असम सरकार को विपक्ष की नसीहत कहा- बड़ा भाई बनने के चक्कर में जल्दबाजी में ना सुलझाएं सीमा विवाद
असम सरकार को विपक्ष की नसीहत कहा- बड़ा भाई बनने के चक्कर में जल्दबाजी में ना सुलझाएं सीमा विवाद
कांग्रेस ने कहा कि असम और मेघालय सरकार द्विपक्षीय बातचीत के जरिये अंतर सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में बढ़ रहे हैं और इसी तरह का रुख अन्य राज्यों से भी सीमा विवाद सुलझाने के लिए अपनाया गया तो असम को नुकसान होगा.
हाइलाइट्समिजोरम से सीमा विवाद सुलझाने को लेकर कांग्रेस ने राज्य सरकार को नसीहत दी है.असम सरकार ने कहा कि वह विवादों का समाधान करने के लिए ‘‘ कड़े फैसले’’ लेने को तैयार है.असम सरकार ने कांग्रेस पर अनदेखी का आरोप लगाया है.
गुवाहाटी. असम की मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने मंगलवार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार को सलाह दी कि वह स्वयं को ‘‘ बड़े भाई के तौर पर स्थापित’’ करने के लिए पड़ोसी राज्यों से सीमा विवाद को सुलझाने में ‘‘जल्दबाजी’’ नहीं करे क्योंकि इससे राज्य के हितों को नुकसान पहुंच सकता है. वहीं, सरकार ने कहा कि वह विवादों का समाधान करने के लिए ‘‘ कड़े फैसले’’ लेने को तैयार है और कांग्रेस पर सत्ता में रहने के दौरान समस्याओं के समाधान के लिए इच्छा शक्ति नहीं दिखाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि असम और मेघालय सरकार द्विपक्षीय बातचीत के जरिये अंतर सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में बढ़ रहे हैं और इसी तरह का रुख अन्य राज्यों से भी सीमा विवाद सुलझाने के लिए अपनाया गया तो असम को नुकसान होगा.
पार्टी ने कहा कि इस तरह के विवादों का निस्तारण संवैधानिक प्रावधानों और उसके दिशानिर्देशों के अनुरूप चर्चा के आधार पर किया जाना चाहिए. इस मुद्दे को कांग्रेस ने असम विधानसभा में मंगलवार को निजी प्रस्ताव के जरिये उठाया. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया (कांग्रेस विधायक) ने कहा कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा इस विवाद को सुलझाने की कोशिश सफल नहीं रही क्योंकि एक राज्य या दूसरे राज्य ने इस संबंध में सर्वमान्य समाधान तलाशने के लिए समय समय पर गठित समितियों की सिफारिशों का अनुपालन करने से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा, ‘‘ इन विवादों को सुलझाने में सफलता नहीं मिलने पर यह व्याख्या करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि असम ‘डोंडूरा जाति’ (झगड़ालु समुदाय) है क्योंकि भारत के कई अन्य राज्यों में भी लंबे समय से सीमा विवाद लंबित है.’’ सैकिया ने कहा, ‘‘अगर असम सरकार अपने हिस्से के इलाकों को सीमा विवाद के उतावलेपन में किए गए समाधान के लिए छोड़ देती है और बड़े भाई की तरह व्यवहार करने की कोशिश करती है तो हमारे राज्य को नुकसान होगा. सरकार को फैसले की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए बल्कि सद्भावपूर्ण फैसले के लिए और समय लेना चाहिए.’’ कांग्रेस विधायक नंदिता दास, कमलक्ष्य दे पुरकायस्थ और भारत नराह ने भी सीमा विवाद पर ‘‘गहन चर्चा’’ की मांग की और कहा कि उतावलेपन में लिया गया कोई भी फैसला असम के दीर्घकालिक हित में नहीं होगा.’’
चर्चा में शामिल होते हुए संसदीय कार्यमंत्री पीयूष हजारिका ने दावा किया कि दशकों से पड़ोसी राज्यों के साथ सीमा विवाद की वजह से केंद्र के कई नेता असम को ‘‘झगड़ालू’’के तौर पर देखते हैं जबकि वह वास्तव में पीड़ित है. उन्होंने कहा, ‘‘ सीमा विवाद की समस्या हमे दहेज में मिली है. लेकिन हम इस विवाद के समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं और लेन-देन के रुख की जरूरत है.’’ चर्चा का जवाब देते हुए सीमा रक्षा एवं विकास मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि असम से अलग कर राज्यों का गठन करने के तुरंत बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकारों को कदम उठाना चाहिए था, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सीमा विवाद की समस्या ही उत्पन्न न हो. उन्होंने कहा, ‘‘असम से अलग कर राज्यों के गठन के समय कांग्रेस की केंद्र में सरकार थी और पूर्वोत्तर में भी उसकी लंबे समय से सरकार थी. अंतर के समाधान के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होती है.’’
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Tags: Assam, Congress, Himanta biswa sarmaFIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 05:42 IST