बांग्लादेश में लगेगा मार्शल लॉ कैद में रहेगी पब्लिक बदल जाएगा डेली रूटीन!

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद वहां मार्शल लॉ लगा दिया गया है. शेख हसीना पीएम पद से इस्तीफा देकर भारत आ गई हैं. अब सवाल है कि क्या मार्शल लॉ लगाए जाने के बाद बांग्लादेश की स्थिति सुधर जाएगी? क्या वहां भड़की हिंसा की आग थम जाएगी?

बांग्लादेश में लगेगा मार्शल लॉ कैद में रहेगी पब्लिक बदल जाएगा डेली रूटीन!
मार्शल लॉ यानी सैनिक कानून… बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ने के बाद देश में मार्शल लॉ लगाने की आशंका प्रबल हो गई है. मार्शल लॉ वह स्थिति है जब किसी देश में नागरिक कानूनों की जगह सैन्य नियम और कड़े आदेश लागू होते हैं. बांग्लादेश में इससे पहले भी कई बार ये व्यवस्था लागू की गई है. यहां कई बार खूनी सैन्य तख्तापटल हुआ है और इस दौरान मार्शल लॉ लागू किया. बांग्लादेश का इतिहास कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं से भरा हुआ है, जिनमें से मार्शल लॉ एक महत्वपूर्ण भाग है. बांग्लादेश ने 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बना. उसे आजादी दिलाने में भारत ने अहम भूमिका निभाई. इस देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के वर्षों में कई बार राजनीतिक अस्थिरता का सामना किया. इस अस्थिरता के कारण कई बार मार्शल लॉ लागू किया गया. मार्शल लॉ वर्ष 1975 में बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद जनरल जिया उर रहमान ने सत्ता संभाली. उन्होंने देश में मार्शल लॉ लागू किया और एक सैन्य शासन की स्थापना की. इस समय देश में राजनीतिक अस्थिरता और अराजकता थी. जनरल जिया ने नई संविधानों और राजनीतिक सुधारों की ओर कदम बढ़ाया, लेकिन इस शासन के दौरान भी राजनीतिक विरोध और मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं हुईं. मार्शल लॉ के दौरान आम तौर पर नागरिकों के सिविल राइट्स स्थगित कर दिए जाते हैं. ऐसा बांग्लादेश में भी हो सकता है. इस दौरान जनता विरोध प्रदर्शन भी नहीं कर सकती है. ऐसा करने पर सैन्य कार्रवाई की जा सकती है. हर एक व्यवस्था सैन्य अधिकारियों की नजर रहती है. ऐसे में आमतौर पर मार्शल लॉ के दौरान सरकारी तंत्र अच्छी तरह काम करता है. जनता को सीधे तौर पर कोई परेशानी नहीं होती लेकिन उनके सिविल राइज्स सस्पेंड होने की वजह से कई बार वह घूंटन महसूस करती है. 1982 का तख्तापलट वर्ष 1982 में जनरल हुसैन मोहम्मद इरशाद ने एक और सैन्य तख्तापलट के माध्यम से सत्ता संभाली और मार्शल लॉ लागू किया. उनका उद्देश्य बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता लाना और भ्रष्टाचार को समाप्त करना था. इरशाद के शासन के दौरान देश में राजनीतिक सुधार और विकास के कई कदम उठाए गए, लेकिन उनके शासन के तहत भी मानवाधिकार उल्लंघन और राजनीतिक दमन की घटनाएं देखी गईं. मार्शल लॉ का प्रभाव मार्शल लॉ के अंतर्गत कई बार सरकार ने भ्रष्टाचार और अराजकता को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए. हालांकि, ये सुधार अक्सर अस्थायी होते थे और उनकी दीर्घकालिक प्रभावशीलता पर सवाल उठते थे. मार्शल लॉ लागू होने के दौरान, आमतौर पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की अनदेखी की जाती है. सैन्य शासन के दौरान राजनीतिक विरोधियों और सामान्य नागरिकों पर दमनकारी कार्रवाइयां की जाती हैं. सैन्य शासन ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया. अस्थिरता और संघर्ष के कारण आर्थिक विकास धीमा हो गया और निवेशकों का विश्वास घटा. मार्शल लॉ के बाद बांग्लादेश ने कई बार लोकतांत्रिक शासन की दिशा में कदम बढ़ाए. हालांकि, हर बार बदलाव के बावजूद, राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं बनी रहीं. बांग्लादेश ने अपने लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने और सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में काम करने का प्रयास किया है. सेना ने संभाली कमान आरक्षण नीति के विरोध में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद सेना ने देश की कमान अपने हाथ में ले ली है. सेना ने अंतरिम सरकार बनाने की घोषणा की है. इसके लिए उसने एक 18 सदस्यी कमेटी बनाई है जिसमें बांग्लादेश बैंक के पूर्व गवर्नर से लेकर नामी प्रोफेसर और कई पूर्व सैन्य अधिकारी शामिल हैं. Tags: Bangladesh news, Sheikh hasinaFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 18:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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