पीने के पानी में मिले कैंसर पैदा करने वाले तत्व IIT की रिसर्च में बड़ा खुलासा
पीने के पानी में मिले कैंसर पैदा करने वाले तत्व IIT की रिसर्च में बड़ा खुलासा
IIT Research on contaminated Water: उत्तर भारत में पानी की बहुत खराब स्थिति है. कुछ ऐसा ही हाल हिमाचल प्रदेश के बद्दी-बरोटीवाला इंडस्ट्रियल एरिया का है. यहां कारखानों की वजह से जमीन के नीचे के पानी में जहरीले पदार्थ मिल गए हैं.
मंडी. गर्मियों में अक्सर पानी की किल्लत बढ़ जाती है और ऐसे में लोग पानी की बूंद-बूंद का सही इस्तेमाल करते हुए भी नजर आते हैं, लेकिन आपको उस समय झटका लगेगा, जबकि पता चलेगा कि जो पानी आप इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है. दरअसल, यह हम नहीं, बल्कि आईआईटी मंडी और शोधकर्ताओं की एक सर्च रिपोर्ट कह रही है.
हिमाचल प्रदेश में आईआईटी मंडी और आईआईटी जम्मू के शोधकर्ताओं ने उत्तरी भारत के भूजल में कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषक तत्वों का पता लगाया है. सूबे के सोलन जिले में बद्दी-बरोटीवाला औद्योगिक क्षेत्र के भूजल में कैंसर पैदा करने वाले तत्व मिले हैं.
सर्च में पाया गया है कि भारत में खेती और पीने के लिए ज्यादातर जमीन के नीचे के पानी (भूजल) का इस्तेमाल होता है, लेकिन तेजी से शहर बढ़ने, फैक्ट्री लगने और आबादी बढ़ने की वजह से भूजल का इस्तेमाल बहुत ज्यादा हो गया है और इससे पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है.
रिसर्ट टीम का कहना है कि उत्तर भारत में पानी की बहुत खराब स्थिति है. कुछ ऐसा ही हाल हिमाचल प्रदेश के बद्दी-बरोटीवाला इंडस्ट्रियल एरिया का है. यहां कारखानों की वजह से जमीन के नीचे के पानी में जहरीले पदार्थ मिल गए हैं. जो तय पैमाने से अधिक हैं. ऐसे गंदे पानी को पीने से लोगों को कई बीमारियां हो रही है. इसी की वजह से साल 2013 से 2018 के बीच कैंसर और किडनी की बीमारी के भी बहुत मामले सामने आए हैं.आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपक स्वामी और उनके शोध छात्र उत्सव राजपूत ने आईआईटी जम्मू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नितिन जोशी के साथ मिलकर रिसर्च की. इस शोध पत्र प्रतिष्ठित जर्नल साइंस ऑफ द टोटल एनवायरमेंट में प्रकाशित हुआ है.
रिसर्ट टीम ने बद्दी-बरोटवाला के औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति का पता लगाने के लिए एक ज़मीनी-अध्ययन किया. अध्ययन का मुख्य उद्देश्य भूजल में मिलने वाले रासायनिक तत्वों का विश्लेषण करना था. जांच से पता चला है कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो निचला हिमालयी क्षेत्र कुछ समय में चिंताजनक स्थिति में पहुंच सकता है. शोध में उन्होंने क्षेत्र के भूजल के रासायनिक गुणों की जांच करने के अलावा, यह भी पता लगाया है कि जमीन में पाए जाने वाले हानिकारक धातुओं की मात्रा में भौगोलिक रूप से क्या अंतर होता है.
पानी के सभी नमूनों में यूरेनियम की मात्रा एक समान पाई गईः टीम
आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपक स्वामी ने बताया कि शोध में पता चला है कि क्षेत्र का भूजल चट्टानों से प्रभावित है. खासकर कैल्शियम कार्बोनेट वाली चट्टानों से. पानी के सभी नमूनों में यूरेनियम की मात्रा एक समान पाई गई है. वहीं, ज़्यादातर धातुओं के स्रोत औद्योगिक इकाइयां हैं. जबकि यूरेनियम और मोलिब्डेनम प्राकृतिक रूप से पाए गए हैं. शोध में यह भी पता चला कि दूषित भूजल पीने से वयस्कों और बच्चों दोनों को स्वास्थ्य संबंधी खतरे हो सकते हैं. यह खतरा मुख्य रूप से प्राकृतिक यूरेनियम के कारण हैं, लेकिन जस्ता, सीसा, कोबाल्ट और बेरियम जैसी धातुओं की मौजूदगी भी खतरनाक है, जो औद्योगिक स्रोतों से आती हैं.वयस्कों के लिए सबसे ज्यादा खतरा कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाला) पाया गया, जो मुख्य रूप से निकेल और क्रोमियम जैसी औद्योगिक धातुओं की वजह से है.
Tags: Cancer Survivor, Clean water, Drinking water crisis, Himachal pradesh, Himachal Pradesh News Today, Iit, Mandi City, World Cancer DayFIRST PUBLISHED : June 14, 2024, 09:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed