Nagaur: 7 पीढ़ियों से बना रहे मिट्टी के खूबसूरत बर्तन व मूर्तियां पूरे राजस्थान में है प्रसिद्ध
Nagaur: 7 पीढ़ियों से बना रहे मिट्टी के खूबसूरत बर्तन व मूर्तियां पूरे राजस्थान में है प्रसिद्ध
चेनार गांव के कुम्हार मिट्टी के बर्तन व मूर्तियां बनाने और उन पर चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध हैं. कारीगर प्रभुराम जी प्रजापत ने बताया कि मिट्टी के बर्तन और मूर्तियां बनाना उनका पुश्तैनी काम है. हमारी सात पीढ़ियों यह करती रही हैं, जो राजस्थान के कई जिलों में व्यापार करते हैं
कृष्ण कुमार
नागौर. राजस्थान के नागौर के पास स्थित चेनार गांव की मिट्टी के बर्तनों और मूर्तियों को लेकर पूरे प्रदेश में अलग पहचान है. यहां के कुम्हार मिट्टी के बर्तन व मूर्तियां बनाने और उन पर चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध हैं. कारीगर प्रभुराम जी प्रजापत ने बताया कि मिट्टी के बर्तन और मूर्तियां बनाना उनका पुश्तैनी काम है. हमारी सात पीढ़ियों यह करती रही हैं, जो राजस्थान के कई जिलों में व्यापार करते हैं.
गणेश जी की बनाई प्रतिमा प्रसिद्ध
चेनार गांव के कारीगरों की बनाई गणेश जी की प्रतिमा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, क्योंकि इसे शुद्ध मिट्टी से बनाया जाता है. इसमें किसी प्रकार की रासायनिक मिलावट नहीं की जाती है. इन मूर्तियों को विवाह व गणेश चतुर्थी के अवसर पर सर्वाधिक लेते हैं. गणेश जी की बनाई मूर्तियों की चित्रकारी बहुत सुंदर होती है.
कहां से लाते हैं मिट्टी
चेनार गांव के निवासी जगदीश जी प्रजापत ने बताया कि बर्तन में मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी आस-पास के गांव के तलाब मुंदियाड़ खरनाल चेनार इत्यादि जगह से लाते हैं. तालाबों की मिट्टी चिकनी होती है इसलिए बर्तन मूर्ति बनाने में आसानी होती है.
कैसे बनाते हैं बर्तन
प्रभुराम जी ने बताया कि मिट्टी को सबसे पहले चक्की के माध्यम से पीसकर महीन बनाया जाता है. फिर उस मिट्टी को पानी में भिगोकर गेहूं के आटे की तरह गोंदा (गूंथा) जाता है. इसके बाद चाक के माध्यम से अलग-अलग प्रकार के बर्तन बनाए जाते हैं तथा विभिन्न प्रकार के बर्तन जैसे परात, गमले, देगची बनाई जाती है. इसके अलावा, गणेश जी व अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा बनाई जाती है.
कैसे पकाते हैं
मिट्टी से बनाई गई वस्तुओं को मिट्टी के कच्चे बर्तन में प्रतिमा बनाकर धागों के माध्यम से मूर्तियों को तरसा जाता है. फिर उन आकृतियों को धूप में सूखाया जाता है. इसके बाद भट्ठे में डालकर तीन से चार घंटे गर्म किया जाता है. अगली सुबह इन बर्तनों को भट्ठे से निकालकर दोबारा धूप में रख दिया जाता है फिर उन पर रंग-रोशन किया जाता है तथा अलग-अलग चित्रकारी की जाती है.
पुरुष व महिलाओं को मिलता है रोजगार
चुनार गांव मिट्टी के बर्तन में मूर्ति बनाने में राजस्थान में प्रसिद्ध है. इस लघु उद्योग में पुरुषों और महिलाओं को रोजगार मिलता है. इससे एक परिवार की सालाना आय ढाई से तीन लाख रुपये होती है.
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Tags: Nagaur News, Rajasthan news in hindiFIRST PUBLISHED : September 27, 2022, 15:39 IST