इस विधि से करें चना की खेती रोग लगने की संभावना हो जाएगी खत्म

कृषि एक्सपर्ट डॉ. कौशल कुमार पांडेय ने बताया कि बलिया जनपद के सोहाव क्षेत्र की मिट्टी दलहन और खास तौर पर चना के लिए बेहद शानदार है. समय से बुवाई के लिए अच्छी प्रजातियों में अवरोधी, AK 850 और आधार आदि का बुवाई कर सकते हैं. अगर देर हो गया तो उसके लिए बलिया में अच्छी पैदावार देने वाली उदय केपीजी प्रजाति की बुवाई कर सकते हैं.

इस विधि से करें चना की खेती रोग लगने की संभावना हो जाएगी खत्म
बलिया. किसानों की यह चिंता होती है कि आखिर कौन सी फसल की खेती करें, जिससे अधिक मुनाफा कमाया जा सके. किसानों की इसी चिंता को दूर करने के लिए लोकल 18 ने कृषि एक्सपर्ट से बात की. एक्सपर्ट के मुताबिक मौसम के हिसाब से फसलों का चयन कर खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद साबित होता है. खास तौर पर बलिया की मिट्टी में चने की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है. इसमें किसानों को ज्यादा खर्च करने की भी जरूरत नहीं पड़ती है. उकठा रोग लगने पर करें ये उपाय श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के सस्यविज्ञान के प्रवक्ता एवं कृषि फॉर्म प्रभारी डॉ. कौशल कुमार पांडेय ने लोकल 18 को बताया कि चने की खेती के लिए तैयारी करने का समय आ गया है. इस समय खेत की गहरी जुताई कर खरपतवार निकाल लेना अति आवश्यक होता है. मुख्य रूप से चना की बुवाई ऊंची जमीन पर की जाती है, ताकि पानी का जमाव ना हो सके. चने में उकठा रोग लग जाने पर इसके निवारण के लिए भूमि और बीज शोधन बेहद जरूरी है. इसके लिए किसान ट्राइकोडर्मा पाउडर का प्रयोग कर सकते हैं. ध्यान रहे कि खेत की तैयारी करते समय ही गोबर की सड़ी हुई खाद में ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाकर छिड़काव करना है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में इसकी बुवाई कर देने पर पैदावार अधिक मिलती है. चना की ये है बेस्ट वैरायटी बलिया जनपद के सोहाव क्षेत्र की मिट्टी दलहन और खास तौर पर चना के लिए बेहद शानदार है. समय से बुवाई के लिए अच्छी प्रजातियां जैसे अवरोधी, AK 850 और आधार आदि का बुवाई कर सकते हैं. अगर देर हो गया तो उसके लिए बलिया में अच्छी पैदावार देने वाली उदय केपीजी प्रजाति की बुवाई कर सकते हैं. समय से बुवाई करने पर अवरोधी प्रजाति से 25-30 क्विंटल, AK 850 प्रजाति से 25-30 क्विंटल और उदय प्रजाति (देर से बुवाई करने वाली) 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होता है. वहीं बलिया जनपद में इससे भी ज्यादा पैदावार प्राप्त किया जा सकता है. वहीं पौध से पौध की दूरी 30-35 सेमी और बीच की गहराई 6-8 सेमी एवं लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर रखना चाहिए. ऐसे करें चना के बीज को उपचारित बाजार में 200 ग्राम का राइजोबियम पाउडर का एक पैकेट मिल जाता है. यह 10 किलो बीज के लिए पर्याप्त होता है. इस पाउडर से बीज को उपचारित कर बुवाई करने पर ना केवल रोग व्याधि से बचाव होता है बल्कि परिणाम भी बेहद शानदार मिलते हैं. नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने पर गांठे ज्यादा निकलती है, जिससे पैदावार में वृद्धि होती है और बाजारू खाद उर्वरक का प्रयोग भी कम करना पड़ता है. Tags: Agriculture, Ballia news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 21, 2024, 16:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed