एम्बुलेंस का रास्ते में खत्म हुआ डीजल परिजनों ने 1 KM तक लगाया धक्का मरीज ने तोड़ दिया दम

Worst Medical System in Rajasthan: राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य बांसवाड़ा जिले में दिल को दहला देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक मरीज खस्ताहाल सरकारी चिकित्सा व्यवस्था का शिकार हो गया है. यहां मरीज को लेकर जा रही एम्बुलेंस का रास्ते में ही डीजल खत्म हो गया. इससे मरीज चार घंटे बाद अस्पताल पहुंचा लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी.

एम्बुलेंस का रास्ते में खत्म हुआ डीजल परिजनों ने 1 KM तक लगाया धक्का मरीज ने तोड़ दिया दम
हाइलाइट्सबांसवाड़ा जिले की घटनाचार घंटे बाद अस्पताल पहुंचा मरीजअस्पताल में डॉक्टर्स ने मरीज को घोषित किया मृत बांसवाड़ा. राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में दिल को दहला देने वाला (Heart wrenching incident) मामला सामने आया है. यहां गंभीर रूप से बीमार एक मरीज को जिला अस्पताल ले जा रही एम्बुलेंस (Ambulance) का पहले तो बीच रास्ते में ही डीजल खत्म हो गया. बाद में मरीज के परिजन बाइक की मदद से डीजल लेकर वहां पहुंचे. लेकिन एम्बुलेंस चालू नहीं हुई. मरीज के परिजनों ने एम्बुलेंस को चालू करने के लिए 1 KM तक धक्का भी मारा. थकहारकर परिवार ने एम्बुलेंस चालक के आगे हाथ फैलाए और दूसरी एम्बुलेंस मंगाने को कहा. तब कहीं 40 मिनट के बाद दूसरी एम्बुलेंस मौके पर पहुंची. लेकिन जब दूसरी एम्बुलेंस मरीज को अस्पताल लेकर पहुंची तब तक उसकी सांसें थम चुकी थी. अस्पताल में डॉक्टर्स ने मरीज को मृत घोषित कर दिया. जानकारी के अनुसार राजस्थान में बदहाल चिकित्सा व्यवस्था का यह मामला दो दिन पहले गुरुवार हुआ था. बांसवाड़ा से सटे प्रतापगढ़ जिले के सेलिया इलाके के सूरजपुरा निवासी तेजपाल गणावा (40) अपनी बेटी के ससुराल भानुपरा (घोड़ी तेजपुर) आए थे. यहां करीब तीन दिन तक वे अपनी बेटी और नाती के साथ रहे. इसी दौरान 23 नवंबर को तेजपाल खेत में खड़े-खड़े गिर गए. तेजपाल की बेटी ने इसकी सूचना उसके पति मुकेश मईड़ा को दी. मुकेश बांसवाड़ा में किराए का कमरा लेकर REET की तैयारी कर रहा था. पहली एम्बुलेंस ही सवा घंटे बाद आई उसने सबसे पहला फोन रोगी वाहन 108 को किया और खुद भी बाइक लेकर घर के लिए रवाना हो गया. सुबह 11 बजे हुई इस घटना की सूचना पर मुकेश 12 बजे अपने गांव पहुंच गया था. लेकिन एम्बुलेंस सवा घंटे बाद आई. एम्बुलेंस पहले घोड़ी तेजपुर पीएचसी पहुंची. वहां ईसीजी मशीन नहीं होने का हवाला देकर स्टाफ ने मरीज के परिजनों को छोटी सरवन सीएचसी जाने को कहा. लेकिन परिवार ने मरीज को सीधे जिला अस्पताल ले जाने का फैसला लिया. रतलाम रोड पर टोल के आगे डीजल खत्म एम्बुलेंस मरीज को लेकर रतलाम रोड पर टोल के आगे पहुंची और धक्के लेकर बंद हो गई. पता चला कि डीजल खत्म हो गया है. एम्बुलेंस के चालक ने 5 सौ रुपये देकर मरीज के रिश्तेदार को बाइक से डीजल लेने के लिए भेजा. डीजल लेकर आने में समय लग गया. लेकिन डीजल डालने के बाद भी एम्बुलेंस चालू नहीं हुई. इस पर मरीज के परिजनों ने करीब एक किलोमीटर तक धक्का लगाकर एम्बुलेंस को चालू करने की कोशिश की. इसके बाद मरीज के परिजनों के कहने पर एम्बुलेंस चालक ने दूसरी एम्बुलेंस बुलाई. लेकिन जब वह मरीज को लेकर अस्पताल पहुंची तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. चार घंटे में हो गई मरीज की मौत पीड़ित मुकेश ने बताया कि उसके ससुर की एकदम से तबीयत करीब 11 बजे बिगड़ी थी. एम्बुलेंस सवा 12 बजे आई थी. इसके बाद करीब 3 बजे यानी चार घंटे बाद मरीज को जिला अस्पताल पहुंचाया जा सका. वहां डॉक्टर्स ने देखते ही मरीज को मृत घोषित किया. मुकेश का कहना है कि दूसरी एम्बुलेंस आने तक उसके ससुर की धड़कन बनी हुई थी. समय पर इलाज मिल जाता तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Ashok Gehlot Government, Banswara news, Latest Medical news, Rajasthan newsFIRST PUBLISHED : November 26, 2022, 16:54 IST