कम जमीन में यह खेती कर किसान कर रहा छप्परफाड़ कमाई लागत भी बेहद कम

किसान छोटेलाल ने बताया कि वह अपने खेतों में सबसे पहले केले के पौधों की रोपाई करते हैं. इसके बाद उसमें शलजम और चुकंदर के बीजों को बो देते हैं. इसके बाद की क्यारियों के ऊपर धनिया की बुवाई करते हैं.

कम जमीन में यह खेती कर किसान कर रहा छप्परफाड़ कमाई लागत भी बेहद कम
सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: आज के समय में परंपरागत तरीके से खेती को छोड़कर किसान मिश्रित खेती कर रहे हैं. जिससे वह कम लागत में अच्छी कमाई कर रहे हैं. मिश्रित खेती करने वाले किसान बताते हैं कि वह लगातार कई सालों से यह खेती करते आ रहे हैं. इससे उन्हें कभी भी नुकसान नहीं हुआ बल्कि लाखों रुपए का फायदा ही हुआ है. जिले के नगला जखा गांव के निवासी किसान छोटेलाल बताते हैं कि वह बचपन से ही मिश्रित खेती करते आ रहे हैं. जिससे उनकी तगड़ी कमाई होती है. इस फसल से उन्हें आज तक नुकसान नहीं हुआ बल्कि सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्ति से अधिक मुनाफा हो जाता है. किसान ने बताया कि इस खेती में प्रति बीघा चार से पांच हजार रुपए की लागत आती है. वहीं एक बार फसल तैयार होने के बाद उनकी कमाई शुरू हो जाती है. किसान छोटेलाल ने बताया कि वह अपने खेतों में सबसे पहले केले के पौधों की रोपाई करते हैं. इसके बाद उसमें शलजम और चुकंदर के बीजों को बो देते हैं. इसके बाद की क्यारियों के ऊपर धनिया की बुवाई करते हैं. समय अवधि के बाद जब केले की फसल तैयार होती है तो उसके बाद दूसरी फसलें भी तैयार हो जाती है. जिससे उन्हें तगड़ी कमाई होती है. उन्होंने बताया कि केले की फली को अलग करने के बाद केले के पौधे को काटकर जैविक उर्वरक के रूप में खेत में इस्तेमाल करते हैं. जब पौधे से फली निकलती है तो आम तौर पर उसका वजन 22 किलो से लेकर 30 किलो तक निकल आता है. जिसको वह 30 से 40 रुपया में रेट के अनुसार बिक्री करते हैं. बंपर होता है मुनाफा किसान ने बताया कि वह दस सालों से लगातार मिश्रित खेती कर रहे हैं. उनके पास खेती के लिए कम भूमि है. इसलिए वह उसी जमीन पर मिश्रित खेती करते हैं. जिससे उन्हें पर एक बीघा में पचास से साठ हजार रूपए का मुनाफा हो जाता है. वहीं केले की फसल को उगाने में लगभग दो हजार रुपए की लागत आती है. क्या है खेती का तरीका किसान ने बताया कि वह सबसे पहले खेत को अच्छे से समतल करके इसमें क्यारियां बनाकर पहले से तैयार किए गए केले के पौधों को प्रति एक मीटर पर एक पौधे को रोप देते हैं. समय से इसमें सिंचाई करते हैं. इसके बाद जब पौधे बड़े होने लगते हैं, इनसे फल निकलने शुरू होते हैं. जब पौधों से पूरी फसल निकल जाती है, तो इसके पौधे को खेत में ही हरी खाद के रूप के प्रयोग करते हैं. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 14:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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