धान की नर्सरी में लग गए हैं ये 3 रोग तो करें ये 4 काम बीमारी होगी गायब उत
धान की नर्सरी में लग गए हैं ये 3 रोग तो करें ये 4 काम बीमारी होगी गायब उत
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि भीषण गर्मी में धान की नर्सरी में पत्ता लपेट की बीमारी भी आती है. इसके अलावा तना छेदक और फंगस की बीमारी भी धान की नर्सरी को चपेट में ले सकती हैं. जिसका समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है.
शाहजहांपुर : किसान जून और जुलाई के महीने में खरीफ की फसल धान की रोपाई करते हैं. धान की रोपाई करने से पहले धान की नर्सरी तैयार की जाती है. कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि धान की नर्सरी में बेहतर तरीके से रोग प्रबंधन करें अन्यथा नर्सरी में लगने वाले रोग धान की रोपाई के बाद फसल में भी आ सकते हैं. जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है. धान की नर्सरी में पत्ता लपेट, तना छेदक और फंगस की बीमारी लग सकती है. जिसका प्रबंधन करना बेहद जरूरी है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि भीषण गर्मी में धान की नर्सरी में पत्ता लपेट की बीमारी भी आती है. इसके अलावा तना छेदक और फंगस की बीमारी भी धान की नर्सरी को चपेट में ले सकती हैं. जिसका समय पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है. क्योंकि अगर किसी भी तरह की लापरवाही की जाती है तो धान की नर्सरी को नुकसान हो सकता है.
मुड़ती पत्तियों पर समय से गौर करें
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि नर्सरी में पत्ता लपेट की बीमारी आने से नर्सरी के पत्ते मुड़ने लगते हैं . समय पर उपचार न होने पर पत्तियां सूखने लगती हैं. धीरे-धीरे नर्सरी का नाजुक पौधा नष्ट हो जाता है. पत्ता लपेट का उपचार करने के लिए 1ml क्यूनालफॉस 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें या फिर क्लोरोपायरीफॉस इतनी ही मात्रा में घोल बनाकर धान की नर्सरी में छिड़काव कर दें. पत्ता लपेट की समस्या और अन्य कीट नष्ट हो जाएंगे.
तना छेदक का करें समय पर नियंत्रण
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि धान की नर्सरी में तना छेदक रोग भी आता है. इस रोग में धान की नर्सरी के नए कल्ले हल्का पीला होने के बाद सूख जाते हैं. इस रोग में सूंडी पौधे के निचले हिस्से में तने में घुसकर तने को कुतर देती है. तना छेदक की रोकथाम करने के लिए 350 ग्राम प्रति एकड़ कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 50% एसपी या फिप्रोनिल 5% एससी का इस्तेमाल करना देना चाहिए. ध्यान रखें की दवा का इस्तेमाल करते समय खेत में पानी भर लें.
फंगस की रोकथाम बेहद जरूरी
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि नर्सरी के पौधे बेहद नाजुक होते हैं. नाजुक पौधों में अगर फंगस की बीमारी आ जाए तो पतियों में पीलापन आने लगता है. जड़ों का विकास रुक जाता है. उसके बाद पौधे के बढ़वार रुक जाती है. फंगस की रोकथाम के लिए साफ (Mancozeb 63% + Carbendazim 12% WP) नाम का फंगीसाइड 2 ग्राम प्रति 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें. जिससे नर्सरी की जड़ें स्वस्थ रहेंगी.
पौधों की ग्रोथ के लिए दें NPK
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि रोग नियंत्रण के बाद एनपीके 19:19:19 यानि नाइट्रोजन फास्फोरस, पोटेशियम, का छिड़काव कर दें. जिससे नर्सरी की बढ़वार अच्छी होगी और पत्तियां हरी भरी रहेंगी. 1 किलोग्राम एनपीके प्रति 100 लीटर पानी में घोल बनाकर शाम के समय छिड़काव कर दें. एनपीके में पाए जाने वाले फास्फोरस से पौध की जड़े मजबूत होगी और अगर नर्सरी की पत्तियों की नोक झुलस रही है तो उसकी भी रोकथाम हो जाएगी.
Tags: Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 20, 2024, 14:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed