मनरेगा कर्मी टोटो वाला गले में बिहार सरकार का ID कार्ड लटकाए ई-रिक्शा चला रहे शैलेंद्र जानें वजह
मनरेगा कर्मी टोटो वाला गले में बिहार सरकार का ID कार्ड लटकाए ई-रिक्शा चला रहे शैलेंद्र जानें वजह
Purnia News: पूर्णिया के मनरेगा व संविदा कर्मी शैलेंद्र कुमार इन दिनों टोटा ( ई-रिक्शा) चलाने की वजह से चर्चा में हैं. नौकरी से मिलने वाली सैलरी से गुजरा नहीं हुआ, तो उन्होंने पत्नी के गहने बेचकर टोटा खरीदा है. साथ ही उन्होंने बिहार सरकार से सैलरी बढ़ाने की मांग की है.
रिपोर्ट- विक्रम कुमार झा
पूर्णिया. बिहार सहित भारत में नौकरी के खूब चर्चे हो रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. बिहार में नौकरी तो है और उसके प्रकार बहुत अलग-अलग हैं. इस कारण से उनके वेतन में भी काफी अंतर है. इस कारण के कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा ही एक शख्स पूर्णिया में है, जिसका मनरेगा की नौकरी से पेट नहीं भरा तो पत्नी के के गहने बेच डाले. इसके बाद ई-रिक्शा खरीदा और उस पर लिखवाया, ‘ मनरेगा कर्मी टोटो वाला, संविदा कर्मी टोटो वाला…!’ साथ में गले में बिहार सरकार की आईडी भी डाले रहता है.
शैलेंद्र कुमार ने बताया कि वह विगत 15 वर्षों से बिहार सरकार के (PRS) पंचायत रोजगार सेवक के पद पर कार्यरत हैं. उसकी बहाली मनरेगा योजना की शुरुआती दौर में संविदा के तौर पर की गई थी. साथ ही कहा कि बिहार सरकार के द्वारा मनरेगा व संविदा कर्मियों को उतनी तनख्वाह नहीं दी जाती, जिससे उसका गुजारा हो सके. शैलेंद्र कुमार के मुताबिक, परिवार को पालने में भी काफी परेशानी हो जाती है.
घर में हुई आर्थिक परेशानी तो पत्नी के गहने बेचे
शैलेंद्र कुमार ने बताया कि कम तनख्वाह के कारण मैं काफी परेशानी से गुजरने लगा. इसके बाद पत्नी के गहने बेचकर टोटो (E-Rikshaw) निकाला. वह ड्यूटी से पहले और ड्यूटी से आने के बाद ई-रिक्शा चलाते हैं. उन्होंने बताया कि टोटो चलाने से उसे 700 रुपए तक मिल जाते हैं जिससे परिवार आसानी से चल जाता है. साथ ही बिहार सरकार से कहा कि हम मनरेगा कर्मी व संविदा कर्मियों के लिए जल्द से जल्द कुछ सोचा जाए नहीं तो इसी तरह सभी संविदा कर्मियों को टोटो चलाने पड़ेंगे.
टोटो चलाने के बाद अच्छी होती है आमदनी
शैलेंद्र कुमार ने बताया कि ई-रिक्शा चलाकर वह अच्छी खासी आमदनी कर लेते हैं. रिक्शा से रोजाना 500 से 700 रुपए तक इनकम हो जाती है. इससे परिवार और बच्चे काफी खुश हैं. परिवार को दोनों समय की रोटी आसानी से मिल जाती है. हालांकि हुई जब उनसे उनकी मजबूरी पर बात की तो वह भावुक हो गए.
बिहार के संविदा कर्मियों को मिले उचित सम्मान
भावुक होते हुए शैलेंद्र कुमार बताते हैं कि बिहार को छोड़कर अन्य राज्यों में मनरेगा कर्मियों को सरकार ने अपना अंग मान लिया है. उनको सरकारी कर्मी घोषित करते हुए अच्छी खासी सैलरी भी दी जा रही है, लेकिन अपने बिहार में अब तक संविदा कर्मी का ही ठप्पा लगा हुआ है. ऐसे में सरकार से हमारी मांग है कि कम से कम हम संविदा कर इमो पर भी दूसरे राज्यों के सरकार की तरह ध्यान दें, ताकि किसी अन्य को पत्नी के गहने बेचकर ई रिक्शा चलाने की मजबूरी ना हो.
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Tags: Bihar News, Purnia newsFIRST PUBLISHED : November 07, 2022, 16:12 IST