राजस्थान के इन 34 बच्चों को है दुर्लभ बीमारियां इलाज के लिए चाहिए 25 करोड़ डोनेशन का इंतजार
राजस्थान के इन 34 बच्चों को है दुर्लभ बीमारियां इलाज के लिए चाहिए 25 करोड़ डोनेशन का इंतजार
34 children of Rajasthan are suffering from rare diseases: राजस्थान के 34 बच्चे गंभीर दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे हैं. इनके इलाज के लिए लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपये की दरकार है. राज्य सरकार की ओर से इनकी सहायता के लिए क्राउड फंडिंग प्लान बनाया गया है लेकिन उसमें चार महीने में अभी तक महज 13 लाख रुपये ही आ पाए हैं.
हाइलाइट्सदुर्लभ बीमारियों से ग्रसित बच्चों की पीड़ाक्राउंड फंड प्लान में नहीं आ रहा डोनेशन इलाज के रुपये के अभाव में परिजनों का टूटने लगा हौंसला
जयपुर. रेयर डिजीज…यानि वो दुर्लभ बीमारियां (Rare diseases) जो हजारों या फिर लाखों में से एक मरीज को होती है. ऐसे मरीजों के इलाज के लिए दवाएं भी लाखों और करोड़ों रुपयों में आती है. इलाज काफी मंहगा होने के कारण मरीजों के परिजन ये आर्थिक भार नहीं उठा पाते हैं. ऐसे मरीजों की मदद के लिए राज्य सरकार ने क्राउड फंडिंग प्लान (Crowd funding plan) बनाया है. उसमें कोई भी व्यक्ति-कंपनी ऐसे मरीजों को डोनेशन कर सकती है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से राज-सम्बल पोर्टल बनाया गया है. वहां मरीजों के लिए डोनेशन किया जा सकता है.
चूंकि इस पोर्टल का अभी तक पर्याप्त प्रचार प्रसार नहीं हो पाया है इसके चलते इसमें पिछले चार महिनों में महज 34 डोनेशन के जरिए सिर्फ 13 लाख रुपये ही आया है. जबकी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित 34 मरीज पोर्टल पर एनरोल हो चुके हैं. उनको करीब 25 करोड़ रुपयों की मदद की दरकार है. जयपुर के जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ.आरके गुप्ता ने बताया कि हाइकोर्ट के निर्देशों के बाद रेयर डिजीज को लेकर क्राउड फंडिंग कराई जा रही है. राज्य सरकार के निर्देशों के बाद जेके लोन अस्पताल ने अपने मद से करीब एक करोड़ रुपये दिए हैं.
ऐसे किया जा सकता है डोनेशन
क्राउड फंडिंग के लिए राज्य सरकार की ओर से राज-सम्बल पोर्टल शुरु किया गया है. इसका नोडल अधिकारी डॉ.अशोक गुप्ता को बनाया गया है. इस पोर्टल में मरीजों की डिटेल्स के साथ डोनेशन किस प्रकार से किया जा सकता है इसकी पूरी जानकारी दी गई है. इस पोर्टल पर अब तक 34 मरीज रजिस्टर्ड हो चुके हैं. इनमें 3 की हालत क्रिटिकल बताई गई है. रेयर डिजीज में एसएमए टाइप टू, हर्लर सिन्ड्रोम, हंटर सिन्ड्रोम, गॉचर डिजीज और पोम्पे डिजीज के मरीज ज्यादा हैं. मरीजों की बीमारी और इलाज का एस्टीमेट रेयर डिजीज का इलाज करने वाली टीम द्वारा तैयार किया जाता है. पोर्टल के जरिए आप सलेक्टेड मरीज को डोनेशन कर सकते हैं. आपके शहर से (जयपुर) राजस्थान उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब जयपुर जयपुर अजमेर उदयपुर कोटा अलवर चित्तौड़गढ़ चूरू जैसलमेर जोधपुर झालावाड़ झुंझुनूं टोंक डूंगरपुर दौसा धौलपुर नागौर पाली पुष्कर प्रतापगढ़ बांसवाड़ा बाड़मेर बारां बीकानेर भरतपुर भीलवाड़ा राजसमन्द सवाई माधोपुर सीकर हनुमानगढ़ सिरोही बूंदी करौली जालोर श्रीगंगानगर
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इन मरीजों को है रुपयों की जरुरत
खुशवीर भडाना को 54 लाख, नवीन-36 लाख, हयान बेग-1 करोड़ 80 लाख, दक्ष गुर्जर-63 लाख, लाभेश मीणा-1 करोड़ 34 लाख, बंटी सैनी-1 करोड़ 34 लाख, रुफियत-50 लाख, प्रिया शर्मा-72 लाख, रंजित चौधरी-72 लाख, शंकरलाल चौधरी-72 लाख, एमडी सौद-80 लाख, दीपक मीणा-1 करोड़ 20 लाख, मोहम्मद सरफराज-80 लाख और मोहम्मद दानिश को 1 करोड़ 20 लाख रुपये की जरुरत है. इसी तरह से अयुब खान को 80 लाख, साजिया बानो-80 लाख, मोहम्मद जहीर-80 लाख, आवेश खान-40 लाख, फहीम रायीन-80 लाख, अजान-1 करोड़ 20 लाख, आयशा जारा-50 लाख, कुनाल सिंह शेखावत-50 लाख, खुशनुमा-1 करोड़ 20 लाख, सिद्धार्थ-1 करोड़ 34 लाख, शेरिल गुप्ता-72 लाख, मुर्तजा-40 लाख और यीशू को 1 करोड़ 34 लाख रुपये की जरुरत है. इनके अलावा ललित सोनी को 2 करोड़ 66 लाख, अरित श्रीवास्तव-72 लाख, जय जोशी-2 करोड़, अर्श खान-36 लाख, आदित्य प्रजापत-40 लाख, तैमुर अली-80 लाख और तनिश्क सिंह को 30 लाख रुपये की जरुरत है.
मरीजों के परिजनों के टूट रहे हैं हौंसले
इन सभी मरीजों के इलाज के लिए उपयुक्त डोनेशन नहीं मिल पाने के कारण उनके परिजनों का हौंसला भी अब टूटता जा रहा है. इलाज के अभाव में बच्चों की तबीयत भी बिगड़ती जा रही है. ऐसे में परिजन चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. पोर्टल पर रजिस्टर्ड मरीजों के परिजन अब तक इलाज पर काफी खर्च कर चुके हैं. अब उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि अपने बच्चों का इलाज करा पाए. ऐसे में इन मरीजों और उनके बच्चों को मदद की आवश्यकता है ताकि इनका इलाज हो पाए.
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Tags: Disease, Jaipur news, Latest Medical news, Rajasthan newsFIRST PUBLISHED : November 23, 2022, 17:47 IST