Buddha Purnima: बुद्ध के जाने के बाद क्या हुआ था उनकी पत्नी और बेटे का

बुद्ध ने जब घर छोड़ा तो उनकी उम्र तो कम थी ही साथ ही उनकी पत्नी की आयु भी ज्यादा नहीं था. उन्हें पुत्र हुआ ही हुआ था. एक तरह से उन्होंने उस परिवार को छोड़ा था, जो पैरों पर खड़ा ही हो रहा था. उनके जाने से उन्हें सबसे बड़ा आघात लगा और आगे का समय उनके लिए बहुत मुश्किल था. उन्होंने कैसे आगे का जीवन जिया.

Buddha Purnima: बुद्ध के जाने के बाद क्या हुआ था उनकी पत्नी और बेटे का
Success Story: कहते हैं न कि परिस्थितियां इंसान के हौसले को नहीं तोड़ सकती. हौसला अगर बुलंद हो तो रेगिस्तान में भी हरियाली लाई जा सकती है. ऐसी ही कहानी को राजस्थान के हेमंत ने सच कर दिखाया है. वह देश के सबसे कठिन मानी जाने वाली UPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की हैं. यह उनकी सभी बाधाओं के खिलाफ दृढ़ संकल्प और जीत की कहानी है. उन्होंने वर्ष 2023 की यूपीएससी की परीक्षा में बिना कोचिंग के 884 रैंक प्राप्त की हैं. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं. दिहाड़ी मजदूरी का काम करती है मां हेमंत एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं. उनके पिता एक स्थानीय पुजारी हैं और उनकी मां मनरेगा योजना के तहत दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करती हैं. हेमंत ने पहली बार ‘कलेक्टर’ शब्द तब सुना जब उन्होंने अपनी मां को एक मनरेगा अधिकारी से अपनी मजदूरी के लिए लड़ते देखा और तभी से वह जिला मजिस्ट्रेट बनना चाहते थे. उन्होंने कलेक्टर बनने के तरीके के बारे में पूछताछ की, जो उन्हें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा तक ले गया. दूसरे प्रयास में क्रैक किया UPSC यूपीएससी 2023 की परीक्षा में 884 रैंक हासिल करने वाले हेमंत राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के बीरेन गांव से ताल्लुक रखते हैं. उनकी यूपीएससी यात्रा तब शुरू हुई जब वह कॉलेज में थे. अपने पहले प्रयास में हेमंत ने प्रीलिम्स पास कर लिया, लेकिन योग्यता की कमी के कारण मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं हो सके. ‘कभी हार न मानने’ वाले हेमंत अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी 2023 की परीक्षा में 884वीं रैंक के साथ सफल हुए. हिंदी मीडियम से की पढ़ाई हेमंत ने अपनी स्कूली शिक्षा हिंदी मीडियम से की हैं. इसके बाद वह यूपीएससी की तैयारी को लेकर काफी संघर्ष किए हैं. उन्हें पहले बहुत असफलताओं का सामना करना पड़ा. वह डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन में अंग्रेजी विषय में फेल हो गए थे और पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर सके. अपने दोस्तों से थोड़ी प्रेरणा लेकर, उन्होंने जोबनेर में एसकेएन कृषि विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त की. उनके पास यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग के पैसे तक नहीं थे. Tags: Success Story, Upsc examFIRST PUBLISHED : May 23, 2024, 11:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed