BAP ने फिर नहीं पड़ने दी बीजेपी और कांग्रेस की पार जानें क्यों खा गई मात
BAP ने फिर नहीं पड़ने दी बीजेपी और कांग्रेस की पार जानें क्यों खा गई मात
Chaurasi Upchunav 2024 : आदिवासी बाहुल्य चौरासी सीट पर एक बार फिर भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) ने जीत का परचम लहरा दिया है. बीजेपी और कांग्रेस को दूसरे तथा तीसरे नंबर पर ही संतोष करना पड़ा है. बीएपी ने यहां आदिवासियों के हक के मुद्दों पर अपनी जीत दर्ज कराई है.
डूंगरपुर. डूंगरपुर की आदिवासी बाहुल्य चौरासी सीट पर फिर से भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) ने बीजेपी और कांग्रेस की पार नहीं पड़ने दी है. बीएपी ने यहां दोनों पार्टियों को दरकिनार कर इस पर फिर से कब्जा कर लिया. बीते तीन चुनावों से यह सीट आदिवासी युवाओं के कब्जे में है. बीजेपी और कांग्रेस इस सीट को हथियाने के लिए पुरजोर कोशिश कर चुकी है लेकिन उनकी पार नहीं पड़ रही है. इस सीट से डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत दो बार विधायक रह चुके हैं. वे इस बार भी अपने वोटों को एकजुट रखने में कामयाब रहे. चौरासी विधानसभा सीट पर बाप के अनिल कटारा ने करीब 24 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कराई है. बीजेपी और कांग्रेस उनके वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाई और फिर से मात खा गई.
चौरासी विधानसभा सीट पर बीएपी के वर्चस्व को देखते हुए पहले से ही इस बात के आसार जताए जा रहे थे कि वह वहां जीत दर्ज कराएगी. क्योंकि पिछली बार इस सीट से राजकुमार रोत करीब 70 हजार वोटों से जीते थे. हालांकि इस बार बीएपी प्रत्याशी अनिल कटारा की जीत का अंतर उससे आधे से भी कम रह गया है लेकिन फिर भी उन्होंने इस सीट को मरते पड़ते नहीं बल्कि डंके की चोट पर बचाया है. यह दीगर बात है कि बीएपी आदिवासी बाहुल्य दूसरी सीट सलूंबर हार गई. वहां इस बार भी वह दूसरे नंबर पर रही है. पिछली बार भी बाप वहां दूसरे नंबर पर रही थी.
आदिवासियों के हक के मुद्दों पर फिर मारा मैदान
चौरासी सीट पर बीएपी की जीत का आधार आदिवासियों के ‘हक और हकूक’ के मुद्दे रहे. उन्हीं मुद्दों पर आदिवासी वोटर्स एकजुट रहे और बिखरे नहीं. इसका नतीजा यह हुआ है यह सीट तीसरी बार उनके पास आई. विधानसभा चुनाव 2018 में राजकुमार रोत यहां से भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) से चुनाव जीते थे. उसके बाद इस बार उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले अपनी खुद की भारतीय आदिवासी पार्टी बना ली थी. रोत दूसरी बार अपनी पार्टी के बैनर से जीते.
यहां बीजेपी और कांग्रेस के अपना वोट बैंक बचाना मुश्किल हो रहा है
रोत जब विधायकी छोड़कर सांसद बन गए तो उन्होंने अपने युवा कार्यकर्ता अनिल कटारा को इस बार चुनाव मैदान में उतारा और बीजेपी तथा कांग्रेस को पास भी नहीं फटकने दिया. आदिवासी इलाके में बाप की मजबूत होती पकड़ के कारण बीजेपी और कांग्रेस के लिए यहां अपने अपने वोट बैंक को एकजुट रखना मुश्किल हो रहा है. बीएपी के पास पहले से बांसवाड़ा की बागीदौरा सीट भी है. बहरहाल यह सीट एक बार फिर चार साल के लिए कांग्रेस और बीजेपी से दूर हो गई है.
(इनपुट- जयेश पंवार)
Tags: Assembly by election, Political newsFIRST PUBLISHED : November 23, 2024, 17:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed