इस मंदिर में भक्तों की हर मुरादें होती है पूरी दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
इस मंदिर में भक्तों की हर मुरादें होती है पूरी दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
डॉ. राजमोहन शर्मा ने बताया कि यह मंदिर अपनी धार्मिक मान्यताओं और वास्तु के लिए प्रसिद्ध है. भक्त यहां अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं और मान्यता है कि भगवान वामन उनकी सभी इच्छाए पूरी करते हैं. हर साल सितंबर में वामन द्वादशी के अवसर पर यहां एक विशेष महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त भाग लेते हैं.
मिर्जापुर. आध्यात्मिक मान्यताओं और देवी-देवताओं की तपोस्थली के रूप में विंध्यक्षेत्र का नाम प्राचीनकाल से लिया जाता रहा है. इस क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक मंदिरों का उल्लेख विभिन्न पुराणों में मिलता है, जो इस स्थान की धार्मिक महत्ता को दर्शाता है.
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में भगवान वामन महराज का मंदिर भी इसी श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह प्राचीन मंदिर भगवान विष्णु के पांचवें अवतार वामन देवता को समर्पित है. मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. हालांकि, इस मंदिर के निर्माण का कोई सटीक ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है.
भगवान वामन सभी इच्छाओं को करते हैं पूर्ण
डॉ. राजमोहन शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि यह मंदिर अपनी धार्मिक मान्यताओं और वास्तु के लिए प्रसिद्ध है. भक्त यहां अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं और मान्यता है कि भगवान वामन उनकी सभी इच्छाए पूरी करते हैं. मंदिर में भगवान की भव्य आरती प्रतिदिन सुबह और शाम को होती है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होते हैं. हर साल सितंबर में वामन द्वादशी के अवसर पर यहां एक विशेष महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त भाग लेते हैं.
यह है भगवान का इतिहास
डॉ. शर्मा के अनुसार भगवान विष्णु ने राजा बलि के अहंकार को समाप्त करने के लिए वामन रूप धारण किया था. कथा के अनुसार वामन भगवान ने तीन पग भूमि मांगी थी, जिसमें उन्होंने दो पगों में धरती और आकाश को नाप लिया और तीसरे पग में राजा बलि ने अपना सिर अर्पित कर दिया. इस घटना के बाद राजा बलि पाताल लोक चले गए.
रक्षाबंधन से जुड़ी है मान्यता
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि रक्षाबंधन का पर्व भी वामन भगवान से जुड़ा हुआ है. राजा बलि ने भगवान विष्णु से वरदान मांगा था कि जब भी वह अपनी आंखें खोलें, सबसे पहले उन्हें विष्णु का दर्शन हो. इस वरदान के चलते विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के साथ रहने लगे. भगवान विष्णु के पाताल जाने के बाद लक्ष्मी माता चिंतित हो गईं और उन्होंने राजा बलि को भाई बनाकर रक्षा बांधी. इसके बाद राजा बलि ने भगवान विष्णु को मुक्त कर दिया.
सच्चे भक्तों की हर मुराद होती है पूरी
स्थानीय भक्त संदीप कुमार गुप्ता ने लोकल 18 को बताया कि भगवान वामन का यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। संदीप कने बताया कि जब भी समय मिलता है यहां दर्शन के लिए आते हैं, क्योंकि यहा सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं हमेशा सफल होती है. भगवान वामन महराज का यह मंदिर ना केवल आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है, जो इस क्षेत्र को और भी विशिष्ट बनाता है.
Tags: Dharma Aastha, Local18, Mirzapur news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 15, 2024, 16:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed