धान की बुवाई से पहले करें ये 6 काम5 कीटों और 7 रोगों का खतरा होगा कम

धान की बुवाई के लिए जितना खेत का अच्छी तरह से तैयार करना जरूरी है उतना ही उर्वरक और सही बीज का इस्तेमाल करना भी जरूरी है. धान की फसल को कई तरह के कीटों और रोगों से खतरा होता है. कीटों और रोगों की रोकथाम के लिए किसान अभी से परेशान हैं. लेकिन, कुछ आसान टिप्स का इस्तेमाल कर के किसान धान की बंपर पैदावार हासिल कर सकते हैं.

धान की बुवाई से पहले करें ये 6 काम5 कीटों और 7 रोगों का खतरा होगा कम
रायबरेली. खरीफ की फसल का सीजन चल रहा है. धान इस सीजन की मुख्य फसल मानी जाती है. किसान धान की फसल की रोपाई को लेकर तैयारी में जुटे हुए हैं. इस फसल की खेती मुख्य तौर पर 2 तरह से की जाती है. एक सीधे बीज से बुवाई से तो दूसरी विधि में पहले धान की पौध तैयार की जाती है. उसके बाद खेत में पौधे की रोपाई की जाती है. किसान दोनों तरीके से खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. हालांकि धान की बुवाई के लिए जितना खेत का अच्छी तरह से तैयार करना जरूरी है उतना ही उर्वरक और सही बीज का इस्तेमाल करना भी जरूरी है. इन सबके अलावा फसल को कई तरह के कीटों और रोगों से खतरा होता है. कीटों और रोगों की रोकथाम के लिए किसान अभी से परेशान हैं. लेकिन, कुछ आसान टिप्स का इस्तेमाल कर के किसान धान की बंपर पैदावार हासिल कर सकते हैं और कीटों और रोगों से छुटकारा हासिल कर सकते हैं. रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा(Bsc Ag डा राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद)बताते हैं कि खरीफ के सीजन में किसान अपनी फसल को रोग एवं कीट से बचने के लिए उन्नत किस्म के बीज एवं अच्छे उर्वरक का प्रयोग करें. जिससे आपकी फसल कीटों और रोगों से बची रहेगी. तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं कि धान की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट कौन-कौन से हैं व इनसे बचाव के क्या तरीके हैं. बुवाई से पहले करें ये 6 उपाय शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि धान की फसल में कई तरह के रोग लगते हैं.  जिनमें 7 प्रमुख रोग हैं सफेद रोग, विषाणु झुलसा, शीथ झुलसा, भूरा धब्बा, जीवाणु धारी, झोका, खैरा रोग . इन सभी रोगों के प्रबंधन के लिए किसानों को कुछ प्रमुख बातों का ध्यान रखना जरूरी है. उन्नत बीजों के चयन बाद बुवाई करें बीज शोधन करने के उपरांत ही नर्सरी में बीज की बुवाई करें धान के बीज को 1.50 ग्राम के साथ 1.50 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए. झुलसा की समस्या वाले क्षेत्रों में 25 किलोग्राम बीज के लिए 38 ग्राम एमईएमसी और 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लीन को 45 लीटर पानी में बीज को रात भर भिगो दें और छाया में सुखाकर नर्सरी में बुवाई करें ट्राइकोडर्मा के साथ 60 से 80 किलोग्राम गोबर की खाद का मिश्रण खेत जुताई के दौरान मिला दें. जिससे खेत की मिट्टी भी शोधित हो जाएगी. कीटों और रोगों से बचाव के लिए किसान खेत की अच्छी तरीके से जुताई करें ऐसे करें कीट प्रबंधन शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि बताते हैं कि धान की फसल में कीट लगने का भी खतरा ज्यादा बना रहता है. इसमें 5 प्रमुख कीट हैं पत्ती लपेटक, दीमक, गंधी बग,सैनिक कीट,तना बेधक कीट है .जो धान की फसल की पैदावार को प्रभावित करते हैं. इनसे बचाव के लिए किसान फसल को खरपतवार से मुक्त रखें अच्छी उर्वरक का प्रयोग करें, कतार में पौधे की 20 ×20 सेमी की दूरी पर बुवाई करें .साथ ही यह भी ध्यान दें की 20 कतार के बाद एक कतार छोड़कर अगली कतार शुरू करें. समय-समय पर सिंचाई करते रहें, एवं पौधे की रोपाई के पहले ऊपरी भाग को नष्ट कर रोपाई करें. साथ ही वह बताते हैं कि 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर नीम आधारित कीटनाशक का प्रयोग करें. जिससे आपकी फसल की पैदावार बढ़ेगी और फसल रोग एवं कीट मुक्त रहेगी Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 17:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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