135 साल पुरानी है यह लाइब्रेरी यहां मौजूद हैं 70 हजार से अधिक किताबें
135 साल पुरानी है यह लाइब्रेरी यहां मौजूद हैं 70 हजार से अधिक किताबें
दरअसल जो बहुमंजिला इमारत है उसमें वर्तमान में हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और संस्कृत जैसी विभिन्न भाषाओं की लगभग 70,000 किताबें हैं, जिनमें हिंदी सामग्री अन्य से अधिक है.
वसीम अहमद/अलीगढ़. जैसे ही ट्रेन अलीगढ़ से दिल्ली की ओर जाती है, बाईं ओर अलीगढ़ के रेलवे रोड के पार एक ऊंची किले जैसी संरचना देखी जाती है. यह एक सार्वजनिक पुस्तकालय है. जिसका नाम पंडित मदन मोहन मालवीय के नाम पर रखा गया. जो एक दो नहीं बल्कि 70,000 किताबों का पुस्तकालय है.
दरअसल जो बहुमंजिला इमारत है उसमें वर्तमान में हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और संस्कृत जैसी विभिन्न भाषाओं की लगभग 70,000 किताबें हैं, जिनमें हिंदी सामग्री अन्य से अधिक है. यह एक सार्वजानिक पुस्तकालय है. जहां छात्र-छात्राएं आते हैं और अपने-अपने विषय की किताबों से अध्ययन करते हैं. जो कि बिलकुल मुफ्त है. यहां आने वाला स्टूडेंट्स कोई नीट की तो कोई पीसीएस तो कोई किसी अन्य विषय की तैयारी करता है. क्योंकि तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को यहां उसकी जरूरत की सभी किताबें मिल जाती हैं.
जानिए कब हुई थी स्थापना?
जानकारी देते हुए लाइब्रेरियन गौरी शंकर शर्मा ने बताया कि पुस्तकालय का नाम पहले प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर अल्फ्रेड कॉमिन्स लायल के नाम पर रखा गया था. जिसे 1884 में नियुक्त किया गया था.इस पुस्तकालय की नींव 1889 में रखी गई थी. पुस्तकालय को 1902 में पूरा किया जाना था, लेकिन 1904 में अस्तित्व में आया. यह भारतवर्ष नेशनल एसोसिएशन ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है.
पुस्तकालय के लाइब्रेरियन गोरी शंकर शर्मा ने LOCAL 18 को बताया कि, 1947 में पुस्तकालय का नाम मदन मोहन मालवीय के नाम पर रखा गया था. बताया जाता है कि मदन मोहन मालवीय ने हिंदी के लिए बहुत काम किया. इसी वजह से इसका नाम मालवीय पुस्तकालय दिया गया. वर्तमान में इसमें उर्दू, फारसी, अरबी, हिंदी, संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं में 70,000 पुस्तकें हैं. यह उत्तर प्रदेश सरकार से 5,000 रुपए के अनुदान पर चलता है. पुस्तकालय मे करीब 150 सदस्य हैं.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 15, 2024, 14:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed