दिल्ली में मंकीपॉक्स के पहले केस को डॉक्टर ने समझा स्किन इन्फेक्शन दवा देकर घर भेज दिया था
दिल्ली में मंकीपॉक्स के पहले केस को डॉक्टर ने समझा स्किन इन्फेक्शन दवा देकर घर भेज दिया था
Monkeypox in Delhi: दिल्ली में 24 जुलाई को मिले मंकीपॉक्स के पहले मरीज को पहले बुखार और शरीर पर फफोले जैसे घाव हुए थे. एक स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने इसे त्वचा का इन्फेक्शन मानकर दवा देकर घर भेज दिया था. 5 दिन दवा खाने के बाद भी जब घाव बढ़ गए तो मंकीपॉक्स का शक हुआ और उन्होंने अधिकारियों को खबर दी. जांच में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई.
हाइलाइट्स21 जुलाई को मरीज वापस क्लिनिक आया और बताया कि उसके घाव साइज में बढ़ गए हैं.डॉ. रिचा समेत मरीज के संपर्क में आए 13 लोगों को आइसोलेशन में रहने और लक्षणों पर नजर रखने को कहा गया.दिल्ली से सटे गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सतर्कता बढ़ा दी गई है.
नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का पहला केस 24 जुलाई को कन्फर्म हुआ था, लेकिन उससे पहले ये मरीज पश्चिमी दिल्ली के एक क्लिनिक में डॉक्टर को दिखाने गया था. डॉक्टर ने पहले तो लक्षणों के आधार पर इसे त्वचा का संक्रमण समझा, और 5 दिन की दवा देकर घर भेज दिया. लेकिन 5 दिन बाद जब मरीज फिर से क्लिनिक आया तो उसके शरीर पर फफोले बढ़ चुके थे, उनमें सफेद पानी जैसा कुछ दिख रहा था. इससे डॉक्टर को मंकीपॉक्स का शक हुआ और उसने अथॉरिटीज को खबर दी. जांच के बाद शक सही निकला और मरीज को आइसोलेट करके इलाज किया गया.
पश्चिमी दिल्ली में एक प्राइवेट क्लिनिक चलाने वाली डॉ. रिचा चौधरी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि मरीज सबसे पहले उनके पास 16 जुलाई को आया था. उसके पेट, पैर, गले, जननांग और हथेलियों पर त्वचा में कुछ उभार जैसा दिख रहा था. मरीज को शक था कि उसे चिकनपॉक्स तो नहीं हो गया. लेकिन मैंने उसे बताया कि ये चिकनपॉक्स नहीं है. उसके लक्षणों के आधार पर मुझे लग रहा था कि उसे स्किन रिएक्शन की एक बीमारी एरिथीमा मल्टीफॉर्मे है. मैंने उसी के इलाज के लिए 5 दिन की दवा देकर घर भेज दिया.
21 जुलाई को मरीज वापस क्लिनिक आया और बताया कि उसके घाव साइज में बढ़ गए हैं, उनमें मवाद जैसा कुछ भर गया है और दर्द भी हो रहा है. डॉ. चौधरी के मुताबिक, ये फफोले उसके चेहरे पर नहीं थे, जैसा कि मंकीपॉक्स के मामलों में आमतौर पर होता है. फिर भी मैंने उससे पूछा कि हाल में उसने विदेश यात्रा की है क्या. वह बार-बार इनकार करता रहा. उसने बताया कि क्लिनिक में आने से पहले उसे दो-तीन दिन बुखार आया था.
त्वचा विशेषज्ञ डॉ. रिचा ने एचटी को बताया कि जब कुछ समझ नहीं आ रहा था तो मैंने कंप्यूटर पर मंकीपॉक्स के बारे में सर्च किया. उससे मुझे लगा कि ये मंकीपॉक्स हो सकता है. इसके बाद मैंने संबंधित अधिकारियों को इसके बारे में सूचित किया. उन्होंने कहा कि उनकी टीम खुद मरीज के घर जाकर उसके सैंपल लेगी. इसके बाद पुणे के नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की रिपोर्ट आने के बाद मरीज में मंकीपॉक्स होने की घोषणा कर दी गई.
हेल्थ मिनिस्ट्री को प्रोटोकॉल के अनुसार डॉ. रिचा समेत मरीज के संपर्क में आए 13 लोगों को आइसोलेशन में रहने और अपने लक्षणों पर नजर रखने को कहा गया. दिल्ली में मिले मंकीपॉक्स के इस मरीज ने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया था क्योंकि ये ऐसा पहला केस था, जिसमें विदेश जाए बिना किसी को मंकीपॉक्स हुआ था. बताया जा रहा है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित पहले मरीज का एलएनजेपी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में इलाज चल रहा है. उसकी हालत में सुधार है, लेकिन घाव भरने में कम से कम एक हफ्ता लगेगा.
इस बीच, मंगलवार को दिल्ली में 30-40 साल की उम्र के एक और व्यक्ति को मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के शक में एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उसके शरीर पर चकत्ते और घाव मिले हैं. उसका सैंपल पुणे लैब में जांच के लिए भेजा गया है. उसका विदेश यात्रा का इतिहास है.
मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए दिल्ली से सटे गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सतर्कता बढ़ा दी गई है. ग्रेटर नोएडा स्थित जिम्स में 20 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया गया है. गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर जिले में स्वास्थ्य विभाग ने कंट्रोल रूम भी तैयार किया है.
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Tags: Delhi, MonkeypoxFIRST PUBLISHED : July 27, 2022, 11:08 IST