रामनगर की रामलीला से जौहरी परिवार का है कनेक्शन 4 पीढ़ियों से कर रहे ये काम

Ramnagar Ramleela: वाराणसी की रामलीला सबसे अनोखी होती है. यहां की रामलीला में संजीव जौहरी का परिवार चार पीढ़ियों से रामायण का पाठ पढ़ते आ रहा है. यह परिवार 470 साल पुराने नाटी इमली के भरत मिलाप में भी प्रभु श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के लिए स्टेज को फूलों से सजाता है.

रामनगर की रामलीला से जौहरी परिवार का है कनेक्शन 4 पीढ़ियों से कर रहे ये काम
वाराणसी: यूपी के वाराणसी में रामनगर की रामलीला सबसे अनोखी होती है. यह लीला कई मायनों में खुद को खास बनाती है. यही वजह है कि यूनिस्को ने भी इसे वर्ल्ड हेरिटेज माना है. यह ऐतिहासिक रामलीला आज भी बिना किसी स्टेज और लाइट-साउंड के होती है. काशी के जौहरी परिवार का इस रामलीला से गहरा संबंध है. जौहरी परिवार के लोग यहां चार पीढ़ियों से आ रहे हैं. जौहरी परिवार की चौथी पीढ़ी अब इस रामलीला की साक्षी है. यहां हर रोज पूरे एक महीने तक लीला शुरू होने से पहले संजीव और उनके भाई विशाल जौहरी इसमें शामिल होने के लिए पहुंच जाते हैं. माथे पर त्रिपुंड और सफेद धोती कुर्ता में वह यहां बैठ रामायण का पाठ करते है. चुन्नीलाल से शुरू हुई थी परंपरा संजीव जौहरी ने बताया कि इस परंपरा की शुरुआत उनके परदादा चुन्नी लाल जौहरी से हुई थी.  वह पूरे बनारसी अंदाज में इस लीला को निहारने आते थे. चुन्नी लाल के बाद सीताराम और फिर उनके बेटे लखनलाल जौहरी भी यहां आने लगे. लखनलाल अपने बेटे संजीव और विशाल जौहरी को भी साथ लाते थे. अब उनके यदि बेटे इस लीला में रामायण का पाठ कर इस परंपरा को निभा रहे हैं. पांचवी पीढ़ी को जोड़ने की कवायत संजीव ने बताया कि अपने दादा और पिता के दिखाए मार्ग पर चलकर अब वह अपने बेटे को यहां की रामलीला में लाते हैं. ताकि जौहरी परिवार की पांचवीं पीढ़ी का जुड़ाव भी इस रामलीला से हो सके. ऐतिहासिक भरत मिलाप में भी अहम रोल बता दें कि रामनगर के इस ऐतिहासिक रामलीला के अलावा काशी का यह जौहरी परिवार 470 साल पुराने नाटी इमली के भरत मिलाप में भी प्रभु श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के लिए स्टेज को फूलों से सजाते हैं. Tags: Local18, Religion, Religion 18, UP news, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 15:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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