रहस्यों से भरा है ये शिव मंदिर खुदाई में नहीं मिला शिवलिंग का अंत मुस्लिम भी
रहस्यों से भरा है ये शिव मंदिर खुदाई में नहीं मिला शिवलिंग का अंत मुस्लिम भी
Dudheshwar Nath Mahadev Mandir Ballia: गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले यह शिवलिंग वट वृक्ष के पास था, और लोग इसकी नियमित पूजा करते थे. जब वट वृक्ष गिर गया, तो वहां एक चबूतरा बनाकर पूजा शुरू हुई. गांव के कुछ लोगों ने शिवलिंग की गहराई जानने के लिए इसे खोदने की कोशिश की, लेकिन जितनी खुदाई होती, शिवलिंग उतना ही मोटा होता जाता. अंततः एक व्यक्ति को बिच्छू ने डंक मार दिया, जिसके बाद खुदाई रोक दी गई.
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: धार्मिक स्थलों की मान्यताएं और पौराणिक कथाएं अक्सर उन्हें प्रसिद्ध बनाती हैं. लेकिन आज हम आपको उत्तर प्रदेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिसकी कहानी बेहद रोचक है. यह बलिया जिले के गड़वार थाना क्षेत्र के बरवा गांव में स्थित दूधेश्वर नाथ महादेव का मंदिर है. इस पवित्र स्थल पर लोगों की मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है, जिसके कारण यहां भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है. मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग बड़ी संख्या में दर्शन करने आते हैं.
मंदिर के प्रति मुस्लिम समुदाय की गहरी आस्था की बात बताते हुए बुजुर्ग मोहम्मद अली अंसारी कहते हैं कि यह मंदिर काफी प्राचीन है और मुस्लिम समुदाय के लोगों की भी यहां गहरी आस्था है. कई मुस्लिम भक्तों की मनोकामनाएं यहां से पूरी हो चुकी हैं, चाहे वह नौकरी की हो या पुत्र रत्न की प्राप्ति की. पहले यह शिवलिंग वट वृक्ष के पास स्थित था, जिसे बाद में मंदिर में प्रतिस्थापित किया गया.
शिवलिंग का नहीं मिल पाया अंत
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले यह शिवलिंग वट वृक्ष के पास था, और लोग इसकी नियमित पूजा करते थे. जब वट वृक्ष गिर गया, तो वहां एक चबूतरा बनाकर पूजा शुरू हुई. गांव के कुछ लोगों ने शिवलिंग की गहराई जानने के लिए इसे खोदने की कोशिश की, लेकिन जितनी खुदाई होती, शिवलिंग उतना ही मोटा होता जाता. अंततः एक व्यक्ति को बिच्छू ने डंक मार दिया, जिसके बाद खुदाई रोक दी गई. इस घटना के बाद मंदिर की ख्याति और बढ़ गई, और धीरे-धीरे यह एक भव्य मंदिर के रूप में स्थापित हो गया.
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सूखा पड़ने पर विशेष पूजा, तब होती है बारिश
गांव के बुजुर्गों के अनुसार, जब गांव में सूखा पड़ता है और बारिश की कोई संभावना नहीं रहती, तब गांव के लोग गंगा किनारे जाकर स्नान करते हैं और वहां से जल भरकर इस शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. गंगाजल चढ़ाने के बाद गांव में एक बड़े बाल भोज का आयोजन होता है, जिसके बाद बारिश होती है. इस प्रथा की पुष्टि मुस्लिम समुदाय के प्रख्यात बुजुर्ग मोहम्मद अली अंसारी ने भी की है.
Tags: Ballia news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 19, 2024, 11:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed