दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के दौरान कितने सुरक्षित हैं फ्लैट विशेषज्ञों से जानें
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के दौरान कितने सुरक्षित हैं फ्लैट विशेषज्ञों से जानें
वैज्ञानिकों की मानें तो दिल्ली सहित यूपी और हरियाणा के कुछ इलाके जो एनसीआर में आते हैं, भूकंप के लिहाज से संवेदनशील जोन में आते हैं. सिस्मिक जोन-4 में होने के कारण यहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है. कुछ दिन पहले ही भूकंप विज्ञान विभाग की ओर से आई एक रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली-एनसीआर के नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद आदि शहरों में बड़ी संख्या में मौजूद फ्लैट और घर भूकंप के तेज झटकों को नहीं झेल सकते हैं.
नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर में देर रात महसूस किए गए भूकंप के झटकों ने लोगों को हिलाकर रख दिया है. भूकंप के झटकों के महसूस होते ही लोग अपने घरों से बाहर निकल गए वहीं कई जगहों पर हाईराइज बिल्डिंगों या फ्लैटों से बाहर आने के लिए लोगों में अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया था. भूकंप के लिहाज से दिल्ली-एनसीआर पहले ही सिस्मिक जोन-4 में दर्ज है. वहीं यहां एक बड़ी आबादी आज घरों के बजाय फ्लैटों में रहती है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि दिल्ली-एनसीआर में फ्लैटों में रहने वाली ये आबादी भूकंप के दौरान कितनी सुरक्षित है?
वैज्ञानिकों की मानें तो दिल्ली सहित यूपी और हरियाणा के कुछ इलाके जो एनसीआर में आते हैं, भूकंप के लिहाज से संवेदनशील जोन में आते हैं. सिस्मिक जोन-4 में होने के कारण यहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है. कुछ दिन पहले ही भूकंप विज्ञान विभाग की ओर से आई एक रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली-एनसीआर के नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद आदि शहरों में बड़ी संख्या में मौजूद फ्लैट और घर भूकंप के तेज झटकों को नहीं झेल सकते हैं. वहीं दिल्ली के कई इलाकों में अवैध रूप से बसी कॉलोनियां और पहले से बनी ऐसी सैकड़ों पुरानी इमारतें हैं जो भूकंप के दौरान ढहने की कगार पर हैं. ऐसे घरों में रहना खतरे से खाली नहीं है.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट में प्रोग्राम डायरेक्टर, सस्टेनेबल हेबिटेट प्रोग्राम रजनीश सरीन न्यूज18 हिंदी से बातचीत में कहते हैं कि सिस्मिक जोन-4 में होने के चलते एनसीआर निश्चित ही खतरे की जद में तो है ही, वहीं यहां निर्माण कार्य भी तेजी से हो रहा है. यहां 30-35 मंजिला गगनचुंबी इमारतें बड़ी संख्या में बन रही हैं. लिहाजा क्या ये फ्लैट भूकंप रोधी हैं? क्या इन फ्लैटों या इमारतों को भूकंप के दौरान नुकसान नहीं होगा और यहां रहने वाले लोग सुरक्षित होंगे? यह सरकार और खुद लोगों के लिए जानना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.
भूकंप के दौरान कोई भी हाईराइज इमारत या घर कितना प्रभावित होगा यह कई चीजों पर निर्भर करता है. जैसे उस इमारत में इस तरह जोड़कर मेटेरियल लगाया है कि वह अलग-अलग दिशाओं में व्यवहार करता है तो इमारत में भूकंप के दौरान दरार आने या गिरने का खतरा पैदा हो जाता है. निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सरिया आदि की लैब में जांच न करवाना और उसका इस्तेमाल करना, नई या पुरानी इमारत के आसपास लंबे समय तक वॉटर लॉगिंग की समस्या, मेंटीनेंस का अभाव, कई सालों तक इमारत पर पेंट न होना या सीमेंट का उखड़ते रहना, खराब माल का इस्तेमाल आदि भी इमारतों को कमजोर बनाता है.
गाइडलाइंस जारी लेकिन नहीं हो रहा पालन
रजनीश कहते हैं कि नेपाल में आए भूकंप के बाद केंद्र सरकार की ओर से इमारतों या कंस्ट्रक्शन साइटों के रीसर्टिफिकेशन को लेकर नई गाइडलाइंस भी जारी की गई थीं. जिनमें पुरानी बिल्डिंगों को स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स से रीसर्टिफाई कराना अनिवार्य किया गया है लेकिन इसके लिए पैच टेस्ट करना होता है. जिसमें कंक्रीट का सैंपल लेकर उसे लैब में भेजा जाता है. वहीं भवन निर्माण में जो सरिया का इस्तेमाल होता है, उसकी भी जांच कराई जानी जरूरी है लेकिन हो क्या रहा है? 2007-08 के बाद निर्माण कार्य अब कोरोना के बाद बहुत तेज गति से हो रहा है लेकिन उस गति से नियमों का पालन नहीं हो रहा.
भूकंप में हो सकता है नुकसान?
रजनीश कहते हैं कि कुछ दिन पहले आई रिपोर्ट और सर्वे में बताया गया कि दिल्ली सहित एनसीआर में भूकंप के लिहाज से इमारतें नहीं बनी हैं. कहा गया कि 80 फीसदी इमारतें भूकंप के लिहाज से रहने लायक नहीं हैं, हालांकि ये सर्वे फिजिकली किया गया था या लैब पर आधारित था ये कहना जरा मुश्किल है लेकिन कहा गया कि रिेक्टर स्केल पर 7 की तीव्रता का भूकंप आया तो दिल्ली में बड़ा नुकसान हो सकता है. वहीं डीडीए ने भी ऐसी ही 300 इमारतों की सूची तैयार की थी जो भूकंप नहीं झेल सकतीं.
फ्लैट कितने सुरक्षित?
रजनीश कहते हैं कि जहां तक भूकंप में हाईराइज फ्लैटों की बात है तो ये कितने सुरक्षित हैं, कहना काफी मुश्किल है क्योंकि भारत में फ्लैटों को आए हुए अभी लंबा समय नही बीता है जबकि जमीन पर खड़े हुए 300-400 साल पुराने कम ऊंचाई वाले मकान आज भी सुरक्षित बने हुए हैं. फ्लैट तकनीक यहां के लिए नई है, लेकिन मरम्मत में लापरवाही, निर्माण में इस्तेमाल होने वाली खराब किस्म की सामग्री और री सर्टिफिकेशन या गाइडलांइस का पूरी तरह पालन न होने से ये भूकंप के दौरान खतरा पैदा कर सकते हैं.
गुरुग्राम है सबसे खतरनाक स्तर पर
एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली एनसीआर 3 सक्रिय फॉल्ट लाइन पर स्थित है. जबकि जबकि गुरुग्राम सात सक्रिय फॉल्टलाइन पर मौजूद होने के चलते दिल्ली-एनसीआर के सबसे खतरनाक शहर में शामिल है.
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FIRST PUBLISHED : November 09, 2022, 12:53 IST