सामाजिक कार्यकर्ता इला भट्‌ट का 89 साल की उम्र में निधन पद्मभूषण रोमन मैग्सेसे अवॉर्ड से थीं सम्मानित

Ela Bhatt Passes Away: सामाजिक कार्यकर्ता इला भट्ट का 89 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने महिलाओं को सशक्त करने में काफी अहम भूमिका निभाई थी. कई मुहिम के जरिए उन्होंने महिला अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. उन्होंने स्वरोजगार करने वाली गरीब महिलाओं के लिए ‘सेल्फ एम्प्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन’ (सेवा) संस्थान की स्थापना की थी.

सामाजिक कार्यकर्ता इला भट्‌ट का 89 साल की उम्र में निधन पद्मभूषण रोमन मैग्सेसे अवॉर्ड से थीं सम्मानित
हाइलाइट्ससेवा संस्थान की फाउंडर इला भट्टा का 89 साल की उम्र में निधन2010 में उन्हें‘ग्लोबल फेयरनेस’ अवॉर्ड से किया गया था सम्मानित वैश्विक नेताओं के एक समूह 'द एल्डर्स' की भी थीं सदस्य अहमदाबाद.  पद्म भूषण और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित इला भट्ट का 89 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया. उन्होंने स्वरोजगार करने वाली गरीब महिलाओं की पीड़ा को देखकर 1972 में ‘सेल्फ एम्प्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन’ (‘सेवा’) की स्थापना की थी. स्थापना के तीन सालों के भीतर ‘सेवा’ के सदस्यों की संख्या 7,000 हो गई थी. फिर सरकार ने इसे ट्रेड यूनियन के रूप में पंजीकृत किया. हालांकि इसमें कई मुश्किलें सामने आईं. दिसंबर 1995 तक इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर लगभग 2,20,000 हो गई और यह भारत में सबसे बड़ा एकल संघ बन गया. ‘सेवा’ सदस्यों ने अपने संगठन और एकजुटता के जरिए नियोक्ताओं से अपनी शर्तों के साथ बातचीत करने की शक्ति हासिल की और सदस्यों के लिए स्वास्थ्य, मातृत्व लाभ आदि योजनाओं की व्यवस्था की. ‘सेवा’ सदस्यों ने विभिन्न व्यापार समूहों की दर्जनों सहकारी समितियों की स्थापना की, जिसका मकसद कौशल और विशेषज्ञता साझा करना, नए उपकरण, डिजाइन और तकनीक विकसित करना और थोक खरीद और संयुक्त बाजार में जगह बनाना था. इन सहकारी समितियों में औसतन 1,000 से अधिक सदस्य हैं. स्व-रोजगार करने वाली गरीब महिलाओं के लिए किया काम भट्ट का जन्म 1933 में हुआ. वह पहले वकील, फिर सामाजिक कार्यकर्ता और 1968 में अहमदाबाद में वस्त्र श्रम संघ की महिला वर्ग की प्रमुख बनीं. इस पद पर रहते हुए वह शहर में और एशिया में अन्य जगहों पर स्व-रोजगार करने वाली गरीब महिलाओं की परेशानियों से रूबरू हुईं. इन महिलाओं में बुनकर, सिगरेट के रोलर बनाने वालीं, फल, मछली और सब्जियां बेचने वालीं, लकड़ी और कचरा बीनने वालीं और सड़क निर्माण मजदूर शामिल थीं. इन महिलाओं को अपनी दुकानों और या कामकाज में इस्तेमाल होने वाले औजारों को लिए भारी-भरकम किराया देना पड़ता था. साथ ही साहूकार, नियोक्ता और अधिकारी भी नियमित रूप से उनका शोषण या उत्पीड़न करते थे. अहमदाबाद में, इनमें से 97 प्रतिशत महिलाएं झुग्गी-झोपड़ियों में रहती थीं. 93 प्रतिशत निरक्षर थीं, अधिकतर महिलाएं कर्ज में डूबी थीं और उन्हें अपने कुछ या सभी बच्चों को काम करने के लिए अपने साथ ले जाना पड़ता था. इस स्थिति से निपटने के लिए ही 1972 में भट्ट ने ‘सेवा’ की स्थापना की. संघ ने 1974 में अपना बैंक स्थापित किया. बैंक की स्थापना ने हजारों महिलाओं और उनकी निजी संपत्ति को साहूकारों से बचाया. इससे उन्हें भूमि, छोटी संपत्ति और उत्पादन के साधन जमा करने का अवसर मिला. इस बैंक का ऋण चुकाने वालों की दर 96 प्रतिशत है, जो काफी प्रभावशाली है. ये भी पढ़ें: मोरबी हादसे से सीख! अहमदाबाद के अटल पुल पर अब केवल इतने लोगों को मिलेगी एंट्री ‘ग्लोबल फेयरनेस’ अवॉर्ड से की गईं सम्मानित यह संगठन ‘इंटरनेशनल यूनियन ऑफ फूड एंड टोबैको वर्कर्स’ और ‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ प्लांटेशन, एग्रीकल्चर एंड अलाइड वर्कर्स’ से संबद्ध है. भट्ट 1986 से 1989 तक राज्यसभा की मनोनीत सदस्य रहीं. वह 1989 से 1991 तक योजना आयोग की सदस्य भी रहीं. वह दक्षिण अफ्रीका के दिवंगत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला द्वारा स्थापित वैश्विक नेताओं के एक समूह “द एल्डर्स” की सदस्य भी थीं. 2010 में, भट्ट को ‘निवानो’ शांति पुरस्कार और पहले ‘ग्लोबल फेयरनेस’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था. साल 2011 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने उन्हें उनके कार्यों के लिए ‘रैडक्लिफ इंस्टीट्यूट मेडल’ से सम्मानित किया था. इसके अलावा 2011 में, भट्ट को भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड में नियुक्त किया गया था. उसी साल, उन्हें इंदिरा गांधी पुरस्कार के लिए चुना गया था. ‘सेवा’ ने सितंबर 2013 में पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम संसद में पारित कराने में योगदान दिया. यह कानून पथ विक्रय को नियंत्रित करता है और विक्रेताओं को इन्हें संचालित करने के लिए लाइसेंस प्रदान करता है. यह विक्रेताओं की मनमानी बेदखली को भी रोकता है तथा जुर्माने को नियंत्रित करता है, जिससे भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा उन्हें परेशान किए जाने की संभावना कम हो जाती है. इस कानून को देश के शहरी गरीबों की आजीविका सुरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जाता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Padam shri, WomanFIRST PUBLISHED : November 02, 2022, 22:36 IST