यूपी चुनाव रिजल्ट: आप ये जानना चाहते होंगे कि यूपी में राजपूतों की नाराजगी का क्या असर हुआ, क्या भारतीय जनता पार्टी की घटी हुई सीटों के लिए राजपूत वोटबैंक जिम्मेदार है. अंतिम चरण के रूझान इसकी तरफ इशारा नहीं कर रहे.
Western UP Lok Sabha Result: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले फेज की पोलिंग से पहले हवा चली की राजपूत कम्युनिटी बीजेपी से खफा है. शुरुआत टिकट बंटवारे से हुई. जाट और गुर्जर वोट बैंक की कीमत पर राजपूतों यानी ठाकुरों के साथ अन्याय की चर्चा चौक चौराहों पर होने लगी. तभी पुरुषोत्तम रूपाला ने आग में घी डालने का काम कर दिया. दलितों के एक सम्मेलन में उन्होंने क्षत्रिय समाज पर टिप्पणी कर दी – रजवाड़ों ने अंग्रेजों के साथ रोटी बेटी का व्यवहार किया लेकिन दलित समाज न झुके न ही अपना धर्म बदला. इस बयान ने गुजरात से यूपी तक माहौल बदल दिया. राजपूत महापंचायतों का दौर शुरू हुआ. चौक चौराहों पर दबी जुबान में ये भी चर्चा छिड़ी कि योगी आदित्यनाथ ठाकुर समाज से हैं और उन्हें कमजोर करने की कोशिश हो रही है. तो इसका बदला चुनाव में लिया जाए. चर्चा हुई कि जाटलैंड यानी पश्चिमी यूपी में बीजेपी को राजपूत वोटों का संत्रास झेलना पड़ेगा.
इस बीच मुजफ्फरनगर में केंद्रीय मंत्री संजीव बालयान के काफिले पर हमला हो गया. आरोप लगा कि इसके पीछे संगीत सोम का हाथ है जो ठाकुरों के बड़े नेता माने जाते हैं. वो 2022 का विधानसभा चुनाव सरधना से हार गए थे. बालयान और सोम दोनों ही 2013 के दंगों से निकले हुए फायरब्रांड नेता हैं. संगीत सोम के बारे में कहा जाता है कि वो मेरठ से टिकट चाहते थे लेकिन रामायण के राम अरुण गोविल को टिकट दे दिया गया. उधर गाजियाबाद से एक और ठाकुर नेता जनरल वीके सिंह का टिकट कट गया. इससे एक नैरेटिव सेट होता है. इस बीच बृजभूषण शरण सिंह के टिकट पर भी फैसला नहीं होने से माहौल बनाया जाता है.
एक के बाद एक राजपूत महापंचायत होने लगे. कहा जाने लगा कि पहले फेज की वोटिंग में सोम चौबीसी के ठाकुरों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा नहीं लिया. इन सबसे घबराकर योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह ने डेरा डाला. दोनों नेताओं ने ठाकुर समाज को सीधे-सीधे संबोधित करते हुए किसी बहकावे में न आने की अपील की. आज लोकसभा चुनाव रूझान और परिणाम अंतिम चरण में है. ऐसे में हम उन नौ सीटों का आकलन करते हैं जहां राजपूत वोटों का प्रभाव माना जाता है. देखते हैं कि वहां इस बार क्या हो रहा है और पिछले चुनाव में क्या हुआ था. एक अनुमान के मुताबिक इन सीटों पर राजूपत वोट प्रतिशत आठ से 13 प्रतिशत के बीच है.
राजपूत सीटों का सच
मेरठ – मात्र नौ हजार वोटों से अरुण गोविल आगे चल रहे हैं. समावादी पार्टी की सुनीता वर्मा कड़ी टक्कर दे रही है. 2019 में भी बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल सिर्फ 4700 वोटों से जीते थे.
सहारनपुर – कांग्रेस के इमरान मसूद की जीत तय है. वो लगभग 80 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं. दूसरे नंबर पर बीजेपी के राघव लखनपाल हैं. (बसपा-19)
मुजफ्फरनगर – संजीव बालयान 4500 वोटों के पतले मार्जिन से आगे हैं. अभी कई दौर की काउंटिंग बची हुई है. समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट और क्षेत्र के कद्दावर जाट नेता हरेंद्र मलिक उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं. हालांकि पिछला चुनाव भी बालयान ने सिर्फ 6500 वोटों से जीता था. हरेंद्र मलिक 2019 लोकसभा चुनाव में कैराना से कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे और तीसरे नंबर पर थे.
कैराना – ये सीट बीजेपी की है लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी की इकरा हसन ने लगभग बाजी मार ली है.बीजेपी के मौजूदा सांसद प्रदीप कुमार 72 हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं.
बिजनौर – बीजेपी की सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के चंदन चौहान 18000 वोटों से आगे हैं. समाजवादी पार्टी के दीपक उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं. अभी कई राउंड की काउंटिंग बाकी है.
नगीना– दलित फायर ब्रांड नेता चंद्रशेखर आजाद की जीत तय मानी जा रही है. बीजेपी के ओम कुमार लगभग 1.5 लाख वोटों से पीछे चल रहे हैं. हालांकि 2019 में भी यहां से बीजेपी की हार हुई थी.
अमरोहा -कांग्रेस के दानिश अली बीजेपी के कंवर सिंह तंवर से आगे चल रहे हैं. लेकिन मतगणना की रफ्तार धीमी है. 2019 में इस सीट पर भाजपा की हार हुई थी.
नोएडा – महेश शर्मा 5.30 लाख वोटों से आगे चल रहे हैं. पिछली दफा वो 3.5 लाख वोटों से जीते थे. मतलब मार्जिन और बढ़ गया. जबकि मिहिरभोज को गुर्जर राजा बताने के बवाल से गौतम बुद्ध नगर प्रभावित हुआ था.
गाजियाबाद- बीजेपी के अतुल गर्ग 2.62 लाख वोटों से आगे चल रहे हैं.
इन रूझानों से साफ है कि बीजेपी को कोई नुकसान होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. सिर्फ कैराना ऐसी सीट है जो खिसक रही है. लेकिन इसकी भरपाई बिजनौर से होती हुई दिख रही है जहां बीजेपी की सहोयगी आरएलडी ने निर्णायक लीड बना ली है. मतलब साफ है कि राजपूत वोटों का एक छोटा हिस्सा ही बीजेपी से छिटका होगा. अगर यूपी के मैप को देखें तो पश्चिमी यूपी से ज्यादा नुकसान बीजेपी को अवध औऱ पूर्वांचल के इलाके में हुआ है. मेरे हिसाब से ओबीसी वोटों का बिखरना इसका एक बड़ा कारण है और बीजेपी के लिए चेतावनी भी.
Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : June 4, 2024, 17:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed