यह जानबूझकर देरीकोर्ट को पीड़ा हाईकोर्ट ने कहा- क्या हम आंखें मूंद लें
यह जानबूझकर देरीकोर्ट को पीड़ा हाईकोर्ट ने कहा- क्या हम आंखें मूंद लें
West Bengal News: कलकत्ता हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल को भी आरोपी लोकसेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी देने में देरी पर नाराजगी जताई थी और मुख्य सचिव को 23 अप्रैल तक निर्णय लेने का निर्देश दिया था. मामले की पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अदालत के समक्ष कहा था कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.
कोलकाता. कलकत्ता हाईकोर्ट ने साल 2016 के स्कूल नौकरी मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा गिरफ्तार पूर्व लोकसेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने पर निर्णय लेने में पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव द्वारा किये गए विलंब पर ‘क्षोभ’ जताया है. हाईकोर्ट ने 23 अप्रैल को इस मामले में शीर्ष अधिकारी को 2 मई तक फैसला करने का निर्देश दिया था. हालांकि, पश्चिम बंगाल की सरकार ने मंजूरी देने पर निर्णय लेने के लिए 7 सप्ताह का समय मांगा था. हाईकोर्ट ने सरकार के इस रवैये को ‘जानबूझकर की गई देरी’ करार दिया और कहा कि मंजूरी देने वाला प्राधिकारी अभियोजन की मंजूरी पर निर्णय लेने में देरी करके अभियोजन को फंसाकर नहीं रख सकता.
जस्टिस जॉयमाल्या बागची की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि मुख्य सचिव को मंजूरी देने के मुद्दे पर बार-बार निर्देश देने के बावजूद देरी से उसे पीड़ा है. खंडपीठ ने कहा कि वह शुक्रवार को पक्षों को सुनेगी और आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर निर्णय लेगी. पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी ने मामले में गिरफ्तार किए गए अन्य पूर्व लोकसेवकों के साथ अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की. चटर्जी हिरासत मे बंद आरोपियों में से एक हैं.
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7 सप्ताह का मांगा वक्त
मुख्य सचिव ने राज्य के महाधिवक्ता के माध्यम से सीबीआई द्वारा मंजूरी के आवेदन पर निर्णय लेने के लिए 7 सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया. अदालत ने कहा कि आरोपी व्यक्ति लोकसेवक थे और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप है. इस मामले में आरोप पत्र दायर किया गया है, ऐसे में मंजूरी देने पर निर्णय लेना एक स्वत: प्रक्रिया है. हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि अदालत को इस पर कठोर रुख अपनाने के लिए बाध्य किया जा रहा है.
क्या बोले महाधिवक्ता?
महाधिवक्ता किशोर दत्त ने कहा कि इस अदालत को मंजूरी के सवाल पर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इस मामले में निर्णय लेने का मुद्दा आरोपी व्यक्तियों द्वारा जमानत याचिका है. हाईकोर्ट ने कहा कि उसके सामने मामला निश्चित रूप से यह है कि आरोपी व्यक्तियों को जमानत पर रिहा किया जाए या नहीं. कोर्ट ने कहा, ‘अगर यह हमारे सामने आता है कि एक विशेष एजेंसी आपराधिक न्याय की प्रक्रिया को क्षति पहुंचा रही है, तो क्या अदालत आंखें मूंद लेगी?’ 9 अप्रैल को भी पीठ ने मंजूरी देने में देरी पर नाराजगी जताई थी और मुख्य सचिव को 23 अप्रैल तक निर्णय लेने का निर्देश दिया था. मामले की पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अदालत के समक्ष कहा था कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.
Tags: Calcutta high court, Kolkata NewsFIRST PUBLISHED : May 3, 2024, 08:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed