आचार्य बालकृष्ण क्यों पहुंचे सुप्रीम कोर्ट कहा- जानबूझकर दिया गया यह बयान
आचार्य बालकृष्ण क्यों पहुंचे सुप्रीम कोर्ट कहा- जानबूझकर दिया गया यह बयान
Supreme Court News:बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में आईएमए अध्यक्ष अशोकन के खिलाफ कानून सम्मत करवाई की मांग की है. दरअसल, IMA के अध्यक्ष अशोकन ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा था कि ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की.
नई दिल्ली. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष अशोकन के कथित विवादित बयान का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गया है. आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका में कहा है कि अशोकन के जानबूझकर दिए गए बयान तात्कालिक कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप हैं और न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हैं. उन्होंने याचिका में कहा है कि यह बयान निंदनीय प्रकृति के हैं और जनता की नजर में इस माननीय न्यायालय की गरिमा और कानून की महिमा को कम करने का एक स्पष्ट प्रयास है.
बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में आईएमए अध्यक्ष अशोकन के खिलाफ कानून सम्मत करवाई की मांग की है. दरअसल, IMA के अध्यक्ष अशोकन ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा था कि ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है. हमें ऐसा लगता है कि उन्हें देखना चाहिए था कि उनके सामने क्या जानकारी रखी गई है.
वहीं भ्रामक विज्ञापन मामले में केंद्र सरकार के आयुष विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इस हलफनामे के मुताबिक, 2018 से अब तक कुल 36040 शिकायतें दर्ज हुई हैं. 2018 से अब तक केवल 354 भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ करवाई हुई है. राजस्थान में सबसे ज्यादा करवाई हुई कुल 206 भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने करवाई की है जबकि तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 4230 मामले दर्ज किए गए है.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित बिना शर्त सार्वजनिक माफी कमें ‘उल्लेखनीय सुधार’ की मंगलवार को सराहना की. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानउल्लाह की पीठ ने रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि माफी की भाषा ठीक है और उनमें नाम भी मौजूद हैं.
न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने कहा कि मैं नहीं जानता कि दूसरा माफीनामा किसकी पड़ताल पर है. इसमें उल्लेखनीय सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि हम इसकी सराहना करते हैं. अब आखिरकार वे समझ गए. उन्होंने कहा कि इससे पहले जब माफी प्रकाशित की गई थी तब केवल कंपनी का नाम ही उसमें दिया गया था. न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने कहा कि अब नाम भी छपे हैं। यह एक उल्लेखनीय सुधार है, हम इसकी सराहना करते हैं. भाषा भी ठीक है. सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने औषधि कंपनी के वकील से पूछा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित माफी को उन्होंने डिजिटल माध्यम से क्यों दाखिल किया, जबकि 23 अप्रैल को न्यायालय ने विशेष रूप से कहा था कि मूल प्रति दाखिल करनी है.
Tags: Baba ramdev, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : May 6, 2024, 19:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed