ना दाल है ना चीनीफिर इस मसाले का कैसे पड़ा नाम दालचीनी जानें रोचक किस्सा

यह मसाला न तो दलहन परिवार से आता है और न ही चीनी की तरह मीठा होता है. इसका जवाब जानने के लिए हमने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के टूरिज्म एवं होटल प्रबंधन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और फूड एक्सपर्ट डॉ. प्रणव भार्गव से बात की.

ना दाल है ना चीनीफिर इस मसाले का कैसे पड़ा नाम दालचीनी जानें रोचक किस्सा
शाश्वत सिंह/झांसी. भारतीय खाने में मसाले का बहुत महत्व है. मसाले के बिना खाने का स्वाद ही नहीं आता. किसी भी आम भारतीय के किचन में बहुत से मसाले उपलब्ध होते हैं. ऐसा ही एक मसाला है दालचीनी. पेड़ की छाल जैसा दिखने वाला यह मसाला स्वाद में हल्का से मीठा होता है. खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही यह सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. लेकिन, सवाल यह है कि इस मसाले का नाम दालचीनी ही क्यों पड़ा. यह मसाला न तो दलहन परिवार से आता है और न ही चीनी की तरह मीठा होता है. इसका जवाब जानने के लिए हमने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के टूरिज्म एवं होटल प्रबंधन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और फूड एक्सपर्ट डॉ. प्रणव भार्गव से बात की. डॉ. प्रणव ने बताया कि दालचीनी को दुनिया भर में cinnamon कहा जाता है. भारत में यह मसाला चीन के रास्ते लाया गया था. हमारे यहां चीन से लाई गई अधिकतर चीजों के नाम के आगे चीनी लगा दिया जाता है. यह मसाला एक पेड़ की डाल की छाल से निकाला जाता है. कई गुणों से भरपूर है दालचीनी डॉ. प्रणव ने बताया कि डाल की छाल से निकलने और चीन से आने की वजह से इसे नाम मिला दालचीनी. दालचीनी लगभग हर खाने में डाला जाता है. यह हर भारतीय किचन में मिल जाएगा. आयुर्वेद में भी इसका जिक्र होता है. स्वास्थ्य के लिए यह बहुत लाभदायक होता है. यह मसाला एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुणों से भरपूर है. छाल में मौजूद सिनामाल्डिहाइड एक आवश्यक तेल है. सिनामाल्डिहाइड के कारण ही ये सभी गुण दालचीनी में पाए जाते हैं. Tags: Jhansi news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : May 4, 2024, 20:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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