहचान करनी चाहिए. सीवीसी के नोटिफिकेशन में क्या लिखा है? सीवीसी के नोटिफिकेशन में ये भी कहा गया है कि निहित स्वार्थों को विकसित होने से बचाने के लिए उन्हें हर दो, तीन साल के बाद ट्रांसफर कर दिया जाए. आयोग ने साफ कहा था कि अधिकारी लंबे समय तक एक ही पद पर बने रहते हैं. एक ही पद पर अधिक समय तक रुकने के कारण अधिकारियों में भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल होने, निहित स्वार्थ विकसित करने की गुंजाइश रहती है, जो सही भी नहीं है और आम लोगों के हित में भी नहीं है. लाभ के पदों पर सालों से जमे हैं ये लोग लेकिन, दिल्ली की पिछली केजरीवाल सरकार बीते सवा सालों से इस सीवीसी के गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रही थी. हालांकि, इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि एलजी और सीएम में बन नहीं रही थी. इसका फायदा अस्पतालों में तैनात ये मेडिकल डायरेक्टर और मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने खूब उठाया. हालत यह हो गई कि इन अस्पतालों में न तो दवा मिल रही है और न जांच की तारीख. क्योंकि, मशीन खरीदी गई तो लगाई नहीं गई और अगर लगाई गई तो चलाने वाला कोई नहीं है. एलएनजेपी, जीबी पंत और दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल अगर, दिल्ली की लोकनायक अस्पताल की बात करें तो यहां भी न दवा मिल रही है और न ही मरीजों के लिए विशेष सुविधा. कोरोना काल से लेकर जी-20 तक इस अस्पातल में घोटाला पर घोटाला की खबर है. अस्पताल सूत्रों की मानें तो अस्पताल के एमडी डॉ सुरेश कुमार से सीबीआई और एसीबी एक बार नहीं कई बार पूछताछ कर चुकी है. डॉ सुरेश कुमार कोरोना काल के शुरुआत में एलएनजेपी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर बने थे. कोरोना काल में इस अस्पताल की खामियों को देश के गृहमंत्री संसद में बयां किया था. क्या कहते हैं ड़ॉक्टर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े एक डॉक्टर कहते हैं, ‘अब जब आतिशाी ने पदभार संभाल लिया है, तो उम्मीद की जा रही है ये सारे फैसले जल्द लिए जाएंगे. नई सीएम की नजर में सालों से दिल्ली के अस्पतालों में जम की तरह बैठे एमडी और एमएस के ट्रांसफर भी होगी. क्योंकि, सीवीसी की गाइलाइन है कि सेंसिटव पोस्ट कोई भी अधिकारी अधिकतम तीन साल तक रह सकता है. तीन साल से अधिक रहने पर यह माना जाएगा कि इस में ऊपर के लोगों की सहभागिता है.’ अब आतिशी क्या करेंगी? वे आगे कहते हैं, ‘कई सारे आस्पतालों के एमडी और एमएस 4 साल से भी ज्यादा समय तक एक ही पद पर बने हुए हैं. सीवीसी मानदंडों के हिसाब से किसी भी सेंसिटिव पोस्ट पर कोई एमडी या एमएस 3 साल से ज्यादा नहीं रहना चाहिए. दिल्ली के कुछ अस्पतालों के एमडी और एमएस की तो एसीबी और सीबीआई जांच भी चल रही है. बता दें कि दिल्ली सरकार के प्रमुख अस्पतालों में जीबी पंत, लोकनायक, दीन दयाल, अरुणा आसफ अली, अतरसेन जैन अस्पताल, बाबू जगजीवन राम मेमोरियल अस्पताल, भगवान महावीर अस्पताल, दीप चंद बंधु, सुचेता कृपलानी, लेडी हार्डंग, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, गुरु गोविंद सिंह गवर्मेंट अस्पताल प्रमुख हैं.द Tags: Atishi marlena, Delhi HospitalFIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 15:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed