एक बेजुबान बंदर ने सबको रुला दिया जानें दर्दभरी कहानी

Monkey Death in Ballia: बलिया में भृगु आश्रम के पास करेंट की चपेट में आने से एक बंदर गंभीर रूप से घायल हो गया था. जहां स्थानीय लोगों के इलाज के बाद भी उसकी मृत्यु हो गई. बंदर की मौत के बाद लोगों ने गंगा के किनारे उसका अंतिम संस्कार किया.

एक बेजुबान बंदर ने सबको रुला दिया जानें दर्दभरी कहानी
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: सबसे अनोखी और दिल को छू जाने वाली तस्वीर शायद ही देखने को मिल पाती हो, लेकिन आज हम जो बेजुबान की तस्वीर आपको दिखाने जा रहे हैं. वह कहीं न कहीं हर किसी के दिल को झकझोर देगी. होता कुछ यूं है की एक घायल बंदर की सहायता करने के लिए कुछ लोग आगे बढ़ते हैं. बंदर डरकर उन्हें काटने दौड़ता है, लेकिन लोगों के अथक प्रयास से अंत में यह बेजुबान को भी शायद अनुभव हो जाता है कि ये हमारी मदद करेंगे. उसके बाद बंदर ने जो किया, उसने सहयोगियों का दिल जीत लिया, लेकिन खुदा को कुछ और ही मंजूर था. तीन दिन बाद बंदर की मृत्यु हो जाती है. बंदर की मृत्यु के बाद विधि विधान से लोग बंदर का अंतिम संस्कार करते हैं, लेकिन जो इससे पहले हुआ उसको देख और सुनकर आप भी बेजुबानों के दर्द को समझने को मजबूर जरूर हो जाएंगे. आखिर ऐसा क्या हो गया कि एक बेजुबान सबको रुला कर चला गया. लोगों ने बंदर की मृत्य के बाद लिया संकल्प बलिया के भृगु आश्रम निवासी आशीष कुमार वर्मा और विकास पांडेय लाल इत्यादि स्थानीय लोगों ने कहा कि यहां की 3 से 4 दिन पुरानी घटना बहुत कुछ सीखाकर चली गई. इंसान तो अपना दर्द बता सकता है, लेकिन यह बेजुबान अपना दर्द आखिर किससे कहेंगे. यह हम सभी को समझना बहुत जरूरी है. आखिर इन बेजुबानों का कौन है ? यहां तक की लोकल 18 के माध्यम से बंदर का सहयोग करने वाले लोगों ने गंगा तट पर संकल्प लिया कि आज के बाद दो घंटा बेजुबानों को समर्पित करेंगे. करेंट लगने से घायल हुआ था बंदर लोगों ने आगे बताया कि भृगु आश्रम निकट स्थित करंट की चपेट में आने से एक बंदर घायल हो गया था. जिसे देखने के बाद , लोगों ने उसके इलाज कराने के बारे में सोचा.  लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद हाथों से घायल बंदर की मरहम पट्टी किया.  इसके साथ ही पशु अस्पताल के चिकित्सकों से मदद लेकर उसका इलाज कराया. यहां तक यह बंदर जब लोग मरहम पट्टी कर रहे थे, तो धीरे-धीरे अपने हाथों से हम लोगों का हाथ पकड़ रहा था. सब मिलाकर 4 दिनों में इस बेजुबान से एक अलग अपनत्व जैसा लगाव हो गया था. इन सब प्रयास के बावजूद भी इस बंदर की आखिरकार मृत्यु हो गई. गंगा किनारे हुआ बंदर का अंतिम संस्कार बता दें कि इन चार दिनों में ही स्थानीय लोगों ने इस बंदर का नाम बजरंगी रख दिया था. अंततः मृत्यु के बाद लोगों ने गंगाजल से धोकर एक स्थान पर बंदर को रखा. कपड़े में लपेटकर फूल चढ़ाया. इसके बाद महावीर घाट पर गंगा के किनारे बंदर का अंतिम संस्कार किया. इस बेजुबान की मृत्यु के बाद स्थानीय लोगों ने बताया कि बेजुबानों के दर्द को लोगों को अवश्य समझना चाहिए. इसमें जो सुकून मिलता है वह कहीं नहीं मिलेगा. लोग इस बंदर की मृत्यु से काफी दुखी और भावुक हो गए थे. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : July 29, 2024, 10:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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