कमल के तने से खींचे रेशे और खड़ा कर दिया करोड़ों का कपड़ा कारोबार दिलचस्प है इस महिला की कामयाबी की कहानी
कमल के तने से खींचे रेशे और खड़ा कर दिया करोड़ों का कपड़ा कारोबार दिलचस्प है इस महिला की कामयाबी की कहानी
Success Story: मणिपुर में दूरदराज के एक गांव में रहने वाली 29 वर्षीय तोंगब्राम बिजियाशांति का ‘कमल‘ के तने से बने रेशम जैसे धागे से कपड़ा बुनने का कारोबार बढ़ता जा रहा है. वह गांव की कुछ महिलाओं को रोजगार दे रही हैं और इसे विस्तार भी दे रही हैं. इस धागे से बने स्कार्फ, मफलर और ‘टाई‘ मुंबई तथा कोलकाता सहित अन्य बड़े शहरों में भेजे जाते हैं. इन शहरों में इनकी बहुत मांग है.
हाइलाइट्सतीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी बिजियाशांति ने कहा -2014 में मुझे कमल के तने से रेशेकोरोना महामारी में भी धीमी नहीं हुई कारोबार की रफ्तारइंफाल. मणिपुर में दूरदराज के एक गांव में रहने वाली 29 वर्षीय तोंगब्राम बिजियाशांति का ‘कमल‘ के तने से बने रेशम जैसे धागे से कपड़ा बुनने का कारोबार बढ़ता जा रहा है. लिहाजा वह अपने गांव की और महिलाओं को रोजगार देना चाहती हैं. इस धागे से बने स्कार्फ, मफलर और ‘टाई‘ मुंबई और कोलकाता सहित कई बड़े शहरों में भेजे जा रहे हैं.
कमल के फूलों से भरी लोकतक झील के पास रहने वाली बिशनपुर जिले की युवा उद्यमी बिजियाशांति ने 30 महिलाओं को रोजगार दिया है, वे अपने घरों से काम करती हैं. बिजियाशांति आने वाले दिनों में अपने कारोबार में और अधिक स्थानीय लोगों को शामिल करने की योजना बना रही हैं.बिजियाशांति ने कहा-‘पहले मुझे कमल की विभिन्न किस्मों को इकट्ठा करने में मजा आता था. फिर मैं उन्हें झील में लगा दिया करती थी.’
2014 में कमल के तने से रेशे निकालने का आया था विचार
तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी बिजियाशांति ने कहा -2014 में मुझे कमल के तने से रेशे निकालने का विचार आया, जिसके बाद मैंने कई पत्रिकाओं को पढ़कर और वीडियो देखकर शोध किया और फिर खुद को इस कला में प्रशिक्षित कर लिया.उन्होंने 2018 में अपनी कंपनी ‘सनजिंग सना थंबल’ शुरू की, जिससे कपड़े बुनने के क्षेत्र में नए रास्ते खुल गए और स्थानीय महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने लगे.
पीएम मोदी भी कर चुके हैं बिजयाशांति की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले अपने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में बिजियाशांति के अभिनव प्रयासों की सराहना की थी. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी उनकी कोशिशों को सराहा था. बिजियाशांति ने कहा- ‘सबसे पहले मैंने कुछ स्थानीय महिलाओं को कम से कम दो सप्ताह के लिए ‘फाइबर रेशा‘ निकालने और धागे की कताई की तकनीक सिखाई. इसके बाद उनके कौशल के आधार पर मैंने उन्हें काम दिया और वे अपने अपने घरों से काम करती हैं.
कोरोना महामारी में भी धीमी नहीं हुई कारोबार की रफ्तार
जीपी महिला कॉलेज इंफाल से वनस्पति विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई करने वालीं बिजियाशांति को इस बात की खुशी है कि कोविड-19 महामारी का भी उनके कारोबार पर असर नहीं पड़ा. उन्होंने कहा- चूंकि सभी लोग अपने घरों से काम करते थे, इसलिए कोई समस्या नहीं आई. हमें काम नहीं रोकना पड़ा.बिजियाशांति को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में वह अपने उद्यम का विस्तार करेंगी और अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार देंगी.
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Tags: Manipur News, Narendra modi, Success StoryFIRST PUBLISHED : September 11, 2022, 18:05 IST