मुंगेर की पहली महिला ई-रिक्शा चालक सरिता को सलाम कमाई से चला रही 6 लोगों का परिवार

जीविका के वरीय ने सरिता देवी की लगनशीलता, कर्मठता और नेक विचार को देखते हुए सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत उसे ई-रिक्शा दिया. संस्था के द्वारा ई-रिक्शा खरीदने के लिए अग्रिम भुगतान के रूप में उसे 67,000 रुपये अनुदान के तौर पर मिला. ई-रिक्शा की कुल कीमत डेढ़ लाख रुपये है जिसके लिए 67 हज़ार को छोड़ सरिता को पांच हज़ार रुपये प्रति महीने किस्त के रूप में चुकाना है

मुंगेर की पहली महिला ई-रिक्शा चालक सरिता को सलाम कमाई से चला रही 6 लोगों का परिवार
सिद्धांत राज मुंगेर. कहते हैं अगर हौसले बुलंद हों, तो कामयाबी मिलते देर नहीं लगती. इरादे नेक हों, तो तरक्की को कोई रोक नहीं सकता. यह बात बिहार के मुंगेर में एक बार फिर सही साबित हुई है. टेटिया बंबर प्रखंड क्षेत्र के मुहराटन गांव के मांझी टोला की रहने वाली सरिता देवी (29 वर्ष) ई-रिक्शा चलाकर छह लोगों के अपने परिवार का खर्च उठाती है. वो जिले की पहली महिला ई-रिक्शा चालक है. सरिता देवी का पति शंकर मांझी बेरोजगार है. इसके बाद उसने लोन पर ई-रिक्शा खरीद कर खुद काम करने की ठानी. वो अपनी हिम्मत और हौसले से महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी है. सरिता देवी ने बताया कि वो जीविका के ग्राम संगठन से जुड़ी है. वो पहले से उसमें 10 रुपया प्रतिदिन जमा करती थी. इस संगठन के प्रति काफी जागरूक और सजग रहती थी. जीविका के वरीय ने उसकी लगनशीलता, कर्मठता और नेक विचार को देखते हुए सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत उसे ई-रिक्शा दिया. संस्था के द्वारा ई-रिक्शा खरीदने के लिए अग्रिम भुगतान के रूप में उसे 67,000 रुपये अनुदान के तौर पर मिला. ई-रिक्शा की कुल कीमत डेढ़ लाख रुपये है जिसके लिए 67 हज़ार को छोड़ सरिता को पांच हज़ार रुपये प्रति महीने किस्त के रूप में चुकाना है. पहले की स्थिति अत्यंत गरीबी थी सरिता देवी बताती हैं कि ई-रिक्शा लेने से पहले मेरे घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब चल रही थी. मेरे पति शंकर मांझी भी ठीक से कहीं काम नहीं करते थे जिसके कारण मेरे तीनों बच्चे और मेरी सास का खर्च उठा पाना मुश्किल हो रहा था. वो आगे बताती हैं कि मैं जीवीका ग्राम संगठन में रोजाना 10 रुपया जमा करती थी जिससे मैंने एक ई-रिक्शा निकाला और अब खुद उसे चला कर रोजाना 800 से 1,000 रुपये कमा रही हूं. अब मेरा घर अच्छे से चल रहा है. ई-रिक्शा की कमाई से खरीदी सिलाई मशीन सरिता देवी आगे बताती हैं कि मैंने ई-रिक्शा की कमाई से एक सिलाई मशीन खरीदी है. आज मैं उस सिलाई मशीन पर भी काम कर के तीन से चार हज़ार रुपये महीने कमा लेती हूं. जिस दिन मेरे पति ई-रिक्शा चलाने जाते हैं तो मैं घर में रह कर मशीन पर कपड़े सिल कर पैसा कमाती हूं. पति ने पत्नी के हौसले को किया सलाम सरिता के पति शंकर मांझी बताते हैं कि मैं पहले ठीक ढंग से कहीं काम या मजदूरी नहीं करता था. जिसके कारण घर चला पाना मुश्किल हो रहा था, लेकिन मेरी पत्नी इतनी अच्छी है कि वो अपनी मेहनत से ई-रिक्शा खरीद कर आज पूरे क्षेत्र में चला रही है. इससे वो प्रतिदिन अच्छे पैसा कमा लेती है. कभी-कभी मैं भी रिक्शा चलाता हूं, तब वो घर में बैठकर सिलाई करती है और पैसे कमाती है. आज मेरा घर अच्छे से चल रहा है और मेरे बच्चे भी पढ़ने स्कूल जाते हैं. सरिता को सरकार से मदद का इंतजार सरिता देवी आगे बताती है कि मुझे सरकार के द्वारा न तो प्रधानमंत्री आवास मिला, न राशन कार्ड मिला है. मैं पीछे भी काफी गरीबी देख चुकी हूं और अभी भी मुझे सरकार की किसी योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. मुझे सरकार से मदद का इंतजार है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Bihar News in hindi, Munger news, Women EmpowermentFIRST PUBLISHED : September 26, 2022, 13:32 IST