गरीब मुसलमानों और वक्फ एक्ट संसोधन के पीछे सरकार का क्या मकसद
गरीब मुसलमानों और वक्फ एक्ट संसोधन के पीछे सरकार का क्या मकसद
Waqf Board: एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने नेटवर्क 18 को बताया, "सरकार की ओर से इन संपत्तियों को मुसलमानों से छीनने का कोई इरादा नहीं है. आखिरकार, इन संपत्तियों का इस्तेमाल केवल मुस्लिम समुदाय के लाभ के लिए किया जा सकता है. कानूनी बिरादरी के कई मुसलमानों ने इस विधेयक को "दूरदर्शी सुधार" बताया है.
रिपोर्ट-पायल मेहता/नई दिल्ली: भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार कथित तौर पर वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करने के लिए वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के लिए तैयार है और संसद में संशोधनों को पेश करने के लिए तैयार है. सरकारी सूत्रों ने कहा अल्पसंख्यक आबादी के कई हलकों द्वारा बनाई जा रही इस आशंका को दूर करने के लिए कि विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को छीन लेगा, आगामी कानून केवल मुस्लिमों के पक्ष में होगा.
घटनाक्रम से अवगत सूत्रों ने कहा कि कई गरीब मुसलमान और विशेष रूप से मुस्लिम महिलाएं न्याय के लिए सरकार के पास पहुंची हैं. उन्होंने यह भी व्यक्त किया है कि कैसे ये संपत्तियां बहुत शक्तिशाली लोगों के नियंत्रण में हैं और कोई भी ऐसा नहीं है जिसने आम आदमी के दुखों के बारे में सोचा हो.
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नए संशोधन में क्या-क्या
यह अधिनियम पहली बार 1954 में लाया गया था, जिसे 1995 में और फिर 2013 में संशोधित किया गया. पहले के स्वरूप में न्यायाधिकरण का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता था, लेकिन अब प्रस्तावित नए संशोधन के साथ कोई भी व्यक्ति जो आगे जाना चाहता है, किसी भी विवाद की स्थिति में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है.
मुस्लिम समुदाय के लिए लाभ के लिए किया जा रहा है ऐसा
एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने नेटवर्क 18 को बताया, “सरकार की ओर से इन संपत्तियों को मुसलमानों से छीनने का कोई इरादा नहीं है. आखिरकार, इन संपत्तियों का इस्तेमाल केवल मुस्लिम समुदाय के लाभ के लिए किया जा सकता है. जो लाया जा रहा है वह एक व्यवस्थित प्रक्रिया है ताकि इसका लाभ सबसे गरीब लोगों तक पहुंच सके.” सरकारी सूत्रों ने बताया कि कानूनी बिरादरी के कई मुसलमानों ने इस विधेयक को “दूरदर्शी सुधार” बताया है.
क्या है तैयारी?
रेलवे और रक्षा समेत सरकारी संस्थाओं के स्वामित्व वाली भूमि के बाद, वक्फ के पास तीसरी सबसे बड़ी संख्या में संपत्तियां हैं. हालांकि, ऐसी संपत्तियों से आने वाला राजस्व इन संपत्तियों की कीमत के आसपास भी नहीं है. वास्तव में, प्रति वर्ष राजस्व 200 करोड़ से भी अधिक नहीं है. एक सूत्र ने कहा, “नए कानून में प्रत्येक संपत्ति का जिला कलेक्टर के साथ मानचित्रण करने का प्रावधान किया जा रहा है ताकि राजस्व का अंततः हिसाब लगाया जा सके.” ऐसी संपत्तियों को पंजीकृत करने के लिए
टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग ऐसी किसी भी त्रुटि को कम करेगा.
Tags: Modi government, Waqf BoardFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 08:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed