क्या सच में प्रियंका बनारस में मोदी को हरा देतीं राहुल के दावे में कितना दम

क्या सच में प्रियंका बनारस में मोदी को हरा देतीं राहुल के दावे में कितना दम
वाराणसी. इन दिनों सियासी गलियारों में वाराणसी के सीट को लेकर अजब-गजब दावे देखे जा रहे हैं. कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी (आप) के नेतागण बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में 99 का आंकड़ा छूकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो प्रियंका गांधी वाड्रा के जीत की गारंटी भी बता डाली, लेकिन क्या सच में पीएम मोदी के सामने विपक्ष के लिए यह सीट आसान होता. इसका अंदाज आप यह रिपोर्ट पढ़ के लगा सकते हैं, जो कि दूध का दूध और पानी का पानी कर देगा. 1991 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हम आपको वाराणसी लोकसभा सीट पर बीजेपी के पकड़ की हकीकत बताते हैं. इस सीट पर वैसे तो कांग्रेस और बीजेपी लगभग बराबरी पर है, लेकिन 1991 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. 1991 में बीजेपी के तरफ से यह से श्रीश चंद्र दीक्षित लड़े और जीत हासिल की. फिर 1996, 1998 और 1999 में शंकर प्रसाद जायसवाल ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की, लेकिन 2004 में बीजेपी की आंतरिक कलह से यहां कांग्रेस प्रत्याशी राजेश मिश्रा ने जीत प्राप्त की. इसके बाद 2009 में मुरली मनोहर जोशी ने कांग्रेस को हराकर फिर से वाराणसी में बीजेपी का परचम लहराया, जिसके बाद 2014 में यहां नरेंद्र मोदी चुनाव लड़े और 2024 में लगातार तीसरी बार जीत हासिल की. नरेंद्र मोदी के रेकॉर्ड मतों से जीत अब यदि राहुल गांधी, डिंपल यादव और ‘आप’ नेताओं के दावों की बात करें तो आप सिर्फ जीत के इन आंकड़ों को समझ लीजिए और आपको पता चल जाएगा कि वाराणसी सीट पर कैसे नरेंद्र मोदी का कब्जा बरकरार रहता. 2014 में नरेंद्र मोदी ने यहां से 581022 मत प्राप्त कर अरविंद केजरीवाल को 371078 वोटों के अंतर से हराया. अजय राय पहली बार उस वक्त पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे और उन्हें मात्र 75 हजार वोट प्राप्त हुए थे. वहीं यह अंतर 2019 में और बढ़ गया. कांग्रेस से अजय राय ने फिर चुनाव लड़ा नरेंद्र मोदी के सामने और समाजवादी पार्टी से शालिनी यादव ने. इस चुनाव में नरेंद्र मोदी ने 669602 मत प्राप्त कर चार लाख मतों के अंतर से जीत प्राप्त की. इस चुनाव में अजय राय 151800 वोट हासिल कर तीसरे नंबर पर थे और शालिनी यादव 193848 मत प्राप्त कर दूसरे नम्बर पर रहीं. अब 2024 में इंडी गठबंधन और पीएम मोदी आमने-सामने थे, जिसमें अजय राय तीसरी बार चुनाव लड़े और उन्होंने 460457 मत प्राप्त किया, जबकि पीएम मोदी ने 612970 मत प्राप्त कर 152513 मतों के अन्तर से जीत हासिल की. अब बात दावों की इस बार का चुनाव बदले हुए बनारस के तस्वीर पर लड़ी गई. पीएम मोदी द्वारा करवाए गए विकास से बनारस अंतरराष्ट्रीय मंच पर ब्रांड बनकर सामने आया, जिससे यहां की जनता पहले ही पीएम मोदी को विजय का आशीर्वाद दे चुकी थी. मामला सिर्फ अंतर का था. हां… इस बार पीएम मोदी के जीत में अंतर जरूर कम हुआ, लेकिन वो गठबंधन के प्रत्याशी के मजबूती के कारण नहीं, बल्कि मतदाताओं के अतिआत्मविश्वास ने रिकॉर्ड मतों पर लगाम लगा दी. क्या कहते हैं बनारस के राजनैतिक विश्लेषक प्रो रवि प्रकाश पांडेय और विजय नारायण से बताया कि पीएम मोदी के सामने गठबंधन द्वारा अजय राय को टिकट दिए जाने पर बनारस की जनता ने यह मान लिया की पीएम मोदी जीत रहे हैं. अब सिर्फ अंतर का आंकड़ा है, यदि यही गठबंधन की तरफ से कोई बड़ा चेहरा होता तो वोट प्रतिशत का अंतर 56 नहीं, बल्कि 60 से ऊपर जाता और जीत मोदी की ही होती, उसके दो कारण हैं 90 के बाद से बनारस हिंदू और हिंदुत्व के एजेंडे पर वोट डालता है और इस बार तो हिंदुत्व के साथ-साथ बनारस के विकास का भी मुद्दा रहा है, ऐसे में गठबंधन से कोई भी आ जाता, पर जीत पीएम मोदी के ही नाम होता. Tags: Narendra modi, Priyanka gandhi, Rahul gandhiFIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 18:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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