खरीदारों का इंतजार कर रहे दिल्ली-एनसीआर में 181 लाख करोड़ के फ्लैट-प्लॉट

नोएडा-ग्रेटर नोएडा (Noida-Greater Noida) में डवलपमेंट की बात करें तो इंटरनेशनल जेवर एयरपोर्ट (Jewar Airport) बन रहा है. यमुना एक्सप्रेसवे से सीधी कनेक्टिविटी. दिल्ली-मुम्बई (Delhi-Mumbai) और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से जोड़ने की तैयारी चल रही है. फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद एक्सप्रेसवे बीच में से होकर गुजरता है. नोएडा मेट्रो ट्रेन ग्रेटर नोएडा वेस्ट तक पहुंचाने की तैयारी चल रही है. जेवर एयरपोर्ट से नई दिल्ली स्टेशन तक सुपर फास्ट मेट्रो दौड़ाने की डीपीआर तैयार हो रही है. बावजूद यूपी रेरा (UP RERA) के आंकड़े एनसीआर को लेकर बिल्डर्स की बेरुखी को जाहिर कर रहे हैं. 

खरीदारों का इंतजार कर रहे दिल्ली-एनसीआर में 181 लाख करोड़ के फ्लैट-प्लॉट
नोएडा. यूपी भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) की रिपोर्ट के बाद अब संपत्ति सलाहकार संस्था एनरॉक ने भी अपनी रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में प्रापर्टी बाजार बहुत बुरे हाल में है. एनरॉक ने बताया है कि देश के सात बड़े प्रापर्टी बाजार में शामिल दिल्ली-एनसीआर में 1.81 लाख करोड़ की प्रापर्टी को खरीदार नहीं मिल रहे हैं. यह आंकड़ा सात बाजारों के 45 फीसद से ज्यादा है. यह आंकड़ा ठप्प पड़े या देरी से चल रहे प्रोजेक्ट का है. इससे पहले यूपी रेरा ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि अब खासतौर से नोएडा (Noida)-ग्रेटर नोएडा का कोई भी नया प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड नहीं हो रहा है. जबकि कोरोना (Corona)-लॉकडाउन के बाद से छोटे शहरों में नए प्रोजेक्ट खूब शुरू हो रहे हैं. देश के 7 शहरों में 4.48 लाख करोड़ की प्रापर्टी हुई ठप्प एनरॉक की रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि देश के 7 शहर दिल्ली-एनसीआर, मुम्बई, चैन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु और पुणे हैं. सभी सात शहरों में साल 2014 से पहले और उसके बाद शुरू हुए प्रोजेक्ट को रिपोर्ट में शामिल किया गया है. रिपोर्ट में शामिल किए गए सभी प्रोजेक्ट ठप्प पड़े या देरी से चल रहे हैं. इन्हें खरीदार नहीं मिल रहे हैं. देरी से चलने के कारण खरीदार पैसा वापस मांगने लगे हैं. ऐसे सभी प्रोजेक्ट की लागत 448129 लाख करोड़ रुपये है. इसमे से अकेले दिल्ली-एनसीआर का आंकड़ा 1.81 लाख करोड़ रुपये का है. दिल्ली-एनसीआर में भी नोएडा-ग्रेटर नोएडा का बुरा है हाल एनरॉक और यूपी रेरा दोनों की ही रिपोर्ट किसी भी सूरत में नोएडा-ग्रेटर नोएडा के हक में नहीं है. एनरॉक की रिपोर्ट के मुताबिक जो आंकड़ा 1.81 लाख करोड़ दिल्ली-एनसीआर का बताया गया है उसमे भी नोएडा-ग्रेटर नोएडा की हिस्सेदारी 70 फीसद है. इसी तरह से यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार बताते हैं कि नवंबर 2021 से फरवरी 2022 तक यूपी रेरा में 116 प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड हुए हैं. इसमे से सिर्फ 33 प्रोजेक्ट एनसीआर के शहरों से दर्ज हुए हैं. जबकि नॉन एनसीआर के शहरों से रजिस्टर्ड होने वाले प्रोजेक्ट का आंकड़ा 83 है. इसमे सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट आगरा-मथुरा और कानपुर-लखनऊ के हैं. यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे ट्रामा सेंटर बनने का रास्ता हुआ साफ, जानें कहां बनेगा महंगी जमीन और कॉकस ने रोके नए प्रोजेक्ट के प्लान नोएडा-ग्रेटर नोएडा में जमीन करोबार से जुड़े एएन रियल स्टेट के संचालक तेजपाल बताते हैं, “किसी भी प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए जमीन की जरूरत होती है. जमीन हाथ में आते ही फ्लैट, प्लाट और विला की कॉस्ट निकलकर आ जाती है. लेकिन बीते 3-4 साल में जमीन इतनी महंगी हो गई है कि मुनाफा कमाना मुश्किल हो गया है. आज की तारीख में नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में 2 बीएचके फ्लैट की शुरुआत हो रही है. जबकि कस्टमर इतना खर्च नहीं करना चाहता है. उसे चाहिए 22 से 25 लाख रुपये में.” जबकि बिकने वाले फ्लैट की हालत यह है कि 80 से 100 फीसद तक पैसा देने के बाद भी फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हुई है या फिर अभी फ्लैट बनकर ही तैयार नहीं हुए हैं. घर खरीदारों की दो संस्था नेफोवा और नेफोमा के मुताबिक अकेले नोएडा-ग्रेटर नोएडा में में 2 लाख से ज्यादा फ्लैट खरीदार घर की रजिस्ट्री के लिए भटक रहे हैं. दूसरी ओर घर खरीदारों की संस्था फोरम फॉर पीपुल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) का भी कहना है कि प्रोजेक्ट में देरी के चलते अब खरीदार दिल्ली-एनसीआर में प्रापर्टी खरीदने से बचने लगे हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Delhi-NCR News, Greater noida news, Noida news, Property, UP RERAFIRST PUBLISHED : June 28, 2022, 11:16 IST