जिस बेरूत-गाजा में गिरीं हजारों बम क्यों वहां से भी खराब दिल्ली-NCR की हवा
जिस बेरूत-गाजा में गिरीं हजारों बम क्यों वहां से भी खराब दिल्ली-NCR की हवा
Delhi Air Quality News: दिल्ली की हवा फिलिस्तीन के गाजा और लेबनान के बेरूत से भी ज्यादा जहरीली क्यों हो गई है? क्यों हर साल नवंबर-दिसंबर के महीने में पॉल्यूशन एक राष्ट्रीय मुद्दा बन जाता है और जनवरी-फरवरी आते ही कोई नाम लेने वाला भी नहीं होता? पढ़ें यह रिपोर्ट...
Delhi Air Quality News: दिल्ली की हवा जहरीली ही नहीं अब आपकी जान भी ले सकती है. दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में आज भी एयर क्वालिटी इंडेक्स ‘बहुत गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई है. दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के पार है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक ही नहीं बेहद खतरनाक माना जाता है. दिल्ली के अस्पतालों में भी डॉक्टर मरीजों को प्रदूषण से बचने के लिए कई उपाय बता रहे हैं. उन उपायों में एक उपाय यह भी है कि अगले कुछ दिनों तक दिल्ली-एनसीआर में रहना छोड़ दें. खासकर, आर्थिक रूप से कमजोर गंभीर श्रेणी के मरीजों को विशेष सतर्कता बरतने की हिदायत दी जा रही है. क्योकि, दिल्ली सरकार के अस्पतालों में फ्री की दवाई मिलना लगभग बंद हो चुका है. दिल्ली के अस्पतालों से दवा गायब हो गए हैं.
डॉक्टरों की सलाह पर कई लोगों ने अमल भी करना शुरू कर दिया है. खासकर, सांस और गंभीर श्रेणी के मरीजों को दिल्ली में रहना अगले कुछ दिनों तक किसी चुनौती से कम नहीं होने वाला है. क्योंकि, दिल्ली सरकार हर की तरह इस साल भी पॉल्यूशन को लेकर कई तरह की बंदिशें लागू करने वाली हैं. ये बंदिशें पिछले कुछ सालों से दिल्ली में लगती रही हैं. इसे दिल्ली में पॉल्यूशन पॉलिटिक्स के नाम से भी जाना जाता है.
दिल्ली की हवा अब और कितनी होगी जहरीली?
नोएडा के भारद्वाज अस्पताल के डॉ अभिषेक कुमार कहते हैं, ‘इस दमघोटूं हवा से स्वस्थ लोग भी बीमार पड़ सकते हैं. अभी सांस, हार्ट और फेफड़ों के मरीज बढ़ गए हैं. खासकर, किडनी और कैंसर जैसे गंभीर बीमारी के मरीजों को इस मौसम में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए. गर्भवती महिलाएं अपना ध्यान ठीक से रखें. जिन गर्भवती महिलाओं को अस्थामा या हार्ट की समस्या है, वैसे महिलाओं को अपने डॉक्टर से संपर्क में रहना चाहिए. पॉल्यूशन का साइड इफेक्ट काफी लॉन्ग टर्म में होता है. महिलाओं में पॉल्यूशन का साइड इफेक्ट ब्रेस्ट कैंसर और यूटेराइन कैंसर में दिखता है. जो मरीज अस्थमेटिक हैं या उनको क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या लंग डिजीज है तो वे गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा इससे प्रभावित होंगी. यहां तक कि मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रदूषण से नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए सावधानी की जरूरत है. आंखों में जलन, गले में खराश और दम घुटने की शिकायतें बढ़ जाती हैं.’
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पॉल्यूशन पॉलिटिक्स क्यों नवंबर-दिसंबर में ही होता है?
बीते 8-10 सालों की तरह इस साल भी राजनीतिक पार्टियां खासकर बीजेपी प्रदूषण को लेकर दिल्ली की ‘आप’ सरकार को जमकर घेर रही है. कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वायनाड से कल ही लौटी हूं. जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 35 था. लेकिन, दिल्ली आने के बाद सांस लेना मुश्किल हो रहा है. बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पुनावाला दिल्ली के इंडिया गेट पर गैस मास्क लगाकर केजरीवाल सरकार को कोस रहे हैं. जबकि, सुप्रीम कोर्ट, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, एनजीटी और सीपीसीबी सहित प्रदूषण पर काम करने वाली कई सरकारी और गैरसराकारी संस्थाएं कहीं न कहीं इसमें डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रूप से खुद भी जिम्मेदार है.
अरविंद और आतिशी ही क्यों जिम्मेदार?
बीते 8-10 सालों से अरविंद केजरीवाल नवंबर और दिसंबर के महीने में निशाने पर आ जाते हैं. इस बार भी अरविंद केजरीवाल निशाने पर हैं, लेकिन नई सीएम आतिशी को ज्यादा निशाना बनयाा जा रहा है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय हर साल की तरह इस साल भी एक से बढ़कर एक घोषणाएं कर रहे हैं. लेकिन, इसके बावजूद वायु का स्तर बहुत गंभीर श्रेणी में बनी हुई है. इतिहास बताता है कि राजनीतिक पार्टियां सिर्फ दो-तीन महीने ही इस मुद्दे पर फोकस करती है. जैसे ही जनवरी का महीना खत्म होता है, प्रदूषण पर बोलने वाले लोग खोजने से भी नहीं मिलते. क्योंकि, तबतक हवा की गुणवत्ता ठीक हो जाती है.
जानकारों की राय में सरकार और प्रदूषण पर काम करने वाली संबंधित एजेंसियां सिर्फ तीन महीने ही एक्टिव रहती हैं. राजनीतिक पार्टियों के लोग भी इन्हीं तीन महीने में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं. दिल्ली की हालत यह हो गई है दिल्ली-एनसीआर की हवा गाजा पट्टी से भी ज्यादा जहरीली हो गई है, जहां हर घंटे और हर मिनट सैंकड़ों बम बरसाये जाते हैं. गाजा और बेरूत में अब भी 100 की नीचे एयर क्वालिटी इंडेक्स है. जबकि, दिल्ली के कुछ इलाकों में तो 1000 पहुंचने वाला है. पूरे गाजा पट्टी में सैकड़ों-हजारों टन ठोस कचरा सड़कों पर या विस्थापित नागरिकों के शिविरों के तंबुओं में सड़ रहे हैं. लेकिन, वहां भी इतनी हवा जहरीली नहीं है, जितनी देश की राजधानी दिल्ली में हो चुकी है.
Tags: Air pollution, Delhi pollution, Health NewsFIRST PUBLISHED : November 14, 2024, 15:37 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed