शादी के वादे को यौन शोषण के औजार के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते: हाईकोर्ट
शादी के वादे को यौन शोषण के औजार के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते: हाईकोर्ट
Prayagraj News: इलाहाबद हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि शादी के वादे को यौन शोषण के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने आरोपी की याचिका भी ख़ारिज कर दी.
हाइलाइट्स इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप के मामले में आरोपी की याचिका ख़ारिज कर दी हाईकोर्ट ने कहा कि शादी का वादा यौन शोषण का औजार नहीं हो सकता
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी का झूठे वायदा कर शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी के खिलाफ आपराधिक केस रद्द करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि शादी के वायदे को शोषण के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने दिया.
दरअसल, गौतमबुद्धनगर में जनवरी 2019 में एक महिला ने आरोप लगाया कि कई साल पहले फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उससे दोस्ती की और बाद में उसे शादी का प्रस्ताव दिया गया, जिससे दोनों में शारीरिक संबंध बने. दो बार गर्भपात के लिए उसे मजबूर किया गया. शादी से इनकार करने व दूसरी महिलाओं के संपर्क बनाने पर महिला ने थाना- फेज तीन, गौतम बुध नगर में बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई.
आरोपी रवि कुमार भारती उर्फ बिट्टू ने आपराधिक केस रद्द करने की याचिका दायर कर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट को रद्द करने और आगे की कार्यवाही को रोकने की मांग की. उसने कहा कि सहमति से बने संबंध रेप नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने कहा कि विवाह का वायदा स्पष्ट रूप से झूठा था, जैसा कि अभियुक्त द्वारा अन्य महिलाओं के साथ संबंध बनाने और उसके कार्यों से शिकायतकर्ता के गर्भधारण और उसके बाद गर्भपात होने से प्रदर्शित होता है. अदालत ने याची के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट व केस कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया.
Tags: Allahabad high court, UP latest newsFIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 07:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed