भावनाओं के आधार पर कोचिंग सेंटर की तरफ से कोर्ट में क्यों दी गई यह दलील
भावनाओं के आधार पर कोचिंग सेंटर की तरफ से कोर्ट में क्यों दी गई यह दलील
Delhi IAS Coaching Centre News:दिल्ली कोचिंग हादसे में गिरफ्तार चार आरोपियों ने जो दलीलें दी उससे एमसीडी को पूरे हादसे का जिम्मेदार बताया. जब कोर्ट रूम में जज ने बचाव पक्ष की दलीलों पर ही सवाल खड़ा किया तो वकील ने कहा कि हमें भावनाओं के आधार पर नहीं जाना चाहिए. आखिर लोअर कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-क्या दलीलें दी गई पढ़ें पूरी खबर...
नई दिल्ली. आईएएस की तैयारी करने वाले 3 छात्रों की ओल्ड राजेंद्र नगर में मौत से एक जुड़े मामले की दिल्ली के लोअर कोर्ट में सुनवाई हुई. ओल्ड राजेंद्र नगर की बेसमेंट में कोचिंग चलाने वाले चार को-ओनर ने की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. इस याचिका के दौरान आरोपियों ने जमानत पाने के लिए दलील दी कि यह नालों की सफाई नहीं होने के चलते यह हादसा हुआ है. उन्होंने कहा कि जब कोई एजेंसी कार्रवाई नहीं करती है, तो वह भी दोषी है.
4 आरोपीयों की जमानत पर सुनवाई कर रही प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना की कोर्ट में आरोपियों की जमानत याचिका की दौरान वकील ने दलील दी कि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया है कि नालों की सफाई नहीं की गई. वकील ने कहा कि एमसीडी के अधिकारी ‘सब कुछ जानते हैं’ और ‘कुछ नहीं’ करते.
जब जज ने बेसमेंट में बाढ़ आने पर उठाए सवाल
इस पर कोर्ट रूम में जज ने बेसमेंट में बाढ़ आने पर सवाल उठाते हुए पूछा कि कोचिंग सेंटर के ‘कमजोर गेट’ के लिए जिम्मेदार लोगों को क्यों नहीं जवाबदेह ठहराया जा रहा है? अदालत ने कहा कि हमने फ्लाईओवर गिरने की बात सुनी है. अगर ठेकेदार घटिया सामग्री का इस्तेमाल करता है, तो यह स्वाभाविक परिणाम होते हैं. मालिकों के वकील ने कहा कि भावनाओं के आधार पर नहीं जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि ढाई साल से इस इमारत में संस्थान चलाया जा रहा था और हमें आज मामले के कानूनों और तथ्यों के आधार पर चलना होगा. वकील ने कहा कि को-ओनर के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया जा सकता है, न कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 के तहत ‘गैर इरादतन हत्या’ का मामला दर्ज हो.
आरोपी की वकील ने दी क्या दलील?
आरोपियों के वकील ने दलील दी कि को-ओनर को इस बात का ज्ञान नहीं था कि आईएएस की तैयारी करने वाले छात्र डूब जाएंगे. वकील अमित चड्ढा ने कहा कि ज्ञान तब होता है जब कोई व्यक्ति जानता है कि वह कुछ अवैध कर रहा है. उन्होंने कहा कि संपत्ति वाणिज्यिक है और इसका उपयोग कोचिंग के लिए किया जा रहा था. चड्ढा ने कहा कि आरोपी व्यक्ति केवल भूमि के मालिक हैं. उन्होंने कभी भी राउ को बेसमेंट को लाइब्रेरी के रूप में उपयोग करने के लिए नहीं कहा. वकील ने यह भी कहा कि आरोपी स्वेच्छा से पुलिस के पास गए और भागने की कोशिश नहीं की.
सीबीआई ने को-ओनर की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि सिर्फ आर्थिक उद्देश्यों के लिए, आपने व्यावसायिक उपयोग के लिए एक बेसमेंट दिया. आपको किराए के रूप में हर महीने 4 लाख रुपये मिल रहे थे और तीन निर्दोष लोगों की जान चली गई. अदालत ने सीबीआई से पूछा कि क्या बार-बार जलभराव होता है और अगर ऐसा है, तो क्या मालिकों को इसकी ‘जानकारी’ थी. इसके बाद एजेंसी ने एमसीडी में एक छात्र द्वारा दर्ज की गई शिकायत पढ़ी, जिसमें कहा गया था कि बेसमेंट में ‘दुर्घटना’ हो सकती है. सीबीआई ने कहा कि को-ओनर को जलभराव के बारे में पता था क्योंकि वे सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर रहते थे.
पीड़ितों में से एक-केरल के नेविन दलविन की ओर से पेश हुए वकील अभिजीत आनंद ने सवाल किया कि क्या को-ओनर को कुछ जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि बारिश के दस मिनट के भीतर सड़क पर जलभराव हो गया.
Tags: Delhi Court, IAS examFIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 13:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed