यूपी का अकेला हीरो जिसने BJP-SP तक को धूल चटा दी होने लगी जोरदार चर्चा

Chandrashekhar Azad Nagina Seat News: चंद्रशेखर आजाद की जीत का विश्‍लेषण करें तो उनकी जीत में मुस्लिम दलित वोटरों ने अहम भूमिका निभाई. इस आरक्षित सीट पर चंद्रशेखर आजाद के सामने बड़ी चुनौती थी, क्‍योंकि अखिलेश यादव जो कभी उनके साथ थे, ने एकदम से उनसे गठबंधन तोड़ लिया. उलटा उनके खिलाफ मनोज कुमार के रूप में अपना उम्‍मीदवार भी मैदान में उतार दिया.

यूपी का अकेला हीरो जिसने BJP-SP तक को धूल चटा दी होने लगी जोरदार चर्चा
यूपी की 80 सीटों के यूं तो नतीजे आ गए हैं और इंडिया गठबंधन ने अच्‍छी सीटें जीतीं और एनडीए को बड़ा झटका लगा… इसी बीच एक प्रत्‍याशी की चर्चा काफी ज्‍यादा है. कहें तो इस चुनाव में वो हीरो उभरा है. न तो उसे इंडिया गठबंधन का साथ मिला, न ही एनडीए का. सीट जीती, अपने बलबूते. हम बात कर रहे हैं चंद्रशेखर आजाद की, जो अपनी पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की तरफ से नगीना सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे. यहां उनके सामने बीजेपी, सपा, बसपा जैसी बड़ी पार्टियां भी खड़ी थीं. बावजूद इसके चंद्रशेखर ने मैदान जीत लिया और बाकी प्रत्‍याशियों को हार कर मुंह देखना पड़ा. नगीना सीट पर चंद्रशेखर की जीत की वजह से पूरे देशभर में इसका जिक्र हो रहा है. चलिए पहले सीट की बात करते हैं. बिजनौर में आने वाली नगीना सीट लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन की सिफारिश के बाद बनी थी. ध्‍यान देने वाली बात है कि यहां 16 लाख वोटर हैं, जिसमें मुस्लिम मतदाता 6 लाख तो अनुसूचित जनजाति के वोटर 3 लाख से ज्‍यादा हैं. यानि 9 लाख के आसपास मुस्लिम और एससी मतदाता इस सीट पर हैं. ये वोटर ही तय करते हैं कि संसद में कौन उनका प्रतिनिधित्‍व करेगा. मायावती भी 1989 में यहीं से लड़कर संसद पहुंची थीं. यशवंत सिंह भी 2014 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट से जीते थे. 2019 के चुनाव में बसपा के गिरीश चंद ने इस सीट को जीता था. अब चंद्रशेखर आजाद की जीत का विश्‍लेषण करें तो उनकी जीत में मुस्लिम दलित वोटरों ने अहम भूमिका निभाई. इस आरक्षित सीट पर चंद्रशेखर आजाद के सामने बड़ी चुनौती थी, क्‍योंकि अखिलेश यादव जो कभी उनके साथ थे, ने एकदम से उनसे गठबंधन तोड़ लिया. उलटा उनके खिलाफ मनोज कुमार के रूप में अपना उम्‍मीदवार भी मैदान में उतार दिया. भाजपा की तरफ से ओम कुमार मैदान में रहे. बसपा की मायावती जिन्‍होंने चंद्रशेखर को अपनाने से इनकार कर दिया, उन्‍होंने भी अपना प्रत्‍याशी सुरेंद्र पाल सिंह यहां उतार दिया. हालांकि एक मजबूत उम्‍मीदवार के तौर पर चंद्रशेखर आजाद मैदान में रहे और उन्‍होंने 512,552 वोट हासिल किए. अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के ओम कुमार को चंद्रशेखर आजाद ने 151,473 वोटों के अंतर से हराया. चंद्रशेखर की जीत की वजहों की बात करें तो वे नगीना सीट पर अन्‍य प्रत्‍याशियों के मुकाबले पहले से ही मैदान में उतरे हुए थे. मुस्लिम और दलित वोटरों की बहुलता को भांप चुके थे और सड़क, गलियों से लेकर घर-घर तक जाकर प्रचार कर रहे थे. लोगों की समस्‍याओं को सुन रहे थे. उन्‍हें आश्‍वासन दे रहे थे कि उनकी हर समस्‍या का समाधान सांसद चुनकर आने पर वो करेंगे. चंद्रशेखर की फैन फॉलोइंग अच्‍छी खासी है. खासकर दलित युवा तो उन्‍हें बहुत पसंद करते हैं. स्‍थानीय पत्रकारों के अनुसार, केवल युवा ही नहीं 40 से 50 साल की उम्र के दलित वर्ग का साथ भी उन्‍हें मिला. चुनाव प्रचार के दौरान बड़ी संख्‍या में दलित और मुस्लिम युवाओं की भीड़ उनकी यात्रा में होती. खुद चंद्रशेखर गलियों, सड़कों की बुरी हालत.. नालियों, जल निकासी की समस्‍या को बड़ा मान रहे थे. वे अन्‍य प्रत्‍याशियों के मुकाबले काफी आक्रामक प्रचार में रहे और ऐसा कर लोगों से कनेक्‍ट हुए. बीजेपी के प्रति इस सीट पर मतदाताओं का कोई खासा झुकाव नहीं था. सपा का मैजिक इस सीट पर मुस्लिम वोटरों इसलिए नहीं चला, क्‍योंकि वे उनसे नाराज बताए जा रहे थे, जोकि नतीजों से साबित भी हुआ. सपा प्रत्‍याशी मनोज कुमार को यहां केवल 102,374 वोट मिले और तीसरे नंबर पर रहे. उन्‍हें चंद्रशेखर आजाद ने 410,178 वोटों के बड़े अंतर से हराया. बसपा की गत भी यहां बुरी हुई. उसके प्रत्‍याशी सुरेंद्र पाल सिंह को तो दलित, मुस्लिम वोटरों ने नकार ही दिया. उन्‍हें केवल 13,272 वोट मिले. चंद्रशेखर आजाद की जीत के बाद उन्‍हें उत्‍तर प्रदेश में मायावती के बाद अगले दलित आइकन के रुप में देखा जाने लगा है. भीम आर्मी जैसे संगठन को खड़ा कर उसे मजबूत बनाने, दलित उत्‍पीड़न की घटनाओं के खिलाफ जमकर हल्‍ला बोलने और आंदोलन कर देने की उनकी अप्रोच ने इस सफलता में बड़ी भूमिका निभाई. आजाद समाज पार्टी को भी उन्‍होंने कम समय में काफी चर्चा में ला दिया. चंद्रशेखर की जीत के मायने भी निकाले जा रहे हैं. सांसद बनते ही उनके दलितों के बीच पसंदीदा बनने की चर्चाएं भी सियासी गलियों में होने लगी हैं. दलित वोटर्स में स्पष्ट बदलाव का संकेत भी ये सीट दे रही है. Tags: Bhim Army, Chandrashekhar Azad, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Nagina lok sabha electionFIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 16:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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