भगवान गणेश को स्थापित करने के बाद क्या मंदिर में रख सकते हैं प्रतिमा

गणेश विसर्जन की परंपरा का प्रारंभ सबसे पहले महाराष्ट्र में हुआ था. इसके पीछे मुख्य रूप से धार्मिक मान्यता और लोक परंपराओं का मेल है.

भगवान गणेश को स्थापित करने के बाद क्या मंदिर में रख सकते हैं प्रतिमा
अयोध्या: इन दिनों पूरे देश में गणेश उत्सव पर्व की धूम मची  हुई है. मोहल्ले और घरों में गणपति विराजमान हो चुके हैं. इसका समापन गणेश मूर्ति के विसर्जन के साथ होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह विसर्जन की परंपरा कैसे शुरू हुई और क्या छोटी मूर्तियों को घर में हमेशा के लिए रखा जा सकता है? ज्योतिषाचार्य ने इस परंपरा के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर विस्तार से जानकारी दी है. गणेश विसर्जन की परंपरा का प्रारंभ सबसे पहले महाराष्ट्र में हुआ था. इसके पीछे मुख्य रूप से धार्मिक मान्यता और लोक परंपराओं का मेल है. भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ के रूप में पूजा जाता है और विसर्जन के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि गणेश भगवान सभी विघ्नों को समाप्त करके अपने लोक में वापस चले जाते हैं. इसके आलावा कहा जाता है कि लोकमान्य तिलक ने 1893 में गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाने की शुरुआत की थी, ताकि समाज को एकजुट किया जा सके और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों में जागरूकता फैलाई जा सके. तब से यह परंपरा हर साल गणेशोत्सव के बाद मूर्ति विसर्जन के रूप में पूरी होती है. विसर्जन का एक धार्मिक दृष्टिकोण यह भी है कि भगवान गणेश धरती पर कुछ समय के लिए आते हैं और फिर वापस अपने लोक में लौट जाते हैं. कई लोग सवाल करते हैं कि छोटी गणेश मूर्तियों को विसर्जित करने की आवश्यकता है या नहीं. इसके बारे में ज्योतिषाचार्य ने बताया कि धार्मिक दृष्टिकोण से गणेश मूर्ति की स्थापना एक निश्चित समय के लिए की जाती है और उसे उचित विधि से विसर्जित करना आवश्यक होता है. यदि मूर्ति की स्थापना धार्मिक रूप से की जाती है, तो उसे निश्चित अवधि के बाद विसर्जित करना जरूरी होता है. यदि ऐसा नहीं किया जाता तो यह धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दोष का कारण बन सकता है. यदि आप मूर्ति को केवल सजावट या पूजन के उद्देश्य से घर में रखते हैं और विधिवत स्थापना या विसर्जन नहीं करते, तो यह धार्मिक दृष्टिकोण से कोई दोष नहीं माना जाता. गणेश मूर्ति विसर्जन का महत्व यह है कि जब भगवान गणेश की पूजा पूरी हो जाती है, तो उन्हें जल में विसर्जित कर दिया जाता है, जो जीवन के चक्र को दर्शाता है—जीवन का प्रारंभ और अंत. विसर्जन से यह भी संदेश दिया जाता है कि संसार में हर वस्तु अस्थायी है और हमें परमात्मा में लीन होने का संदेश समझना चाहिए. Tags: Dharma Aastha, Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : September 11, 2024, 14:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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