बरसात से पहले बकरी पालक जरूर कर लें यह काम वरना हो जाएगा भारी नुकसान

रायबरेली के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ इंद्रजीत वर्मा (एमवीएससी वेटनरी) बताते हैं कि बकरियों में होने वाला पीपीआर रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो बारिश के महीने में प्रभावी हो जाती है.

बरसात से पहले बकरी पालक जरूर कर लें यह काम वरना हो जाएगा भारी नुकसान
 सौरभ वर्मा/रायबरेली:  मानसून का आना किसानों के लिए एक खुशी के पैगाम की तरह होता है.परंतु पशुपालकों के लिए मानसून की यह पहली बारिश चिंताजनक होती है. क्योंकि बारिश में पशुओं मे बीमारी का खतरा बना रहता है .इसीलिए पशुपालकों को जरूरी है कि वह मानसून से पहले ही अपने पशुओं का टीकाकरण जरूर करा दें. खासकर बकरी पालन करने वाले किसान अपनी बकरियों का टीकाकरण जरूर करा लें. क्योंकि बारिश में बकरियां में पीपीआर रोग का खतरा बना रहता है. इसीलिए इससे बचाव के लिए बकरी पालक किसान अपनी बकरियों में पीपीआर का टीका लगवा कर उन्हें इस जानलेवा बीमारी से बचा सकते हैं. तो आइए पशु विशेषज्ञ से जानते हैं पीपीआर रोग से बचाव के तरीके के बारे में. रायबरेली के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ इंद्रजीत वर्मा (एमवीएससी वेटनरी) बताते हैं कि बकरियों में होने वाला पीपीआर रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो बारिश के महीने में प्रभावी हो जाती है. इसीलिए जरूरी है कि मध्य जून के बाद बारिश शुरू होने से पहले बकरी पालक किसान अपनी बकरियों में इस संक्रामक बीमारी से बचाव के लिए पीपीआर का टीका जरूर लगवाएं. क्योंकि यह एक संक्रामक बीमारी है. मेंमनों में फैलता है यह संक्रमण  वह बताते हैं कि यह संक्रमण खासकर कम उम्र की बकरियों एवं मेंमनों के साथ एक कुपोषित व परजीवी ग्रस्त बकरियां में जल्दी प्रभावित होता है. यह हैं लक्षण  पशु चिकित्सा अधिकारी बताते हैं कि पीपीआर बीमारी का संक्रमण होने पर बकरी को तेज बुखार आता है. साथ ही दो से तीन दिन के बाद मुंह में  छाले पड़ जाते हैं. मुंह व नाक से लसलसे पदार्थ के साथ ही पस आना शुरू हो जाता है. आंखों एवं नाक से चिपचिपा पदार्थ आने लगता है. जिससे उन्हें सांस लेने एवं आंख खोलने में दिक्कत होती है. यह लक्षण दिखाई देने पर तुरंत पशु चिकित्सा अधिकारी से संपर्क कर उनका टीकाकरण करा देना चाहिए. ऐसे करें बचाव  LOCAL 18 से बात करते हुए वेटरिनरी ऑफिसर इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि इससे बचाव के लिए बकरी को चार माह की उम्र में टीके की 1 मिली. डोज लगवाना चाहिए. जो तीन वर्ष तक प्रभावी रहता है. सभी नर बकरी एवं तीन वर्ष तक की उम्र की बकरियां का दो बार टीकाकरण करना चाहिए. साथ ही टीकाकरण करने से पहले बकरियों को कृमिनाशक दवा खिलाना अनिवार्य होता है. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 08:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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