गामा पहलवान ने यहां सीखा था कुश्ती के दांव-पेच इस फूड आइटम के थे दीवाने

मौला बख्श पहलवान के पोते मो. इब्राहिम ने बताया कि गामा पहलवान जब बहराइच आए तो उनके साथ कई लोग थे. उनका बावर्ची, चेला और वे खुद रात को 2 बजे ही जाग जाया करते थे और कसरत करना चालू कर देते थे. उनके खाने के लिए एक बकरा रोज काटा जाता था. जिसकी बिरयानी बनती थी. गामा पहलवान को बिरयानी बहुत पसंद था.

गामा पहलवान ने यहां सीखा था कुश्ती के दांव-पेच इस फूड आइटम के थे दीवाने
बहराइच. वर्ल्ड चैंपियन रह चुके गामा पहलवान शायद ही कोई ऐसा हो जो इनका नाम न जानता हो. जाने-माने कराटे योद्धा और अभिनेता ब्रूस ली भी गामा पहलवान के बहुत बड़े फैन थे. आपको बता दें कि गामा पहलवान का बहराइच से खास कनेक्शन रहा है. बहराइच में भी आकर गामा पहलवान रूक चुके हैं. जब बहराइच आए थे तो एक या दो दिन बल्कि यहां एक महीने तक रूके थे. गुलाम मोहम्मद बख्श उर्फ गामा पहलवान का जन्म 22 मई 1878 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव के एक कश्मीरी मुस्लिम पंडित परिवार में हुआ. इनके परिवार में कई विश्वप्रसिद्ध पहलवान हुए थे. छोटी उम्र में पिता का हो गया था निधन गामा पहलवान को दो पत्नियां थी, जिसमें एक पाकिस्तान और दूसरी गुजरात के बड़ोदा की रहने वाली थी.  गामा जब 6 साल के थे तब उनके पिता मोहम्मद अजीज बख्श का निधन हो गया था. उसके बाद उनके नानाजी नुन पहलवान ने उनका पालन किया. नाना के निधन हाने के बाद मामा इड़ा पहलवान ने गामा पहलवान का पालन-पोषण किया. मामा के देखरेख में ही गामा ने पहलवानी की शिक्षा प्रारंभ की थी. बहराइच के चौक बाजार में सन 1860 से स्थापित अहमद अली नाम की लाइसेंसी बंदूक की दुकान है.   1940 में गामा पहलवान यहीं आकर एक महीने तक रुके थे. प्रत्यक्षदर्शी आज भी जीवित हैं और उनका उम्र लगभग 100 साल है. जानिए गामा पहलवान क्यों आए थे बहराइच गामा पहलवान बहराइच एक पहलवान से ही मिलने आए थे. उनका नाम मौला बख्श पहलवान था. जिनसे उन्होंने पहलवानी का दांव-पेंच भी सीखा था. बात 1949 की है, जब गामा पहलवान को खबर मिली कि उत्तर प्रदेश के बहराइच में एक ऐसा पहलवान है जो पहवानी के सारे दांव-पेच जानता है. तब गामा पहलवान ने यह फैसला लिया कि उस पहलवान से मिलने जरूर जाएंगे. गामा पहलवान बहराइच पहुंचकर सीधे मौला बख्श पहलवान के घर पहुंच गए. यहां उनकी मेहमाननवाजी इतनी अच्छी हुई कि एक महीने तक सहीं रूक गए. गामा पहलवान के लिए रोज कटता था बकरा मौला बख्श पहलवान के पोते मो. इब्राहिम जो आज भी जीवित हैं ने बताया कि गामा पहलवान जब बहराइच आए तो उनके साथ कई लोग थे. उनका बावर्ची, चेला और वे खुद रात को 2 बजे ही जाग जाया करते थे और कसरत करना चालू कर देते थे. उनके खाने के लिए एक बकरा रोज काटा जाता था. जिसकी बिरयानी बनती थी. गामा पहलवान को बिरयानी बहुत पसंद था. मौला बख्श के पोते मो. इब्राहिम ने यह भी बताया कि गामा पहलवान उनको गोद में लेकर घुमाया करते थे. Tags: Bahraich news, Indian Wrestler, Local18, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : August 9, 2024, 16:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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