HC ने माना-भारत को इस्लामिक देश बनाने की PFI की थी साजिश 4 फेज की प्लानिंग

हाईकोर्ट ने माना है कि देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की गहरी साजिश गई थी. आरोपियों ने जिन डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल किया उनकी बरामदगी के बाद एजेंसी ने सरकारी तकनीकी लैब में उसका परीक्षण करवाया. इस परीक्षण में हजारों ऐसे वीडियो मिले जिसमें इन साजिशों के बारे में बताया गया है.

HC ने माना-भारत को इस्लामिक देश बनाने की PFI की थी साजिश 4 फेज की प्लानिंग
हाइलाइट्स हाईकोर्ट ने माना-भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की पीएफआई की थी साजिश. चार चरण की पीएफआई ने खतरनाक प्लानिंग बना कर रखी थी-पटना हाईकोर्ट. देशवासियों को जातियों में बांटने, साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने की थी बड़ी प्लानिंग. देश का संविधान पलटने और इस्लामिक कानून लागू करने का था PFI का मंसूबा. पटना. 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना में आयोजित कार्यक्रम के दौरान गड़बड़ी फैलाने की प्लानिंग की गई थी. इसके जरिये देश के सांप्रदायिक  माहौल को बिगड़ने और भारत के संविधान की जगह इस्लामी कानून स्थापित करने की साजिश रचने वाले पांच आरोपियों की पटना हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दी है. मंजर आलम और चार दूसरे आरोपियों की आपराधिक अपील पर एक साथ सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है. अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने से संबंधित आदेश में पटना हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. पटना उच्च न्यायालय ने माना है कि एनआईए ने इस साजिश की जांच में अब तक पर्याप्त सबूत जुटा लिए हैं. इस साजिश के दो मुख्य आरोपियों अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन के खिलाफ एजेंसी ने जो आरोप पत्र दायर किया था, उसके हवाले से कई सनसनीखेज सबूत का उल्लेख हाईकोर्ट ने अपने आदेश में किया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि साजिश के तहत पीएफआई और सिमी के बैनर तले लोगों को संगठित कर पूरे देश में धार्मिक उन्माद चार चरणों में फैलाना था, ताकि इस्लामी राज्य को स्थापित किया जा सके. कोर्ट ने बताया है कि इस्लामिक साजिश के तहत जिन चार चरणों के तहत जो प्लानिंग की गई थी उसके अनुसार, सबसे पहले भारत के मुसलमान को संगठित कर हथियारों का प्रशिक्षण देना था दूसरा चुने गए जगह पर दूसरे धर्म के लोगों को निशाना बनाकर हमला कर दहशत फैलाना था. तीसरे चरण में एससी-एसटी के साथ  मिलकर हिंदुओं में विभाजन करना था. आखिरी चरण में देश की पुलिस, फौज और न्यायपालिका में घुसना था. इन सबूतों के आधार पर केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने जमानत का कड़ा विरोध किया. पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह पाया कि इन सारी साजिशों को पूरा करने के लिए आरोपियों ने जिन डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल किया उनकी बरामदगी के बाद एजेंसी ने सरकारी तकनीकी लैब में उसका परीक्षण करवाया. इस परीक्षण में हजारों ऐसे वीडियो मिले जिसमें इन साजिशों के बारे में बताया गया है. इन सभी साजिशों में आरोपियों की भी संलिप्त के आम सबूत भी हासिल हुए हैं. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना के कार्यक्रम में गड़बड़ी फैलाने की साजिश की सूचना पर पुलिस ने 11 जुलाई 2022 को फुलवारी में मोहम्मद जलालुद्दीन के घर छापा मार कर उसके किराएदार जाहिद परवेज के पास से जब्त दस्तावेज और उपकरण बरामद किया था. देश में सांप्रदायिक तनाव और देश के अखंडता के खिलाफ साजिश रचने का मामला फुलवारी थाने में रजिस्टर्ड किया गया था. मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसकी जांच NIA से कराने का फैसला लिया था. 22 जुलाई 2022 को केंद्र सरकार ने इस बारे में आदेश जारी कर दिया. इसके बाद गिरफ्तार किए गए जलालुद्दीन और अतहर ने अपने कन्फेशनल स्टेटमेंट में दूसरे साजिशकर्ताओं का भी नाम बताया था. इनमें इन पांच अग्रिम जमानतकर्ताओं के नाम भी शामिल थे. Tags: Bihar latest news, Bihar News, Patna high courtFIRST PUBLISHED : May 8, 2024, 12:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed