बाराबंकी: सरयू नदी में आई भीषण बाढ़ ने नदी की धारा को ही बदल डाला है, जिसके चलते कटान की समस्या विकराल रूप ले चुकी है. इस कटान से कई गांवों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. बड़ा सवाल यह है कि प्रशासन द्वारा किए गए सभी प्रयास नाकाफी क्यों साबित हुए? सरयू नदी की बाढ़ से तटवर्ती गांवों को बचाने पर खर्च किए गए करोड़ों रुपये पानी में बह गए हैं. नदी की धारा को रोकने के लिए की गई ड्रेजिंग, जियो बैग, और पिचिंग जैसी तकनीकों के बावजूद कटान से होने वाली तबाही को नहीं रोका जा सका.
बाढ़ के चलते नदी का जलस्तर बढ़ने पर दो दर्जन गांवों में पानी भर गया है. अब कटान के चलते बबुरी गांव का अस्तित्व भी समाप्त होने की कगार पर है. प्रशासन के रोकथाम के सारे दावे कागजी साबित हो रहे हैं, और कटान से होने वाले नुकसान की समस्या जस की तस बनी हुई है.
संवेदनशील इलाकों में प्रोजेक्ट नाकाम
बाराबंकी जिले की रामनगर तहसील और सूरतगंज ब्लॉक के कुसौरा गांव के पास का इलाका काफी संवेदनशील है. यहां बाढ़ खंड द्वारा छह जियो पाइप के कटर नदी के अंदर बनाए गए थे. इन कटरों का उद्देश्य था कि नदी में रेत को रोकने के साथ-साथ कटान को भी रोक सकें. अधिकारियों ने दावा किया था कि ये कटर वनवे सीपेज हैं, जिनसे बाहर का पानी अंदर नहीं आ पाएगा, जबकि अंदर का पानी बाहर चला जाएगा, जिससे नदी की तेज धारा को रोका जा सकेगा.
लेकिन जब सरयू नदी का जलस्तर बढ़ा, तो पूरे का पूरा प्रोजेक्ट नदी में डूब गया. सिरौलीगौसपुर तहसील के तेलवारी और इटहुआ पूर्व गांव के बीच एक साल पहले ड्रेजिंग का काम किया गया था. इसी क्षेत्र में कहारनपुरवा से तेलवारी तक बाढ़ से बचाने और कटान रोकने के काम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे. लेकिन न तो नदी की कटान रुकी, और न ही पानी का गांवों में प्रवेश थमा.
ग्रामीणों का गुस्सा और प्रशासन की असफलता
बाढ़ खंड के अधिकारियों के मुताबिक, ड्रेजिंग का काम मैकेनिकल विभाग द्वारा कराया जाता है, और जियो बैग के कारण नदी दो भागों में बंटी, जो पानी में डूबे हैं लेकिन बहे नहीं. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि यहां हो रहे सारे काम केवल दिखावे के लिए किए जा रहे हैं. इस बार नदी की धारा ने अपना रुख मोड़ लिया है, जिसके चलते बंधे भी कटने की कगार पर पहुंच गए हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने सारा पैसा केवल पानी में बहाया है, और नदी की कटान और धारा को रोकने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं.
ग्रामीणों का डर है कि अगले कुछ दिनों में उनके घर नदी में समा जाएंगे और बंधा भी कट जाएगा. प्रशासन की नाकामी से गांवों का अस्तित्व खतरे में है, और लोग अपनी जमीन और घर खोने की कगार पर खड़े हैं.
Tags: Local18, UP floodsFIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 12:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed