एशियाई चीतों को पसंद आ रहा राजस्थान 6 महीने में 2 बार दी दस्तक जानें वजह
एशियाई चीतों को पसंद आ रहा राजस्थान 6 महीने में 2 बार दी दस्तक जानें वजह
Jaipur News : राजस्थान कभी चीतों से आबाद रहता था. लेकिन करीब 75 साल पहले वे राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत से ही विलुप्त हो गए. अब एक बार फिर उनको मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बसाया गया है. लेकिन ये एशियाई चीते बार-बार वहां से राजस्थान का रुख कर रहे हैं. जानें वजह.
जयपुर. भारत में करीब 75 साल पहले विलुप्त हो चुके एशियाई चीते की एक बार फिर से लंबे अरसे बाद मध्य प्रदेश के कूनो पार्क में वापसी हुई है. एक दौर था जब चीतों के लिए गठित कमेटी ने सर्वे के बाद राजस्थान के कई इलाकों को उनके लिए मुफीद माना था. अब देश में चीते आने के छह महीने में ही दो बार ये नामीबियाई चीते कूनो से राजस्थान में दस्तक दे चुके हैं. पहले बीते दिसंबर में बारां के पास केलवाड़ा के जंगल में ‘अग्नि’ नाम का चीता आया था. अब तीन दिन पहले करौली के कैलादेवी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के करणपुर रेंज में ‘ओमान’ नाम का चीता दस्तक दे गया है.
राजस्थान में चीते की दो बार दस्तक के बाद एक फिर से यहां चीता लाने के प्रयासों को लेकर सुगबुगाहट सामने आने लगी है. इस मामले में राजस्थान के वन विभाग की ओर से एक प्रस्ताव चुनाव से पहले केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया था. उसके बाद प्रदेश के वन मंत्री ने केंद्रीय वन मंत्री से इस मामले में बात भी की थी. हालांकि कूनो पालपुर का जंगल राजस्थान से सटा है. लेकिन वहां से अफ्रीकी चीते चंबल नदी पार राजस्थान की सैर पर आने लगे हैं. ऐसा पिछले छह महीने में दो बार हो चुका है. मध्य प्रदेश के साथ पहले राजस्थान ने भी इस प्रोजेक्ट में शामिल होने के प्रयास किये गए थे. लेकिन ठोस कोशिशें नहीं होने की वजह से राजस्थान प्रोजेक्ट चीता का अच्छा हैबिटेट होने के बावजूद पिछड़ गया था.
राजस्थान में चीतों की अच्छी तादाद थी
एक दौर था जब राजस्थान में चीतों की अच्छी तादाद थी. यहां उनके दौड़ने लायक खुले जंगल और घास के मैदान थे. चीते का आवास इन्हीं खुले घास के मैदानों में हुआ करता था. यहां उसके पसंदीदा शिकारों में शामिल चिंकारा हिरण, चौसिंगा और काले हिरण भी बहुतायत में पाये जाते हैं. देश में चीता लाने के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष एमके रंजीत सिंह के साथ प्रदेश का दौरा करने वाले तत्कालीन हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स यूएस सहाय के मुताबिक दुनियाभर में चीतों के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है. इन्हें फिर से उन इलाकों आबाद करने की कोशिश की जा रही है जहां कभी पहले चीते रहा करते थे. खुशकिस्मती से राजस्थान के कई इलाके आज भी इस लायक है कि वहां फिर से चीतों को आबाद किया जा सकता है.
ये हैं इसके पीछे तर्क
– राजस्थान के जंगलों में आज भी मौजूद है चीतों के रहने लायक बेहतरीन हैबिटैट और प्रे बेस.
– राजस्थान के भौगोलिक हालात चीते के लिए बेहतर है. अफ्रीका के नामीबिया जैसे हालात राजस्थान में मौजूद हैं.
– गोंडवाना लैंड और कॉटिंनेंटल ड्रिफ्ट थ्योरी में भारत-अफ्रीका दोनों एक ही भूभाग का हिस्सा हैं.
– नामीबिया और राजस्थान की पारिस्थितिकी काफी हद तक समान है.
– चीते की कैप्टिव ब्रीडिंग के लिए भी राजस्थान में अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर है.
– राजस्थान में मुकंदरा हिल्स, शाहगढ़, जैसलमेर, शेरगढ़ और भैंसरोडगढ़ के जंगल उनके लिए माकूल हैं.
ये इलाके चीते के लिए बेहतर माने गए हैं
वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्ट, हॉप एंड ब्योंड जयपुर के डॉ. जॉय गार्डनर के अनुसार विशेषज्ञों की समिति ने मुकंदरा हिल्स, शेरगढ़ और भैंसरोड़गढ़ के जंगलों को चीता पुनर्वास के लिए अच्छा माना था. इसके अलावा पहले जैसलमेर के शाहगढ़ के रेगिस्तानी क्षेत्र को भी सबसे बेहतर माना गया था. लेकिन बॉर्डर इलाका होने के कारण वहां कुछ पेचीदगियां हैं.
चुनाव बाद इस दिशा में आगे काम किया जाएगा
रेगिस्तानी क्षेत्र के अलावा कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां मानव जनसंख्या घनत्व सबसे कम हैं और खुले मैदानी इलाके मौजूद हैं. ऐसे में प्रदेश की नई सरकार ने इस दिशा में केंद्र से फिर से राब्ता कायम कर चीता लाने के प्रयास शुरू किए थे. लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण ये मामला लंबित रह गया था. बताया जा रहा है कि चुनाव बाद इस दिशा में आगे काम किया जाएगा.
Tags: Asiatic Cheetah, Jaipur news, Rajasthan newsFIRST PUBLISHED : May 7, 2024, 10:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed