बीए फर्स्ट ईयर कोर्स में इस्लामिक इतिहास अनिवार्य एमएलसी ने किया विरोध

Aligarh Muslim University: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय नई शिक्षा पॉलिसी में ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में हिस्ट्री ऑफ इस्लाम विषय को अनिवार्य कर दिया गया है. विषय को अनिवार्य करने पर एमएलसी मानवेद्र प्रताप सिंह ने विरोध जताए हुए शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है.

बीए फर्स्ट ईयर कोर्स में इस्लामिक इतिहास अनिवार्य एमएलसी ने किया विरोध
वसीम अहमद/अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों में है. इस बार एएमयू की शिक्षा पॉलिसी पर एमएलसी मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने सवाल खड़े किए हैं और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा है. यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री ऑफ इस्लाम को अनिवार्य कर दिया गया है. इस बात को लेकर उन्होंने विरोध जताया है. दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में ग्रेजुएशन फर्स्ट इयर के कोर्स में इस्लामिक इतिहास को अनिवार्य कर दिया है. स्नातक प्रथम वर्ष के प्रथम सेमेस्टर में हिस्ट्री ऑफ इस्लाम- पूर्व इस्लामी अरब से लेकर पवित्र खलीफाओं के समय तक एवं स्नातक द्वितीय सेमेस्टर में हिस्ट्री आफ इस्लाम- Ummayyads to Abbasid की पढ़ाई को अनिवार्य किया गया है. एमएलसी ने शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र यानी किसी भी समुदाय का बच्चा हो वह स्नातक में इस पढ़ाई को जरूर करेगा. इसका भाजपा के एमएलसी मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने विरोध किया है और शिक्षा मंत्री को एक पत्र लिख इस टॉपिक को एएमयू के सिलेबस से हटाए जाने का अनुरोध किया है. एएमयू में यह टॉपिक न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत रखे गए हैं. बीए में अनिवार्य किया गया हिस्ट्री ऑफ इस्लाम दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में बीए फर्स्ट ईयर के दोनों सेमेस्टर में हिस्ट्री ऑफ इस्लाम के टॉपिक को अनिवार्य किया गया है. इसकी जानकारी जब एमएलसी मानवेन्द्र प्रताप सिंह को हुई तो उन्होंने इसको लेकर विरोध जताते हुए देश के प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को इन अनिवार्य टॉपिको को हटाने के लिए पत्र लिख दिया. इसके बाद एएमयू में हड़कंप मच गया. एएमयू के इतिहास विभाग के अध्यक्ष ने तत्काल सिलेबस मंगाकर देखा तो उसमें वाकई यह अनिवार्य विषय के रूप में था. जिसको अब एएमयू का इतिहास विभाग इस सिलेबस को अनिवार्य की जगह ऑप्शनल करने की बात कह रहा है. इस्लामिक शिक्षा अनिवार्य करना गलत  एमएलसी मानवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि हमारी आपत्ति जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से थी, वह केंद्र सरकार द्वारा संचालित और संस्थापित विश्वविद्यालय है. उसमें इस्लाम धर्म की शिक्षा इतिहास विषय को अनिवार्य रूप में दिया जाना आपत्तिजनक है. क्योंकि पूरे देश के अंदर किसी विश्वविद्यालय के अंदर धार्मिक शिक्षा का प्रावधान नहीं है. ऐसी स्थिति में यदि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को धार्मिक इतिहास पढ़ाना है तो धर्मशास्त्र से स्नातक होती है. वहां पर उस विषय को पढ़ाये. एमएलसी ने की गौरवशाली इतिहास पढ़ाने की मांग एमएलसी ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत यदि आपको पढ़ाना है तो आपको भारत के गौरवशाली इतिहास को पढ़ाना चाहिए और भारत का गौरवशाली इतिहास पढ़ाकर आप न केवल देश को आगे बढ़ाएंगे. इतिहास को आगे बढ़ाएंगे. अगर हम इस प्रकार की गलत परंपरा डालेंगे, तो मेजर सब्जेक्ट में अनिवार्य विषय के रूप में यदि इस धार्मिक विषय को पढ़ाएंगे, तो इस्लाम धर्म जो अराजक्ताओं से भरा हुआ है. इस्लाम धर्म जिसने हमेशा विश्व के अंदर अराजकता के सिवा कुछ नहीं दिया. उसकी शिक्षा पढ़कर के हम लोगों के मनों में किस प्रकार के भाव पैदा करना चाहते हैं. विश्वविद्यालय में धार्मिक शिक्षा पर लगे रोक इन्होंने बीए फर्स्ट सेमेस्टर के अंदर और सेकंड सेमेस्टर के अंदर जिस प्रकार से हिस्ट्री और इस्लाम का पाठ पढ़ाने को तय किया है जो घोर आपत्तिजनक है. वह प्रधानमंत्री से और शिक्षा मंत्री भारत सरकार को पत्र लिखकर अनुरोध करते हैं कि इस गलत परंपरा को रोकना चाहिए. धार्मिक शिक्षा विश्वविद्यालय के अंदर वर्जित होती है. इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए. इतिहास विभाग के अध्यक्ष ने बताया इस मामले में जब एएमयू के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर हसन इमाम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मेरे जमाने में 1980 में स्टूडेंट था, तो हमारे यहां यह ऑप्शनल कोर्स हुआ करता था. पिछले 4 सालों से वह बाहर है. उसके बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है. उन्होंने सिलेबस मंगा कर देखा है तो 8 क्रेडिट का पेपर है. उसमें दो क्रेडिट का हिस्ट्री ऑफ इस्लाम का है. तो यह 8 क्रेडिट के अंदर 2 क्रेडिट का पेपर हिस्ट्री ऑफ इस्लाम है. अब इसके सिलसिले में यह है कि यह न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत किया गया या कैसे किया गया. यह हम अपने डिपार्टमेंट के फैकल्टी मेंबर से मालूम करेंगे और अगर जरुरत हुई तो इसको एक ऑप्शनल पेपर की हैसियत से या इसके एवज में कोई दूसरा पेपर भी हम डालेंगे. ताकि यह अनिवार्य पेपर ना हो. 2 क्रेडिट का यहां हम एक ऑप्शनल पेपर देंगे, यहां विद्यार्थी जो चाहेगा वह पढ़ेगा. Tags: Aligarh Muslim University, Aligarh news, Local18FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 15:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed