2024 लोकसभा चुनाव: भाजपा की नजर मुस्लिम-यादव वोटर्स पर सपा को झटका देने की तैयारी!

उत्तर प्रदेश में लोकसभा उपचुनावों में सपा के गढ़ में मिली जीत के बाद से ही भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मिशन मोड में जुट गई है. तैयारियों को देखकर ये कहना कहीं से भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भाजपा 2024 में 2014 को दोहराने की कोशिश में लगी है.

2024 लोकसभा चुनाव: भाजपा की नजर मुस्लिम-यादव वोटर्स पर सपा को झटका देने की तैयारी!
हाइलाइट्सभाजपा 2024 में 2014 को दोहराने की कोशिश में लगी है. सपा के गढ़ में सेंधमारी करने के बाद भाजपा की नजर समाजवादी पार्टी के कोर वोटरों यादव और मुस्लिम पर है.भाजपा की 2024 की बूथवार तैयारियों को देखकर विपक्षी दलों की नींद जरूर खराब हो चुकी है. ममता त्रिपाठी लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तर प्रदेश में एक खास रणनीति के तहत समाजवादी पार्टी के कोर वोटर्स को अपनी तरफ खींचने की रणनीति पर काम कर रही है. उसने न सिर्फ यादव बल्कि मुसलमानों में भी अपनी पैठ बनाने के लिए पसमांदा मुस्लिम कार्ड खेला है. उत्तर प्रदेश में लोकसभा उपचुनावों में सपा के गढ़ में मिली जीत के बाद से ही भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मिशन मोड में जुट गई है. तैयारियों को देखकर ये कहना कहीं से भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भाजपा 2024 में 2014 को दोहराने की कोशिश में लगी है. सपा के गढ़ में सेंधमारी करने के बाद भाजपा की नजर समाजवादी पार्टी के कोर वोटरों यादव और मुस्लिम पर है. भाजपा की रणनीति सपा के कोर वोटर में सेंधमारी करने की उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातियों का बहुत बड़ा योगदान है. 2017 में भाजपा ने अति पिछड़ों और अति दलित समुदाय को एक साथ, एक छतरी के नीचे लाकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी. पिछड़ी जातियों में यादवों की संख्या सबसे ज्यादा 9-10 फीसदी है. सपा एम-वाई समीकरण की बदौलत ही तीन बार सत्ता में आ चुकी है. 2022 के विधानसभा चुनावों में मुसलमानों ने रिकॉर्ड सर्वाधिक 90 फीसदी के करीब सपा को वोट किया था. ऐसे में भाजपा की रणनीति सपा के कोर वोटर में सेंधमारी करने की है. जिसकी शुरुआत भाजपा ने हैदराबाद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से कर दी है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछड़े मुसलमानों खासतौर पर पसमांदा मुसलमानों के जीवन स्तर को सुधारने की बात की थी. हालांकि मुसलमानों का सपा से मोहभंग करवाने में असदुद्दीन ओवैसी भी पीछे नहीं हैं. वो भी बार बार अपने भाषणों के जरिए सपा पर तंज कसते रहते हैं कि मुसलमानों का मुस्तकबिल समाजवादी पार्टी के साथ नहीं है. यादव वोट बैंक में भी पैठ बनाने की कोशिश बात करें भाजपा के यादव वोट बैंक में सेंधमारी की तो इस बार 25 जुलाई को भाजपा ने समाजवादी नेता और यादव बिरादरी के कद्दावर नेता रहे हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि के जरिए यादव वोट बैंक में भी पैठ बनाने की कोशिश शुरू कर दी है. हर साल इस मौके पर सपाइयों की भीड़ कानपुर में रहती थी, मगर इस बार सारा माहौल भगवामय था. प्रधानमंत्री व्यस्तता के चलते कानपुर नहीं आ पाए मगर इस कार्यक्रम की अहमियत उन्हें पता थी इसलिए वो वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए जुड़े और अपनी बात रखी. इस मौके पर 12 राज्यों से यादव महासभा के नेता पूरे कार्यक्रम से जुड़े थे. प्रधानमंत्री ने हरमोहन यादव की जमकर तारीफ की. जबकि समाजवादी पार्टी ने इस बार कोई भी कार्यक्रम नहीं किया. मुलायम के पुराने सियासी साथी थे हरमोहन यादव हरमोहन सिंह यादव, मुलायम सिंह यादव के पुराने सियासी साथी रहे हैं. हरमोहन सिंह यादव ने 1984 के सिख दंगों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हिंसा को रोकने के उनके योगदान के चलते ही उन्हें 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. 18 अक्टूबर 1921 को कानपुर के मेहरबान सिंह के पुरवा में जन्मे हरमोहन सिंह यादव ने अपना राजनीतिक जीवन ग्रामसभा से शुरू किया था फिर प्रधान बने, विधान परिषद के सदस्य और राज्यसभा के सांसद भी रहे. प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम को संबोधित करने के अपने गहरे सियासी मायने हैं. सपा गठबंधन में कलह का फायदा मिलेगा भाजपा को दरअसल हरमोहन सिंह यादव बिरादरी के बड़े नेता थे. लंबे समय तक अखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष भी रहे थे, उनके बेटे सुखराम सिंह यादव अभी उपाध्यक्ष हैं. हरमोहन सिंह यादव के बेटे सुखराम यादव पहले ही अखिलेश के सियासी तौर तरीकों पर उंगली उठा चुके हैं. समाजवादी गठबंधन में चल रही उठापठक और पारिवारिक कलह का सीधा फायदा भाजपा को ही मिलेगा, जिसकी एक बानगी राष्ट्रपति चुनावों के दौरान विधायकों की क्रास वोटिंग के जरिए देखने को मिल चुकी है. राजभर के बयान पहुंचा रहे अखिलेश यादव को नुकसान विधानसभा चुनावों के साथी रहे ओम प्रकाश राजभर के बयान अखिलेश यादव को वैसे ही सियासी नुकसान पहुंचा रहे हैं. उनके बीच हुए सियासी तलाक के बाद तल्खियां और बढ़ गई हैं. ओमप्रकाश राजभर को केंद्र सरकार ने वाई कैटगरी की सुरक्षा भी प्रदान कर दी है. ऐसे में माना जा रहा है कि 2024 में वो भाजपा के बगलगीर हो सकते हैं. हालांकि उनके बड़बोलेपन के चलते भाजपा के कई नेता सीधे तौर पर राजभर के साथ गठबंधन से दूरी ही बनाए रखने के पक्ष में हैं. लेकिन भाजपा की 2024 की बूथवार तैयारियों को देखकर विपक्षी दलों की नींद जरूर खराब हो चुकी है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Akhilesh yadav, BJP, SPFIRST PUBLISHED : July 26, 2022, 17:36 IST