अंतिम 10 दिनों में इस विधि से करें अरहर की बुआई3 गुना होगा उत्पादन!

डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अरहर की फसल लगाने के लिए जून से लेकर अगस्त का पहला सप्ताह बेहद ही उपयुक्त रहता है. यानि अरहर की बुआई के लिए अंतिम 10 दिन बाकी है. हालांकि कुछ किसान इसकी बुआई लेट में भी करते हैं.

अंतिम 10 दिनों में इस विधि से करें अरहर की बुआई3 गुना होगा उत्पादन!
शाहजहांपुर : अरहर की खेती भारतीय किसानों के लिए बहुत फायदे का सौदा हो सकती है. भारतीय कृषि में अरहर की खेती महत्वपूर्ण स्थान रखती है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की बढ़ती आबादी के लिए कुल दाल की आवश्यकता 32.0 मिलियन टन है, जो 2050 तक बढ़कर 1.69 बिलियन हो जाएगी. इस स्तर तक पहुंचने के लिए दाल के उत्पादन में 2.2% की वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता है. हालांकि दालों की मांग 2.8% प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है लेकिन पिछले कुछ समय में दलहन की फसलों का क्षेत्रफल लगातार कम हो रहा है. जिसके बाद सरकार भी प्रयास कर रही है कि किसान दलहन की खेती की ओर बढ़ें है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अरहर की खेती करने के लिए अगर किसान सही तकनीक और सिंचाई का उचित प्रबंध कर लें, तो अरहर की खेती से तीन गुना तक ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं. अरहर की खेती करने के लिए खेत में जल निकासी की बेहतर व्यवस्था हो. समय पर फसल को पानी मिल सके तो पैदावार में इजाफा होगा. बुवाई के लिए उपयुक्त है समय डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अरहर की फसल लगाने के लिए जून से लेकर अगस्त का पहला सप्ताह बेहद ही उपयुक्त रहता है. यानि अरहर की बुआई के लिए अंतिम 10 दिन बाकी है. हालांकि कुछ किसान इसकी बुआई लेट में भी करते हैं. दलहन अनुसंधान केंद्र कानपुर द्वारा बहुत किस्म तैयार की गई है जो कम लागत में किसानों को अच्छा मुनाफा देती हैं. जरूरी है कि किसान अरहर की खेती करते समय उन्नत किस्म के बीजों का चयन करें. ऐसे करें खेत तैयार डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अरहर की खेती करने के लिए खेत को डिस्क हैरो से गहरी जुताई करें. उसके बाद रोटावेटर से खेत को जोत कर मिट्टी को भुरभुरा कर लें. खेत तैयार करने के बाद मेड बनाकर मेड के ऊपर अरहर के बीज लगा दें. एक एकड़ खेत में अरहर की फसल लगाने के लिए 4 से 5 किलो बीज की आवश्यकता होती है. मेड बनाकर अरहर की खेती करने से खेत से जल निकासी बेहतर होगी. ज्यादा बरसात होने पर तुरंत पानी खेत से बाहर चला जाएगा. जिससे फसल को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा. दलहन अनुसंधान केंद्र के विकसित बीज डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि दलहन अनुसंधान केंद्र कानपुर के द्वारा कई उन्नत किस्म तैयार की गई हैं. जिनमें से उपास-120 है जो 115 से 120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इसके अलावा बहार और अंबर नाम की अरहर की किस्म भी दलहन अनुसंधान कानपुर के द्वारा ही विकसित की गई है जो 150 दिनों में पककर तैयार होती है. बुवाई के समय पर्याप्त नमी जरूरी डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अरहर की फसल से अच्छा उत्पादन देने के लिए सिंचाई का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले बुवाई के समय ही खेत में नमी का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. पर्याप्त नमी होने से बीज जल्दी अंकुरित होंगे और मजबूत अंकुर से ही मजबूत पौधे तैयार होंगे. जिससे अच्छा उत्पादन मिलेगा. सिंचाई का रखें विशेष ध्यान डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अरहर की फसल में जब फूल आते हैं, उस समय सिंचाई करने की बेहद आवश्यकता होती है, क्योंकि पानी की कमी होने से कई बार फूल झड़ने की समस्या आ जाती है. ऐसे में उस समय सिंचाई का विशेष ध्यान रखें. इस समय विशेष देखरेख की जरूरत डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अरहर की खेती में फूलों से फली बनने का समय बेहद ही महत्वपूर्ण होता है. उस समय अरहर की फसल में सिंचाई की विशेष तौर पर जरूरत होती है. उस समय पौधे में अगर पानी की कमी हो तो फली में आने वाले दाने कमजोर रहेंगे, जिसका सीधा बुरा असर उत्पादन पर पड़ेगा. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : July 27, 2024, 12:45 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed