बगावत से गहलोत को ही नुकसान मगर गांधी परिवार को होगा इस तरह फायदा! जानिए
बगावत से गहलोत को ही नुकसान मगर गांधी परिवार को होगा इस तरह फायदा! जानिए
सवाल यह है कि क्या अब गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सही विकल्प होंगे? क्या गांधी परिवार जयपुर में जो कुछ हुआ उसे गहलोत के विद्रोह के रूप में देखेगा? एक वरिष्ठ नेता ने News18.com से कहा कि ‘हम किसी को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते. लेकिन ऐसी धारणा बनाई जा रही थी कि गहलोत गांधी परिवार की पसंद हैं. अब इसका मुकाबला करना होगा.’
हाइलाइट्सक्या अब अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सही विकल्प होंगे?क्या गांधी परिवार जयपुर में जो कुछ हुआ उसे गहलोत के विद्रोह के रूप में देखेगा?ऐसी धारणा बनाई जा रही थी कि कांग्रेस अध्यक्ष के लिए गहलोत गांधी परिवार की पसंद हैं!
नई दिल्ली. लगता है कि कांग्रेस में कलह को खत्म करने के लिए आलाकमान का सोचा गया समाधान अब उनके लिए ही सिरदर्द बन गया है. कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत के पार्टी अध्यक्ष बनाने के साथ एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की थी. उसे भरोसा था कि इससे राजस्थान के साथ ही केंद्र में भी नेतृत्व के मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा. जिससे सचिन पायलट की पहेली भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी. लेकिन जीवन की तरह राजनीति भी अनिश्चितताओं से भरी पड़ी है.
अशोक गहलोत खेमे के कई विधायकों की बगावत ने दोनों पर्यवेक्षकों- मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को अचरज में डाल दिया और इसके कारण शीर्ष नेतृत्व में कई लोगों गुस्सा भी हुए हैं. एक नेता ने कहा कि ‘सीएलपी की बैठक मुख्यमंत्री के कहने पर बुलाई गई थी. हमने सोचा था कि हमें एक लाइन का संकल्प मिलेगा और सत्ता में बदलाव सुचारू रूप से हो जाएगा. जबकि नाराज विधायकों ने कहा कि गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का फैसला लेने से पहले उनसे कभी नहीं पूछा गया. सचिन पायलट के बारे में कई लोगों ने यह भी कहा कि क्या एक साल पहले बगावत करने वाले शख्स को सीएम बनाकर सम्मानित किया जाना चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष के लिए गहलोत की उम्मीदवारी पर असमंजस
इस संकट ने केंद्र में कांग्रेस के बड़े नेताओं को अध्यक्ष पद के चुनाव और गहलोत की उम्मीदवारी को लेकर असमंजस में डाल दिया है. एक वरिष्ठ नेता और सोनिया गांधी के करीबी मार्गरेट अल्वा ने ट्वीट किया कि वरिष्ठों को सत्ता छोड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए. सूत्रों का कहना है कि पर्यवेक्षक नाराज हैं और उन्होंने सोनिया गांधी को प्रतिक्रिया भेजी है. कई लोगों का मानना है कि अध्यक्ष के रूप में अशोक गहलोत का मुख्य कार्य पार्टी को एकजुट करना और निजी महत्वाकांक्षाओं से ऊपर उठना होता. कुछ ऐसा जिसका उल्लेख राहुल गांधी ने कोच्चि में एक संवाददाता सम्मेलन में किया था. जब उन्होंने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होगी.
धारणा बनाई जा रही थी कि गहलोत गांधी परिवार की पसंद
ऐसे में अब सवाल यह है कि क्या गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सही विकल्प होंगे. क्या गांधी परिवार जयपुर में जो कुछ हुआ उसे गहलोत के विद्रोह के रूप में देखेगा? एक वरिष्ठ नेता ने up24x7news.com.com को बताया कि ‘हम किसी को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते. लेकिन ऐसी धारणा बनाई जा रही थी कि गहलोत गांधी परिवार की पसंद हैं. अब इसका मुकाबला करना होगा.’
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कई और नेता कर सकते हैं कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नामांकन
अब कांग्रेस अध्यक्ष का नामांकन दाखिल करने के लिए कई अन्य नेताओं से भी संपर्क करने की योजना है. कमलनाथ, सचिन पायलट, भूपिंदर हुड्डा और दिग्विजय सिंह के नामों पर विचार किया जा रहा है. एक सूत्र ने यह दावा किया कि गांधी परिवार तटस्थ रहेगा. इसके अलावा गांधी परिवार के वफादार एक बार फिर इस बात को इस्तेमाल करेंगे कि परिवार के हटने से पार्टी ध्वस्त हो जाएगी. यह सोनिया गांधी के सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने के दौर के समान है. जब यह धारणा थी कि सीताराम केसरी पार्टी को कमजोर और विभाजित कर रहे थे. उस समय सोनिया गांधी ने कहा था कि ‘मैं नेहरू-गांधी द्वारा बनाई गई पार्टी को नष्ट होते हुए नहीं देख सकती थी.’
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Tags: Ashok gehlot, Congress, Delhi, Gandhi Family, राजस्थानFIRST PUBLISHED : September 26, 2022, 13:32 IST