बारिश में डूब जाता है गुरुग्राम तो नोएडा कैसे रहता है सूखा जन्म में छुपा राज़
बारिश में डूब जाता है गुरुग्राम तो नोएडा कैसे रहता है सूखा जन्म में छुपा राज़
Gurugram Rain Traffic: दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम में आज एक बार फिर भारी बारिश का अंदेशा है. मौसम विभाग ने इसे लेकर चेतावनी भी दी है. सोमवार को हुई झमाझम बारिश से गुरुग्राम जहां पानी में डूबा नजर आया, तो वहीं नोएडा में लगभग सारी सड़कें साफ थी. दिल्ली से सटे इन दोनों शहरों की तस्वीर इतनी अलग क्यों दिखती है, चलिये समझते हैं...
दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों खूब झमाझम बारिश हो रही है. भारतीय मौसम विभाग ने आज यानी बुधवार को दिल्ली और आसपास के इलाकों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. इस कारण कई जगहों पर जलजलाव और ट्रैफिक जाम की समस्या हो सकती है. वैसे इन काली घटाओं को देखकर दिल्ली से सटे दो शहरों का रंग अलग ही हो जाता है. झमाझम बारिश से जहां नोएडा का समा सुहाना हो जाता है, वहीं गुरुग्राम में लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती है.
कुछ ऐसी ही तस्वीर सोमवार को दिखी, जब दिल्ली-एनसीआर में एक ही दिन में करीब 100 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. इस दौरान गुरुग्राम में मुख्य सड़कों पर कई किलोमीटर लंबे जाम लग गया. इस कारण से दफ्तर से लौट रहे लोग घंटों तक जाम में फंसे रहे. वैसे गुरुग्राम में हर साल लगभग ऐसा ही नजारा दिखता है, जहां थोड़ी सी बारिश में भी शहर थम जाता है. इस जलभराव ने एक बार फिर गुरुग्राम की शहरी प्लानिंग और विकास पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पहले बना नोएडा शहर, फिर बसे लोग
वहीं दूसरी ओर नोएडा की तस्वीर कुछ और दिखी. यहां बारिश के दौरान ऐसे हालात न के बराबर देखने को मिलते हैं. 1975 में आपातकाल के दौरान जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने दिल्ली से उद्योगों को बाहर शिफ्ट करने की योजना बनाई, तब नोएडा की नींव रखी गई. नोएडा को उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट एक्ट, 1976 के तहत एक औद्योगिक टाउनशिप के रूप में विकसित किया गया और आज यह राज्य की आर्थिक ताकत के तौर पर उभर चुका है.
शहरी नियोजन के जानकार बताते हैं कि नोएडा पूरी तरह से ग्रीनफील्ड योजना के तहत विकसित किया गया था. यानी एक बार में जमीन अधिग्रहण कर सड़कें, सीवर, नाले, स्ट्रीट लाइट और पैदल मार्ग जैसे पूरी अवसंरचना पहले से ही बना दिए गए. इसके बाद निजी डेवलपर्स ने आकर इसी ढांचे से जुड़कर निर्माण कार्य शुरू किया.
करीब 50 साल पहले नोएडा के लिए 50 गांवों की 14,915 हेक्टेयर (36,841 एकड़) जमीन अधिग्रहित की गई थी. आज यह क्षेत्र 81 गांवों और 20,316 हेक्टेयर तक फैल चुका है. शहरी शोधकर्ता मुक्ता नाइक के अनुसार, यही कारण है कि यहां का सड़क और ड्रेनेज नेटवर्क संतुलित और टिकाऊ साबित हुआ. नोएडा से बिल्कुल अलग गुरुग्राम के जन्म की कहानी
गुरुग्राम की कहानी बिल्कुल अलग है. यहां शहर का विकास सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर हुआ. हरियाणा सरकार ने 1970 के दशक से कई कानून बनाए, जिनके तहत निजी कंपनियों ने अलग-अलग जगहों से जमीन लेकर टाउनशिप बनाई. सबसे बड़ा नाम डीएलएफ का है. लेकिन इस प्रक्रिया में भूमि अधिग्रहण एकसमान तरीके से नहीं हुआ. नतीजा यह हुआ कि शहर में जगह-जगह असमान प्लॉट बने, कई सड़कें अधूरी रह गईं और बुनियादी ढांचे में निरंतरता नहीं रही.
गुरुग्राम की भौगोलिक स्थिति भी बारिश के दौरान समस्या को बढ़ा देती है. अरावली पहाड़ियां शहर के दक्षिणी छोर पर प्राकृतिक ऊंचाई पर हैं और वहां से पानी उतरकर उत्तर की ओर बहता है, जो अपेक्षाकृत निचला इलाका है. यह पानी आगे चलकर पश्चिमी दिल्ली के नजफगढ़ झील तक पहुंचता है. लेकिन अनियोजित शहरीकरण और प्राकृतिक नालों के गायब होने से पानी रुकने लगा है.
शहर का सड़क नेटवर्क भी दिक्कत बढ़ाता है. यहां साफ-सुथरा ग्रिड नहीं है, जिससे ट्रैफिक जाम आम बात हो जाता है और बारिश में पानीभराव इस समस्या को और विकराल बना देता है. विशेषज्ञों का कहना है कि जहां नोएडा की सफलता का राज़ उसके योजनाबद्ध विकास में छिपा है, वहीं गुरुग्राम आज अपनी जल्दबाजी और अव्यवस्थित विस्तार की सजा भुगत रहा है.
Tags: Gurugram, Noida news, Rain alertFIRST PUBLISHED : September 3, 2025, 08:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed