यहां ईद पर नहीं दी जाती बकरे की कुर्बानी अनोखी है परंपरा!

इस्लाम में ईद के मौके पर कुर्बानी का जिक्र है. लेकिन आगरा शाहगंज आजमपाड़ा के रहने वाले गुल चमन शेरवानी ने कुर्बानी की एक नई तरकीब निकाली है

यहां ईद पर नहीं दी जाती बकरे की कुर्बानी अनोखी है परंपरा!
आगरा. मान्यता है कि बकरीद के मौके पर कुर्बानी दी जाती है. लेकिन आगरा शहर में एक ऐसा परिवार है जिसका बकरीद पर कुर्बानी देने का अंदाज बिल्कुल जुदा है. बेटा -बेटी के कहने पर पिछले 5 साल से आजमपाड़ा के रहने वाले गुल चमन शेरवानी का परिवार केक पर बकरे का चित्र बनाकर प्रतीकात्मक कुर्बानी देकर ईद मानता है. गुलचमन की यह नई परंपरा नजीर बन रही है. 2018 से केक काटकर देते हैं कुर्बानी! इस्लाम में ईद के मौके पर कुर्बानी का जिक्र है. लेकिन आगरा शाहगंज आजमपाड़ा के रहने वाले गुल चमन शेरवानी ने कुर्बानी की एक नई तरकीब निकाली है. गुल चमन शाकाहारी होने के साथ-साथ पशु प्रेमी भी हैं. गुल चमन ने बताया कि बकरीद पर उनके परिवार में बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा चली आ रही है. 2018 में उन्होंने इसमें बदलाव किया. घर में ईद से पहले कुर्बानी देने के लिये बकरा लाये थे. कुछ दिनों बाद बच्चों का बकरे से बेहद लगाव हो गया. जब इस बकरे को वह पहली बार घर लाए थे. उससे पहले इस बकरे को कुत्तों ने नोंच डाला था और घायल हालत में इसे लेकर आए. बच्चों ने उस बकरे की 1 साल देखभाल की. इस दौरान वह बकरा घर का सदस्य जैसा बन गया. ईद के मौके पर होनी थी बकरे की कुर्बानी लेकिन… 1 साल के बाद ईद आई और ईद पर बकरे की कुर्बानी होनी थी. लेकिन बेटी कुल सनम ज़िद पर अड़ गई कि वह इस बकरे की कुर्बानी नहीं देने देगी. बेटे गुलवतन ने भी मना किया. उन्होंने बकरे को कुर्बानी के लिए मदरसे में देने का फैसला किया. लेकिन बच्चे इस पर भी तैयार नहीं हुए .बच्चों की जिद के चलते उन्होंने उस साल केक पर बकरे का चित्र लगाकर कुर्बानी दी. तब से यह सिलसिला शुरू हो गया. अब हर साल गुल चमन और उसका परिवार केक पर बकरे का फोटो लगाकर कुर्बानी करते हैं. गुल चमन ने बताया कि परिवार में बकरे की प्रतीकात्मक कुर्बानी दी जाती है. उनका मानना है कि यह सब की खुशी का मामला है Tags: Bakr Eid, Local18FIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 14:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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