विकाश कुमार/चित्रकूट: रोटी, कपड़ा और मकान की तरह पानी भी जरूरी है. एक दिन पानी न आए तो लोग परेशान हो जाते हैं. हालांकि, कुछ लोग ऐसे हैं, जो हर दिन पानी की दिक्कत को झेल रहे हैं. बुंदेलखंड (Bundelkhand) के पाठा (Patha) क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी लोग बैल गाड़ी, साइकिल और कोसो दूर पैदल चलकर पानी लाते हैं.
दर्जनों गांव में गहराया जल संकट
चित्रकूट जिले की तहसील मानिकपुर अन्तर्गत में आने वाले जमुनिहाई, गोपीपुर, खिचड़ी, बेलहा,एलाहा, उचाडीह गांव,अमचूर नेरुआ,बहिलपुरवा जैसे दर्जनों गांवों के हजारों ग्रामीणों को पेयजल संकट की त्रासदी ज़्यादा नजदीक से दिखाई पड़ती है. कई दशक पूर्व से पेयजल परेशानी झेल रहे हैं. यहां के ग्रामीणों को इस समस्या से निजात दिलाने में शासन प्रशासन भी नाकाम रहा है. रात होते ही ग्रामीणों को सुबह पानी भरने जाने की चिंता सताने लगती है. देर रात उठकर अपनी बैल को सजाकर उसमें पानी भरने वाले बर्तन को लेकर निकल पड़ते हैं.
‘पानी के लिए जाना पड़ता है कोसो दूर’
ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पानी के लिए गर्मी के महीने में काफी जादोहद करनी पड़ती है. मिलो दूर पोखर तालाब से भीषण गर्मी में पानी लेने जाना पड़ता है. गांव में जो टैंकर आते हैं, वह एक जगह टैंकर खड़ा करके पानी भरवाते हैं. भीड़ में मार होने की नौबत तक आ जाती है.
डीएम ने दी जानकारी
चित्रकूट जिलाधिकारी अभिषेक आनंद का कहना है कि पानी की समस्या को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल योजना के तहत हर घर में नल लगाया गया है. काम लगभग पूरा हो चुका है. अभी काम पूरा नहीं हुआ है. वहां टैंकरों के माध्यम से पानी की सप्लाई की जा रही है. जल्द ही हर घर नल योजना के तहत उन तक पानी पहुंचने लगेगा.
Tags: Bundelkhand news, Local18, UP news, Water CrisisFIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 14:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed