दान के बदले वरदान कुछ यूं बलिया से आरंभ हुई रक्षाबंधन की परंपरा भगवान भी
दान के बदले वरदान कुछ यूं बलिया से आरंभ हुई रक्षाबंधन की परंपरा भगवान भी
Raksha Bandhan 2024: प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने लोकल 18 को बताया कि यही बात तो सबसे महत्वपूर्ण है कि बलिया का रक्षाबंधन से क्या नाता रहा है. जिले का नामकरण, इसका प्राचीन नाम बालियाग है. अर्थात संस्कृत में यज्ञ को याग कहा जाता है राजा बलि ने जिस स्थान पर यज्ञ किया वह स्थान बलियाग के नाम से प्रसिद्ध हुआ. कालांतर में "ग" अक्षर का लोप हो गया और बलिया हो गया.
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: संत महात्माओं और भृगु मुनि को मोक्ष देने वाली इस पावन धरती की कहानी बड़ी अद्भुत है. जैसा कि हम सभी जानते हैं रक्षाबंधन का पर्व बेहद करीब आ चुका है. खासतौर से भाई और बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक इस पर्व का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. रक्षाबंधन से बलिया का कितना गहरा नाता है, ये कहीं न कहीं बेहद महत्वपूर्ण है. इसी पावन भूमि पर दानवीर बलि ने यज्ञ किया था, जिसके कारण इसका नाम बालियाग पड़ा, अंत में ग अक्षर का लोप हुआ और बलिया हो गया. शक्तिशाली बलि ने दान के बाद वरदान से भगवान विष्णु को भी बंधक बना लिए थे. इसके बाद माता लक्ष्मी ने इसी रक्षासूत्र को बांधकर अपने श्री हरि विष्णु को छुड़ाया था.
जैसा कि हम जानते हैं येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।। कहने का अर्थ यह है कि “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी से मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा. आइए विस्तार से जानते है.
प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने लोकल 18 को बताया कि यही बात तो सबसे महत्वपूर्ण है कि बलिया का रक्षाबंधन से क्या नाता रहा है. जिले का नामकरण, इसका प्राचीन नाम बालियाग है. अर्थात संस्कृत में यज्ञ को याग कहा जाता है राजा बलि ने जिस स्थान पर यज्ञ किया वह स्थान बलियाग के नाम से प्रसिद्ध हुआ. कालांतर में “ग” अक्षर का लोप हो गया और बलिया हो गया.
इसी पावन भूमि राजा बलि ने किया था यज्ञ
अब हम बात करें रक्षाबंधन पर्व की तो यह पर्व ही राजा बलि के बालियाग से शुरू हुआ. गुरु शुक्राचार्य ने सानिध्य में दानवीर असुरेंद्र राजा बलि ने यज्ञ किया था. यज्ञ में दान मांगने के लिए भगवान विष्णु को वामन रूप पकड़ करके और उस यज्ञ में दान मांगने के आना पड़ा था. कथानक के अनुसार, “जब राजा बलि दान को स्वीकार किए. ब्राह्मण (वामन रूप में विष्णु) दान में केवल तीन पग भूमि मांगे थे. इस बात को सभी जानते हैं कि संपूर्ण ब्रह्मांड को अर्थात राजा बलि के संपूर्ण साम्राज्य को भगवान विष्णु ने नाप लिया.
दान के बाद वरदान से भगवान बने बंधक
अंततः राजा बलि को बंदी बनाकर पाताल लोक में भेज दिया गया. राजा बलि ने कहा कि प्रभु मैं दान तो आपको दे दिया. लेकिन उसके बदले में मुझे वरदान तो मिलना चाहिए. चुकी भगवान विष्णु को दान के बदले वरदान देने की बाध्यता भी थी. विष्णु जी से बलि ने दान में मांगा कि “आप मेरे सामने ही रहेंगे.” अब यह हुआ कि पाताल लोक में विष्णु जी को बलि लेकर चले गए. इधर देवलोक में माता लक्ष्मी बहुत परेशान हो गई.
माता लक्ष्मी ने रक्षासूत्र से विष्णु को छुड़ाया
सभी ने मिलकर रास्ता निकाला कि राजा बलि के सामने माता लक्ष्मी जाए और राजा बलि को भाई बना ले. वही रक्षा सूत्र बांध करके उन्होंने सबसे पहले राजा बलि को भाई बनाया और उसके बदले में उन्होंने अपने पति श्री हरि विष्णु को मांग लिया. यह पौराणिक काल की घटना है. इसके बाद बहुत सारी कहानियां मिलती है. द्रौपदी ने श्री कृष्ण को बांधा इसके बाद फिर मुगल काल में चित्तौड़ की महारानी कर्णावती द्वारा बादशाह हुमायूं को रक्षा सूत्र बांधकर करके भाई बनाकर क्षत्राणियों की रक्षा करने के उल्लेख के साथ ही वर्तमान में यह परंपरा जारी है. इस दिन बहनें रक्षासूत्र के साथ अपनी रक्षा का वचन प्राप्त करती है.
Tags: Ballia news, Local18, Rakshabandhan festival, Religion 18FIRST PUBLISHED : August 18, 2024, 12:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed