राजस्थान में कब थमेगा दबंगों का कहर कितने दलित दूल्हे होंगे शिकार

Jaipur News : राजस्थान में दलित दूल्हों के लिए आज भी अपनी शादी में घोड़ी पर चढ़ना मुसिबत मोल लेने से कम नहीं है. आजादी के साढ़े सात दशक बाद भी आज भी राजस्थान में उन्हें दबंगों के डर से दूल्हा बनकर घोड़ी पर चढ़ने के लिए पुलिस सुरक्षा की जररुत पड़ती है.

राजस्थान में कब थमेगा दबंगों का कहर कितने दलित दूल्हे होंगे शिकार
जयपुर. राजस्थान में दबंगों का कहर जारी है. दलित दूल्हे आज भी घोड़ी पर बैठकर बिंदौली निकालने के लिए तरस रहे हैं. पुलिस सुरक्षा भी उन्हें इस बात भरोसा नहीं दिला पाती है कि वे आराम से घोड़ी पर बैठकर दुल्हन के घर जा सकेंगे. भरतपुर में गुरुवार रात को हुई घटना इसका सबूत है. सरकार चाहे बीजेपी की या कांग्रेस की इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. यह दीगर बात है कि कांग्रेस राज में दलित दूल्हों को घोड़ी पर बैठने से रोका जाता है तो बीजेपी एकबारगी हल्ला मचा देती है. बीजेपी राज में अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस सरकार के कपड़े फाड़ने लग जाती है. लेकिन दलित दूल्हों का घोड़ी पर बैठना दोनों ही राज में खतरे से खाली नहीं है. राजस्थान में सवर्ण और दलित जातियों के बीच यह खाई सदियों पुरानी है. सवर्ण दूल्हा बनकर घोड़ी पर बैठना अपना अधिकार मानते हैं जबकि दलित के लिए वे इसे गुनाह करार देते हैं. ऊंच नीच की सदियों पुरानी इस दकियानूसी सोच को आज भी बरकरार रखने का प्रयास किया जा रहा है. इसकी रोकथाम के लिए कानून भले ही बन जाए लेकिन उनको अमल में लाना पुलिस प्रशासन के लिए अब भी कई बार बस की बात नहीं रहता है. दरअसल पिछले करीब 10 बरसों में ही राजस्थान के विभिन्न इलाकों में दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारने के सैंकड़ों मामले सामने आ चुके हैं. विधानसभा में भी यह मामला उठ चुका है. दबंगों ने तोड़े 3 दलित भाइयों के सपने, इकलौती बहन की शादी में मचा दिया कोहराम, 100 पुलिसकर्मी देखते रह गए आईपीएस दलित दूल्हा भी पुलिस सुरक्षा में चढ़ा घोड़ी पर भरतपुर के चिकसाना थाना इलाके के नौगाया गांव में गुरुवार रात दलित दूल्हे की बारात पर पथराव कोई पहला मामला नहीं है बल्कि राजस्थान में आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं. दबंगों के खौफ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फरवरी 2022 में जयपुर जिले के शाहपुरा के जयसिंहपुरा गांव में एक दलित आईपीएस ऑफिसर सुनील कुमार धनवंता की शादी में भी घोड़ी पर उनकी बिंदौली पुलिस प्रशासन के प्रोटेक्शन में निकाली गई थी. उस दौरान पूरे गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था. कांस्टेबल की पुलिस सुरक्षा में निकली थी बारात उससे पहले मेवाड़ के उदयपुर के गोगुंदा थाना इलाके में अप्रेल 2021 में पुलिस को दलित दूल्हे जो खुद पुलिस में कांस्टेबल था उसकी शादी में भी पुलिस जाब्ता तैनात करना पड़ा तब जाकर वह घोड़ी चढ़ पाया. इन हालातों को देखकर कई दूल्हे तो मनमसोस कर रह जाते हैं. वे मानते हैं कि भले ही उन्हें पुलिस सुरक्षा मिल जाएगी लेकिन कब कोई बखेड़ा हो जाएगा कुछ नहीं कहा जा सकता. शादी के प्रत्येक सावे में राजस्थान में पुलिस प्रशासन के पास दलित दूल्हों की ओर से सुरक्षा की मांग की जाती है. पाली में राजपुरोहित समाज आया आगे ऐसा भी नहीं है कि इस दकियानूसी परंपरा को खत्म करने के लिए सिर्फ सरकारी प्रयास ही हो रहे हैं. कई इलाकों में सामाजिक स्तर पर भी इसके सकारात्मक प्रयास भी हो रहे हैं. मारवाड़ के पाली जिले के निम्बाड़ा गांव में तो साढ़े पांच सौ साल बाद जून 2022 में कोई दलित दूल्हा घोड़ी पर बैठ पाया था. पाली में साढ़े पांच सौ साल बाद कोई दलित दूल्हा घोड़ी पर चढ़ा वह भी बिना पुलिस सुरक्षा के. वहां राजपुरोहित समाज ने इस पहल को शुरू किया था. अजमेर में राजपूत समाज ने की शुरुआत बीते दिनों अजमेर शहर में भी ऐसी ही अनूठी पहल हुई थी. वहां के लोहागल गांव के कैलाश मेघवाल की 19 साल की बेटी साक्षी की शादी में उसे घोड़ी पर बिठाकर बिंदौली निकाली गई. वहां राजपूत समाज ने इसकी पहल की. उन्होंने दुल्हन को घोड़ी पर बिठाकर डोल नगाड़े के साथ यह बिंदौली निकाली. उस दौरान आम जनमत पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम सिंह बनवाड़ा और प्रदेश उपाध्यक्ष श्यामसिंह तस्वारियां ने बकायदा घोड़ी की लगाम खुद थामी थी. बूंदी जिला प्रशासन ने की थी पहल वहीं जिले में बूंदी जिले में कुछ साल पहले पूरा जिला प्रशासन दलित दूल्हे श्रीराम मेघवाल की बिंदोरी में शामिल हुआ. तत्कालीन कलेक्टर रेनू जयपाल और एसपी जय यादव ने बिंदौली में पुष्प वर्षा कर बारातियों का स्वागत किया. उस दौरान बूंदी जिला प्रशासन ने 30 ऐसे गांव चिह्नित किए, जहां दलित दूल्हे कभी घोड़ी पर नहीं बैठे थे. बहरहाल सरकार और समाज के स्तर पर कुछ प्रयास चल रहे हैं लेकिन इनमें तेजी लाने और कानून की पालना सख्ती से करवाए जाने की जरुरत है. Tags: Dalit Harassment, Jaipur news, Rajasthan newsFIRST PUBLISHED : July 12, 2024, 13:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed